हमसे ईमानदारी का अब और प्रमाण मत मांगिए

चालीस की चपेट में आते आते स्वास्थ्य की चिन्ताएं सताने लगती हैं। पहले बनारस में रहता था तो मजबूरी में ही सही  गलियों में पैदल चलना खूब हो जाता था, घाट के कार्यक्रमों में शामिल होने जाता तो सीढ़ियां चढ़ने-उतरने की कसरत हो जाती लेकिन जबसे लखनऊ आया हूं, घर से निकलते ही वाहन की सवारी हो जाती है और फिर कुर्सियों पर घण्टों बैठे रहना। वैसे भी मुझे लगता है कि पत्रकारिता की नौकरी कई ज्यादतियों के लिए जिम्मेदार है। 

दैनिक भास्कर : राजस्थान में अखबार ने मृत्यु के शोक संदेश पर दे दी बधाई!

राजस्थान का सबसे बड़ा अखबार होने का दावा करने वाला दैनिक भास्कर अब भगवान भरोसे ही चल रहा है। अखबार के हर संस्करण में खबरों में तो खामियों की भरमार है ही, मगर अब तो विज्ञापनों में भी ये लोग कुछ भी छाप दे रहे हैं। ताजा मामला भास्कर के चितौड़गढ़ संस्करण का है जिसमें 11 दिसंबर को चितौड़गढ़ भास्कर में पेज नंबर 2 पर एक शोक संदेश का विज्ञापन छपा था।

टाइम्स आफ इंडिया के पत्रकारों का गणित ज्ञान कमजोर, मोदी के गुणगान में आंख मूंद छाप दे रहे हैं कुछ भी

Abhishek Srivastava : ये है टाइम्‍स ऑफ इंडिया की खबर, जो वैसे तो कई अख़बारों में छपी है लेकिन जस यहां है तस कहीं नहीं है। खबर का शीर्षक देखें और पूरी खबर पढ़ें। इसके मुताबिक प्रधानजी बनारस में रोहनिया के जिस गांव को गोद लेने वाले हैं, उसने  ‘450’  साल पहले औरंगज़ेब की फौज को हराकर भगा दिया था। औरंगज़ेब 1618 में पैदा हुआ था यानी आज से 396 साल पहले, लेकिन टाइम्‍स ऑफ इंडिया ने 450 साल पहले बनारस पर उसका हमला करवा दिया है।

‘प्रभात खबर’ ने लालू यादव को राबड़ी देवी और राबड़ी देवी को लालू यादव बना दिया!

प्रभात खबर का एक और कारनामा… इसने रातोंरात अपने अखबार में लालू यादव को राबड़ी देवी और राबड़ी देवी को लालू यादव घोषित कर दिया…. ऐसा विज्ञापन में किया गया है. न्यूट्रल पब्लिशिंग हाउस नामक कंपनी प्रभात खबर अखबार का प्रकाशन करती है.  कभी ‘अखबार नहीं आंदोलन’ और आज के दिनों में ‘बिहार जागे…देश आगे’ स्लोगन देकर यह अखबार बेचा जाता है. इस हिन्दी दैनिक ‘प्रभात खबर’ के बिहार संस्करण में विज्ञापन के नाम पर एक और कारनामा सामने आया है.  ‘प्रभात खबर’ के गया एडीशन में एक विज्ञापन छपा जो काफी चौकाने वाला है.