औरत के उड़ते वस्त्रों वाली यह तस्वीर छापने पर टाइम्स आफ इंडिया की सोशल मीडिया पर खिंचाई

ये फोटो टाइम्स ऑफ इंडिया के मुखपृष्ठ पर है. कभी विदेशी अतिथियों की उडती ड्रेस की तस्वीर तो कभी दीपिका पादुकोण की क्लीवेज पर चर्चा पत्रकारिता के कौन से मापदंड स्थापित किए जा रहे हैं. पता नहीं. टाइम्स ऑफ इंडिया का यह कृत्य न केवल स्त्री की गरिमा पर वार करता है बल्कि यह यह भी दिखाता है कि उसकी मानसिकता क्या है? खैर, मैं टाइम्स ऑफ इंडिया लेना काफी पहले बंद कर चुकी हूं, पर कभी कभी ई-पेपर पढ़ती हूं.

थू है यूपी की ऐसी चापलूस पत्रकारिता और ऐसे बेशर्म नेताओं पर

बीते दिनों उत्तरप्रदेश के मुख्यमंत्री अखिलेश यादव चित्रकूट दौरे पर थे. प्रेस कांफ्रेंस के दौरान जहाँ वहां के पत्रकारों को जमीन पर नीचे बिठा दिया गया, वहीं खुद सीएम कुर्सी में बैठे पीसी लेते रहे. इस वाकये से छत्तीसगढ़ के पत्रकार योगेश स्तब्ध और ग़मज़दा हैं, एक पत्रकार होने के साथ ही पत्रकारिता का छात्र होने के नाते… पढ़िए उनका विश्लेषण….

महिला वीडियो जर्नलिस्ट ने टांग मारकर शरणार्थियों को गिराया, चैनल ने नौकरी से निकाला

एक न्यूज चैनल की महिला वीडियो जर्नलिस्ट पेत्रा लैज्लो ने एक शरणार्थी को टांग मार कर गिरा दिया. इस ओछी हरकत पर उसे अपनी नौकरी गंवानी पड़ी. कैमरा पकड़े नीली जैकेट में महिला पत्रकार की यह शर्मनाक हरकत इंटरनेट पर वायरल हो रही है. एन1टीवी चैनल की कैमरा वुमैन पेत्रा लैज्लो पुलिस से बच कर भाग रहे शरणार्थियों के एक समूह का वीडियो अपने कैमरे से शूट कर रही थीं. जब उसने एक आदमी को टांग अड़ा दी तो वह लडखड़़ाता हुआ गिर गया.

हम शर्मिन्दा हैं लेकिन हमें शर्म नहीं आती

सुनते आये हैं जो आया है वो जाएगा भी। सभी को जाना है लेकिन किस तरह से ? क्षमा करेंगे, एक और चला गया, पहले भी कई गए हैं। एकता के नारे लगाये जा रहे हैं। हक़ और बदले की भी बातें हो रहीं। कोई कम तो कोई ज्यादा आक्रमक भी है, जमात के लोग अपने अपने अंदाज में अपने अपने झंडे भी बुलंद कर रहे हैं। परिणाम की सुधि किसे है, ये बड़ा प्रश्न हो सकता है।

सरकारें किसी की भी रही हों, भारतीय होने पर कभी शर्म महसूस नहीं हुई मोदीजी!

कभी पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी से विदेशी धरती पर कांग्रेस के बारे में सवाल किया गया था तो उन्होंने कहा था कि इस बारे में मैं सिर्फ भारत में ही बोलूंगा। यहां मुद्दा यह नहीं है कि प्रधानमंत्री मोदी ने विदेशी धरती पर कांग्रेस की बुराई की। मुद्दा यह है कि प्रधानमंत्री शंघाई में अप्रवासी भारतीयों को संबोधित करते हुये ये बोल गये कि पहले लोग भारतीय होने पर शर्म करते थे लेकिन अब देश का प्रतिनिधित्व करते हुए गर्व होता है।

ये पत्रकार हैं या चाटुकार (देखें तस्वीरें)

ये दो तस्वीरें हिमाचल प्रदेश के जिला उना जिले की है. यहां के पत्रकारों की चाटुकारिता का नमूना हैं ये तस्वीरें. चाटुकारिता में ये पत्रकार इतने घिर गए कि इन लोगों को अपने पेशे की गरिमा का तनिक खयाल ही नहीं रहा. आखिर कैसे इनसे उम्मीद की जाएगी कि ये निष्पक्ष पत्रकारिता का धर्म निभाएंगे. सत्ता के चरणों में लोटने को आतुर इन पत्रकारों की करनी पर कलम के सच्चे सिपाहियों का सिर शर्म से झुक गया है.

सुमंत किस संपादक को सरेआम बेहया कह रहे हैं!

Sumant Bhattacharya : बेहया संपादक का रुदन… सच में हंसी आती है जब ढकोसलों को फेसबुक पर उछाले जाते पढता हूं। अभी हिंदी के एक संपादक की पोस्ट पढ़ी, जिसमें अमेरिका में राजदीप हुए हमले की निंदा और सत्ता के असहिष्णु हो जाने को लेकर बाकायदा रुदन किया गया। यह वही संपादक हैं जिन्होंने अपनी टीम के साथ पहली मीटिॆग में कहा था, रिपोर्टर और उपसंपादक बनना तो नियति है। यह वही हैं जनाब, जो संपादकीय सहयोगियों के सामने अपने पांच हजार रुपए के जूतों की खूबिया गिनाते थे, बजाय कि किसी राष्ट्रीय या अंतरराष्ट्रीय मुद्दे पर बात करे। जिन दो टकिया नेताओं के करीब जाने में हम और हमारे वरिष्ठ नाक भौं सिकोड़ते थे, उनके मंचों पर जाकर खुद बेशर्मी के साथ विराजते थे और आज भी बेशर्मी का यही आलम शवाब पर है।