नई दिल्ली। मजीठिया वेज बोर्ड की सिफारिशों को लागू करने की मांग कर रहे दैनिक जागरण के कर्मचारियों ने बुधवार को अखबार के मालिक संजय गुप्ता के न्यू फ्रेंड्स कॉलोनी स्थित आवास के बाहर जोरदार प्रदर्शन किया। इस दौरान कर्मचारियों ने महारानी बाग से लेकर न्यू फ्रेंड्स कॉलोनी तक जुलूस निकाला और संजय गुप्ता के खिलाफ जोरदार नारेबाजी की।
कर्मचारी प्रतिनिधियों ने स्थानीय पुलिस प्रशासन को ज्ञापन सौंपकर बताया कि दैनिक जागरण के मालिक माननीय उच्चतम न्यायालय के आदेश को मानने को तैयार नहीं हैं। संजय गुप्ता पर माननीय न्यायालय की अवमानना का मुकदमा चल रहा है। इस दौरान वहां उपस्थित लोगों को दैनिक जागरण की ओर से 350 से अधिक कर्मचारियों को अपना हक़ मांगने पर संस्थान से बाहर करने की भी जानकारी दी गई।
कर्मचारियों का कहना है कि वे मजीठिया वेज बोर्ड की सिफारिशों को लागू करने की मांग को लेकर संघर्ष और तेज करेंगे। गौरतलब है कि दैनिक जागरण ने गुंडागर्दी करते हुए मजीठिया की मांग कर रहे 350 से अधिक कर्मचारियों को निलंबित व बर्खास्त कर दिया है। कर्मचारी न्याय की मांग को लेकर दिल्ली से लेकर नोएडा की सड़कों पर लगातार प्रदर्शन कर रहे हैं। कर्मचारियों का कहना है कि वे अपना हक़ लेकर रहेंगे और मालिकों और उनके चमचों को मेहनतकशों की बद्दुआएं जरूर लगेंगी।
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दैनिक जागरण के कर्मचारियों ने नोएडा में अर्धनग्न होकर किया प्रदर्शन, निकाला जुलूस
नई दिल्ली। मजीठिया वेज बोर्ड की सिफारिशों को लागू करने की मांग कर रहे दैनिक जागरण के कर्मचारियों ने सोमवार को नोएडा में अर्धनग्न होकर प्रदर्शन किया। इस दौरान कर्मचारियों ने लोगों को दैनिक जागरण के मालिकानों द्वारा की जा रही सुप्रीम कोर्ट की अवमानना के बारे में बताया। कर्मचारियों ने जागरण के मलिकानों द्वारा अपना हक़ मांगने पर बाहर किये गए 400 से अधिक कर्मचारियों के बारे में भी लोगों को जानकारी दी।
लोगों को मजीठिया वेज बोर्ड की सिफारिशों के बारे में भी बताया गया। इस दौरान नोएडा स्थित अमर उजाला, राष्ट्रीय सहारा के संस्थान के बाहर दैनिक जगरण के कर्मचारियों ने जमकर नारेबाजी की। इस दौरान कई लोगों ने जागरण का बहिष्कार करने और कर्मचारियों का साथ देने की भी बात कही। कर्मचारियों ने तय किया है कि निक्कर अभियान को जारी रखा जायेगा और आने वाले दिनों में कई जगहों पर इस तरह प्रदर्शन किया जायेगा।
कर्मचारियों का कहना है कि जागरण ने गुंडागर्दी की सारी सीमाएं पार कर दी हैं। मजीठिया की सिफारिशों को लागू करने की मांग करने पर कर्मचारियों को पिछले डेढ़ वर्ष से धमकाया जा रहा है। कर्मचारियों का कहना है कि वह अपना हक़ लेकर रहेंगे।
Rameshwar P
October 23, 2015 at 7:03 am
परम आदरणीय प्रदीप जी,
मैं आपका एक क्रांतिकारी हूं जो आपके पीछे पीछे लगभग एक साल से चल रहा हूं। आपके विचार एवं ओजस्वी भाषण से बहुत ही प्रभावित रहा हूं इसीलिए आपके आंदोलन का हिस्सा बना।
आपने मजीठिया मुद्दे पर असाध्य परिश्रम एवं खतरे मोल लेकर जिस प्रकार से कर्मचारियों के संघर्ष को एक आंदोलन तक पहुंचाया उसके लिए साधुवाद। आप एक मसीहा के तौर पर आए और हम सब में आशा का संचार किया।
