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प्रबंधन के खिलाफ हिसार भास्कर यूनिट ने फूंका विद्रोह का बिगुल, मजीठिया के लिए सुप्रीम कोर्ट गए

मजीठिया वेज बोर्ड लागू कराने और अपना बकाया एरियर लेने के लिए दैनिक भास्कर की हरियाणा यूनिट भी एकत्र होनी शुरू हो गई है। इसकी पहल सबसे पहले हिसार यूनिट की ओर से की गई है। इसमें भिवानी ब्यूरो से प्रदीप महता, कुलदीप शर्मा, भूपेंद्र सिंह, राकेश भट्ठी, संजय वर्मा और सुखबीर ने सुप्रीम कोर्ट के वकील अक्षय वर्मा के माध्यम से भास्कर के मालिक रमेश चंद्र अग्रवाल से लेकर भिवानी के ब्यूरो प्रमुख अशोक कौशिक तक लीगल नोटिस भिजवा दिए हैं।

<p>मजीठिया वेज बोर्ड लागू कराने और अपना बकाया एरियर लेने के लिए दैनिक भास्कर की हरियाणा यूनिट भी एकत्र होनी शुरू हो गई है। इसकी पहल सबसे पहले हिसार यूनिट की ओर से की गई है। इसमें भिवानी ब्यूरो से प्रदीप महता, कुलदीप शर्मा, भूपेंद्र सिंह, राकेश भट्ठी, संजय वर्मा और सुखबीर ने सुप्रीम कोर्ट के वकील अक्षय वर्मा के माध्यम से भास्कर के मालिक रमेश चंद्र अग्रवाल से लेकर भिवानी के ब्यूरो प्रमुख अशोक कौशिक तक लीगल नोटिस भिजवा दिए हैं।</p>

मजीठिया वेज बोर्ड लागू कराने और अपना बकाया एरियर लेने के लिए दैनिक भास्कर की हरियाणा यूनिट भी एकत्र होनी शुरू हो गई है। इसकी पहल सबसे पहले हिसार यूनिट की ओर से की गई है। इसमें भिवानी ब्यूरो से प्रदीप महता, कुलदीप शर्मा, भूपेंद्र सिंह, राकेश भट्ठी, संजय वर्मा और सुखबीर ने सुप्रीम कोर्ट के वकील अक्षय वर्मा के माध्यम से भास्कर के मालिक रमेश चंद्र अग्रवाल से लेकर भिवानी के ब्यूरो प्रमुख अशोक कौशिक तक लीगल नोटिस भिजवा दिए हैं।

उनके इस नोटिस के बाद से भास्कर प्रबंधन में खलबली मचनी शुरू हो गई है। भास्कर के इन छह कर्मचारियों द्वारा जारी नोटिस के बारे में खास बात यह है कि उन्होंने इस बारे में ब्यूरो प्रमुख अशोक कौशिक तक को पता नहीं चलने दिया। मगर जब उनके पास ये नोटिस पहुंचे तो भिवानी से लेकर भोपाल तक भास्कर प्रबंधन में खलबली मच गई है। बताया जा रहा है कि हिसार यूनिट के कार्यकारी संपादक हिंमाशू घिल्डियाल ने भिवानी के ब्यूरो प्रमुख से बात कर इस मामले में नोटिस जारी कराने वालों के खिलाफ सख्त एक्शन लेने की बात कही है।

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दूसरी ओर हिसार में कार्यरत कई मीडियाकर्मियों ने भी दैनिक भास्कर के मालिकों के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में कोर्ट की अवमानना का केस दर्ज करा दिया है। इन लोगों में जनक अटवाल, सुशील कुमार, जितेंद्र, शकूर खान, संदीप, मुन्ना प्रसाद, बिशन, धीरज कौशिक, राजेश जांगड़ा, सीपी छाबड़ा, मंजू शर्मा, अनुराधा, समीक्षा जैन, सतपाल, प्रेम, सुरेंद्र खन्ना के अलावा दादरी में कार्यरत सोमेश चौधरी, दादरी में पहले दैनिक भास्कर में पत्रकार रहे आदेश चौधरी, सुखदीप चाहर, दैनिक भास्कर में पूर्व मार्केटिंग एक्जीक्यूटिव अशोक जांगड़ा शामिल हैं।

भास्कर में कार्यरत इन कर्मचारियों द्वारा सुप्रीम कोर्ट में केस दर्ज करने के बाद भास्कर प्रबंधन में खलबली सी मची हुई है। बताया जा रहा है कि इनमें से जो कर्मचारी रिपोर्टर या सीनियर रिपोर्टर के पद पर कार्यरत हैं उनकी बाइलाइन खबरें भी देनी बंद कर दी हैं। मगर भास्कर वालों को यह नहीं पता कि इस तरह का काम कर वे अपने कर्मचारियों का कुछ नहीं बिगाड़ सकते। इसके अलावा सुनने में आया है कि भास्कर प्रबंधन पर मजीठिया को लेकर अदालत का दरवाजा खटखटाने वाले कर्मचारियों का फैमिली बैकग्राउंड भी इकट्ठा करना शुरू कर दिया है। इससे तो ऐसा लग रहा है जैसे दैनिक भास्कर प्रबंधन इनमें से कुंआरे कर्मचारियों की शादी का इंतजाम भी कराने वाला है। मगर उन्हें यह नहीं पता कि अदालत का दरवाजा खटखटाने वाले भास्कर के ये कर्मचारी किसी तरह के समझौते के मूड में नहीं हैं। दूसरी ओर अगर भास्कर प्रबंधन ने उन्हें किसी तरह प्रताड़ित करने का प्रयास किया तो इन कर्मचारियों ने भास्कर के मालिकों को नया नोटिस जारी कराने की दिशा में भी पूरी तैयारी की हुई है।

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भास्कर टीम हिसार यूनिट की तरफ से भेजे गए मेल पर आधारित.

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0 Comments

  1. sanjay

    March 4, 2015 at 12:43 pm

    भास्कर के मालिक तो ठीक हैं। इस संस्थान में कुछ दलाल किस्म के संपादक और प्रबंधक है। जिनका काम कर्मचारियों का हक मारना है। ऐसे कई दलाल संपादकों और प्रबंधकों को प्रबंधन निकाल भी चुका है, लेकिन ये कुत्ते की पूंछ हैं। जो सीधी नहीं होती हैं। श्रवण गर्ग और निधीश त्यागी। जिनका काम पत्रकारों की नौकरी खाना है। आज उन्हें कुत्ता भी नहीं पूछ रहा है। ऐसे ही कुछ संपादक शोषण के काम में लगे हैं। जैसे ही इनका काम पूरा हो जाएगा। ये भी सड़क छाप हो जाएंगे।

  2. sanjay

    March 4, 2015 at 12:43 pm

    भास्कर के मालिक तो ठीक हैं। इस संस्थान में कुछ दलाल किस्म के संपादक और प्रबंधक है। जिनका काम कर्मचारियों का हक मारना है। ऐसे कई दलाल संपादकों और प्रबंधकों को प्रबंधन निकाल भी चुका है, लेकिन ये कुत्ते की पूंछ हैं। जो सीधी नहीं होती हैं। श्रवण गर्ग और निधीश त्यागी। जिनका काम पत्रकारों की नौकरी खाना है। आज उन्हें कुत्ता भी नहीं पूछ रहा है। ऐसे ही कुछ संपादक शोषण के काम में लगे हैं। जैसे ही इनका काम पूरा हो जाएगा। ये भी सड़क छाप हो जाएंगे।

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