Connect with us

Hi, what are you looking for?

सियासत

बिहार की जनता ने इस मीडिया को भी हरा दिया है

भरोसा खोने के एक समान क्रम में इस चुनाव में भाजपा के साथ इलेक्ट्रॉनिक मीडिया की भी हार हुई है। अपने एक मित्र ने हताशा में सुबह 9 बजे से पहले ही टीवी बंद कर दिया। मुझे ये कहने की छूट दें कि मैं जरा समझदार निकला और अन्य चैनलों की तुलना में राज्य सभा टीवी पर ज्यादा ध्यान रखा। ये खबर पहले ही आ चुकी थी कि एक चैनल ने एक सर्वे को इसलिए प्रसारित नहीं किया क्योंकि वह महागठबंधन को भारी बहुमत बता रहा था।

भरोसा खोने के एक समान क्रम में इस चुनाव में भाजपा के साथ इलेक्ट्रॉनिक मीडिया की भी हार हुई है। अपने एक मित्र ने हताशा में सुबह 9 बजे से पहले ही टीवी बंद कर दिया। मुझे ये कहने की छूट दें कि मैं जरा समझदार निकला और अन्य चैनलों की तुलना में राज्य सभा टीवी पर ज्यादा ध्यान रखा। ये खबर पहले ही आ चुकी थी कि एक चैनल ने एक सर्वे को इसलिए प्रसारित नहीं किया क्योंकि वह महागठबंधन को भारी बहुमत बता रहा था।

संयोग से इसी की भविष्यवाणी सबसे ज्यादा सटीक थी पर न दिखाने वालों को कोई अफ़सोस नहीं होगा क्योंकि चैनल अम्बानियों का है। ऐसा नहीं है कि चैनल के एंकरों को इतनी भी समझ नहीं है कि इतने बड़े चुनाव के नतीजों के स्पष्ट होने में थोडा -सा समय लगेगा। खासतौर पर तब जबकि उनके अपने सर्वे ये बता रहे हों कि मामला कांटे का है या जीत दूसरे पक्ष की बतायी गयी थी। खुद अपने ही सर्वेक्षणों पर इतना भरोसा नहीं है कि घण्टे-आधे घण्टे के लिए इंतज़ार कर लें तो दिखाते ही क्यों है? असल बात तो ये है कि मालिकों कि चाटुकारिता में ये खुद भी भक्त हो गए हैं और भक्ति उनके विवेक पर भारी पड़ने लगी है।

Advertisement. Scroll to continue reading.

पिछली बार जब छग विधानसभा के नतीजे आये थे दोपहर तक कांग्रेस आगे दिख रही थी पर बाद में नतीजे पलट गए थे।रमन के रसोइये ने कहा था कि टेंशन में साहब ने खाना नहीं खाया। तो बिहार तो और भी बड़ा प्रदेश है- खामखाँ भक्तों से पटाखे खरीदवा दिए। एक चैनल ने तो बाकायदा खबर चला दी कि बिहार में एनडीए की सरकार सम्भव है। बाद में कहा कि 20-20 मैच चल रहा है। धैर्य की भारी कमी है। थोड़ी प्रतीक्षा कर लेते तो समझ में आ जाता कि भाई ये तो टेस्ट मैच है जिसमे पारी की हार होने वाली है।

दोष सेठों से ज्यादा इन कथित इ-पत्रकारों का है जिन्हें पत्रकारिता का मतलब सेठ की दलाली ही पता है। सुधीर, रजत वगैरह इनके आदर्श हैं। इन्हें वीके सिंह पागल कहते हैं तब भी इन्हें गुस्सा नहीं आता। पर सबसे ज्यादा खतरनाक वह विजुअल था जो एक चैनल में कथित जीत की खबरों के साथ बार-बार चलाया जा रहा था। वे अपनी ओर से संभावित जीत के बिम्ब और अर्थ गढ़ने की प्रक्रिया में लग गए थे। उनके हिन्दू राष्ट्र का सपना -पल भर के लिए ही सही-साकार होने लगा था। बार-बार केवल एक ही दृश्य जिसमें बहुत से तिलकधारी थे और इनका नेतृत्व करने वाला शंख फूँक रहा था। अच्छा हुआ की यह महज एक दुः स्वप्न साबित हुआ।

Advertisement. Scroll to continue reading.

बिहार की जनता ने इस मीडिया को भी हरा दिया है। अब गेंद प्रगतिशील खेमों के पाले में है कि वे महज मीडिया की नंपुसक आलोचना करते रहेंगे या अपना वैकल्पिक मीडिया खड़ा करने की कोई ईमानदार कोशिश करेंगे।

दिनेश चौधरी

Advertisement. Scroll to continue reading.

भिलाई

[email protected]

Advertisement. Scroll to continue reading.

Facebook.com/dinesh.choudhary.520


दिनेश चौधरी का लिखा ये भी पढ़ सकते हैं>>

Advertisement. Scroll to continue reading.

मेहदी हसन की वापसी

xxx

जल, जंगल, जमीन और जमराज

xxx

Advertisement. Scroll to continue reading.

मुंगौड़ी, कचौड़ी, पकौड़ी और रंगमंच

xxx

मैं कुतुबमीनार खरीदना चाहता हूँ

xxx

Advertisement. Scroll to continue reading.

मेरे रिमार्क को सर्वेश्वर ने दिनमान में छापा तो वो नाराज हो गए

Click to comment

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Advertisement

भड़ास को मेल करें : [email protected]

भड़ास के वाट्सअप ग्रुप से जुड़ें- Bhadasi_Group

Advertisement

Latest 100 भड़ास

व्हाट्सअप पर भड़ास चैनल से जुड़ें : Bhadas_Channel

वाट्सअप के भड़ासी ग्रुप के सदस्य बनें- Bhadasi_Group

भड़ास की ताकत बनें, ऐसे करें भला- Donate

Advertisement