आपके आवाह्न पर हमने आँख बंद कर आपने जो कहा वो किया। हम अपनी आर्थिक स्थिति सुधरने की आशा में बरबाद होते चले गए। आपके डर से मैं अपना सही नाम नहीं लिख रहा हूं।
एक बार जंगल में बंटवारा हुआ। एक हिस्से का राजा शेर और दूसरे का राजा बंदर बना। शेर सीमा रेखा लांघकर बकरी का बच्चा उठा ले गया। बकरी ने बंदर राजा के पास गुहार लगाई। बंदर कभी पेड़ पर चढ़ा कभी दूसरे पेड़ पर कूदा, इधर झांका उधर झांका लेकिन सीमा पार कर शेर के पास नहीं गया। बकरी के उलाहना देने पर बोला कि भाड़ में गया तेरा बच्चा तू ये बता कि मेरी भाग दौड़ में तो कोई कसर नहीं है।
यही हाल आपका है। आपके कहने पर हम जंतर मंतर पहुंचे आपने कहा हड़ताल करो तो हम वहीं रह गए। प्रेस नहीं गए। पर अखबार बंद नहीं हुआ। आपने अगले दिन कहा कि नोयडा चलो, आज कुछ भी हो जाए अखबार नहीं निकलने देंगे। वहां भी नहीं पहुंच सके। पुलिस ने आपसे बात की और आप सीमा रेखा पर ही रुक गए।
फिर आपने हमें डी.एम., सिटी मजिस्ट्रेट, एस पी, लेबर कमिशनर के पास रैली में चलने को कहा। हम हर जगह गए पर नतीजा तो दूर की बात वार्ता तक शुरू नहीं हो सकी। आप लोगों ने हमें जूते मारो नारा लगाने को कहा। अधिकारी इससे आहत हो गए और वार्ता भंग हो गई।
हम आपके पीछे चले और सिरोही जी के पीछे हो लिए। अब पता चला है कि एक उनके एक आंदोलन में एम. डी. मारा गया था।
आपने कहा संजय भैया का घर घेरेंगे। पर वहां भी आधा किलोमीटर दूर एक मंदिर के पीछे सभा और सड़क पर लाइन लगा नारे लगाने के अलावा कुछ नहीं हुआ। फिर से बंदर राजा सीमा रेखा से ही लौट आए।
हम लोगों को कच्छा पहना कर सड़क पर भिखारी बना दिया है। नौकरी है नहीं। त्यौहार का समय है। अब तो आशा भी खतम हो रही है। सबको डंडे पकड़ा दिए हैं। बच्चे परेशान हैं। मां बाप कोस रहे हैं। तनख्वाह बढ़वाने का ख्वाब दिखाकर सड़क पर भिखारी बनाकर रोज बंदर बनाकर सड़कों पर घुमा रहे हैं।
आपका बहुत सम्मान करते हैं। बहुत विश्वास किया था। पर ये तो बताइए कि बच्चों को जहर खिलाकर आपके आंदोलन को चाटें?
माफ करिएगा पर ये बताइये कि त्यौहार सिर पर है नौकरी है नहीं। कुछ कर सकते हैं तो ठीक वरना सबका समय बरबाद करना बंद करिए। आप तो राष्ट्रीय नेता बन गए पर हमारा क्या?
अब तो कभी कभी लगता है कि आपकी मुहीम या तो नेता बनने की है या व्यक्तिगत कारणों से मैनेजमेंट से खुन्नस निकालने की और बदला लेने की या दैनिक जागरण बंद कराने की।
हम यह सब नहीं चाहते हम पर कृपा करें। आप हमारे मसीहा हैं। हम आप पर विश्वास करते हैं। पर कभी कभी हम परेशान हो जाते हैं। आपके पास कोई समाधान है तो जल्दी निकालिए वरना हर जगह जाकर सीमा रेखा छूकर उछलकूद बंद करिए। कुछ ठोस करिए।
anu chauhan
October 25, 2015 at 6:19 am
gande logo khud to aapne kuch karna nhi hai prabandhan ke pair chatkar apna ullu sidha karne walo ydi is haq ki ladai me kisi ka sath nhi de sakte ho to kam se kam kisi ki aalochna to mat karo. agar diwali fiki pad bhi gyi to kya. aandolan ki saflata aapki puri zindagi samwar degi