भड़ास4मीडिया के संपादक यशवंत सिंह पर प्रेस क्लब गेट पर भुप्पी और अनुराग त्रिपाठी ने किया हमला

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(कोबरा पोस्ट में प्रकाशित यशवंत पर हमले की खबर का स्क्रीनशाट)

भड़ास4मीडिया के संस्थापक और संपादक यशवंत सिंह पर चार सितंबर की रात करीब साढ़े दस बजे प्रेस क्लब ऑफ इंडिया के गेट पर जानलेवा हमला हो गया. यशवंत को बुरी तरह से मारा-पीटा गया और गालियां दी गई. भड़ास4मीडिया के संपादक यशवंत सिंह ने अपनी फेसबुक वाल पर घटना की जानकारी देते हुए लिखा, ”अटैक हो गया गुरु। प्रेस क्लब ऑफ इंडिया के गेट पर। बहुत मारा पीटा मुझे। पार्ट ऑफ जॉब ही है। भूपेंद्र सिंह भुप्पी और अनुराग त्रिपाठी की कारस्तानी है। जाने किस खबर की बात करके पीटा उसने।” इस हमले में यशवंत का चश्मा टूट गया और नाक, कान, गर्दन, होंठ पर चोट आई है.

यशवंत ने बताया कि भूपेंद्र सिंह भुप्पी और अनुराग त्रिपाठी प्रेस क्लब के अंदर तो काफी अच्छे मिले. तारीफ की. लेकिन वे पूरी योजना से थे. बाहर गेट पर इंतजार कर रहे थे. जब यशवंत बाहर निकले तो भूपेंद्र सिंह भुप्पी ने हाथ मिलाने के बहाने पास बुलाया और हमला कर दिया. इस दौरान अनुराग त्रिपाठी मोबाइल से वीडियो बनाने लगा. वहां मौके पर वरिष्ठ पत्रकार रुबी अरुण भी मौजूद थीं जो हमलावर को बार बार रोक रही थीं लेकिन भुप्पी और अनुराग दोनों लगातार कह रहे थे कि ‘इसे मार खाने दो, बहुत खबरें छापता है’. इस अप्रत्याशित घटनाक्रम से यशवंत हक्के बक्के थे और लगातार भुप्पी से कह रहे थे कि आखिर गुस्सा किस बात पर है, प्रेस क्लब के अंदर तो तुम ठीक थे, बाहर अचानक क्या हो गया?

भुप्पी हमले के दौरान कुछ बरस पुरानी छपी भड़ास की खबरों का जिक्र कर रहा था. ज्ञात हो कि भूपेंद्र सिंह भुप्पी रहने वाला गाजीपुर का है लेकिन चंडीगढ़ में केपीएस गिल की खानदान की एक लड़की से शादी करने के बाद अब नोएडा और चंडीगढ़ सेटल हो गया है. आजतक के लिए पंजाब, हरियाणा और हिमाचल के ब्यूरो चीफ के बतौर एक जमाने में काम करता था पर किन्हीं कारस्तानियों के कारण उसे निकाल दिया गया. फिर उसने महुआ न्यूज चैनल ज्वाइन किया जहां वह फिर अपनी कारस्तानियों के कारण असफल साबित हुआ और अब मीडिया से ही बाहर हो चुका है. उन दिनों इसी से संबंधित खबरें भड़ास पर छपा करती थीं.

अनुराग त्रिपाठी भी महुआ में भुप्पी के साथ था और आजकल खुद को तहलका / न्यूज लांड्री के साथ कार्यरत बताता है. यशवंत ने प्रेस क्लब आफ इंडिया के प्रबंधन को हमले के बाबत लिखित शिकायत दे दी है. साथ ही एक लिखित कंप्लेन पार्लियामेंट स्ट्रीट पुलिस स्टेशन में दी है. यशवंत ने पहले एफआईआर न करने का निर्णय लिया था लेकिन अपने देश भर के हजारों साथियों समर्थकों के अनुरोध पर थाने में लिखित कंप्लेन देने का फैसला कर लिया.

यशवंत का कहना है कि दो पत्रकारों का किसी खबर को लेकर एक पत्रकार पर हमला करना पत्रकारिता के आजकल के निम्नतम स्तर को दर्शाता है. जब हम पत्रकार खुद ही मानसिक लेवल पर सामंती / आपराधिक सोच रखते हैं तो कैसे इस लोकतांत्रिक देश में मीडिया की निष्पक्षता की बात सोच सकते हैं. कलम का जवाब कलम ही हो सकता है, हथियार या हमला नहीं. यशवंत ने भुप्पी और अनुराग त्रिपाठी को बेहद कमजोर आदमी करार देते हुए कहा कि ये माफी के योग्य हैं, इन्हें खुद नहीं पता कि ये क्या कर बैठे हैं. ये लोग सामने कुछ कहते-बोलते हैं और पीठ पीछे छुरा घोंपने को तैयार रहते हैं. ऐसे दोहरे व्यक्तित्व और आपराधिक मानसिकता के लोग अगर मीडिया में हैं तो यह मीडिया की दयनीयता / दरिद्रता को ही दिखाता है. एक आदमी जो अकेले और निहत्था है, उस पर अचानक से घेर कर हमला कर देना कहां की बहादुरी है. उम्मीद करते हैं कि भुप्पी और अनुराग में अगर थोड़ी भी पत्रकारीय सोच-समझ होगी अकल आएगी और अपने किए पर पश्चाताप करेंगे. 

यशवंत ने अपने पर हमले को लेकर फेसबुक पर दो पोस्ट्स डाली हैं, जो इस प्रकार हैं-

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Comments on “भड़ास4मीडिया के संपादक यशवंत सिंह पर प्रेस क्लब गेट पर भुप्पी और अनुराग त्रिपाठी ने किया हमला

  • Adee parauha says:

    भय का वातावरण है, कुछ भी कभी भी हो सकता है, दलाल लोग मीडिया में भरी मात्रा मे उपलब्ध है, और आप उनका भंडा रोज फोड़ रहे है, खुद की सुरक्षा का भी ध्यान रखे, और इन नेताओं के चापलूस दलाल प्रत्रकार टाइप लोगो से जंग जारी रखें. हम ही नहीं सच मे बहूत से लोग आप के साथ हैं. आप के द्वारा लगातार एक अच्छा कार्य किया जा रहा है।

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  • Mehmood Riyaz says:

    हमले की एफबी पोस्ट पढ़कर मैंने आपको फोन किया था। आपसे बात नहीं हो पाई, लेकिन खुद को अकेला मत समझना भाई। ये भुप्पी ओर घुप्पी कुछ नहीं ब्गाड़ पाएंगे। अच्छा किया एफआइआर करा दी। देखते हैं इन गुडों को कितना इनकी गांड़ में दम है। इनकी औकात चंडीगढ़ और दिल्ली में ही तय करते हैं।

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  • आशीष चौकसे says:

    कुत्ते धोखे से काट लें तो इसका मतलब यह नहीं हो जाता कि वो जंगल के राजा बन गये।

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