यूपी की एक जेल के भीतर की रीयल जिंदगी देखें… क्या कुछ नहीं होता यहां… देखें वीडियो

झांसी जेल में सजा काट चुके कुछ कैदियों ने अंदर बनाए गए वीडियो को रिपोर्टर मधुर यादव को सौंपा…..  झांसी के पत्रकार मधुर यादव  ने जोरदार खुलासा किया है. उन्होंने झांसी की जेल के भीतर के रीयल फुटेज पब्लिक डोमन में लेकर आए हैं. इन फुटेज को देखने से पता चलता है कि जेल के भीतर नियम-कानूनों की धज्जियां उड़ाई जा रही हैं. वीडियो से साफ जाहिर है कि जेल के अंदर दुकानें सजती हैं जहां कैदियों को जिला कारगार प्रशासन की मदद से ऊंचे दामों में सामान बेचा जाता है.

आइसा छात्र नेता नितिन राज ने जेल से भेजा पत्र- ‘रिश्वत देकर रिहाई कतई कुबूल नहीं’

सरकारों का कोई भी दमन और उनके भ्रष्टतंत्र की कोई भी बेशर्मी और बेहयाई क्रांतिकारी नौजवानों के मंसूबों को तोड़ नहीं सकती……

साथियों,

आज शायद भारतीय छात्र आन्दोलन अपने इतिहास के सबसे दमनात्मक दौर से गुजर रहा है, जहाँ छात्रों को अपनी लोकतान्त्रिक माँगो को लेकर की गई छात्र आन्दोलन की सामान्य कार्यवाही के लिए भी राजसत्ता के इशारे पर महीनों के लिए जेल में डाल दिया जा रहा है. छात्र आन्दोलन से घबराई योगी सरकार, जो कि इसे किसी भी शर्त पर कुचल देना चाहती है, हमें इतने दिनों तक जेल में रख कर हमारे मनोबल को तोड़ने की कोशिश कर रही है. लेकिन हम क्रान्तिकारी परम्परा के वाहक हैं हमारे आदर्श भगतसिंह और चंदू हैं, सावरकर नहीं, जो जेल के भय से माफ़ीनामा लिखकर छूटे और अंग्रेजों की दलाली में लग गए. हमें अगर और दिनों तक जेल में रहना पड़ा तब भी हम कमजोर पड़ने वाले नहीं हैं.

ईमानदार जज जेल में, भ्रष्टाचारी बाहर!

सुप्रीम कोर्ट देश की सबसे बड़ी अदालत है, इसलिए उसका फ़ैसला सर्वोच्च और सर्वमान्य है। चूंकि भारत में अदालतों को अदालत की अवमानना यानी कॉन्टेम्प्ट ऑफ़ कोर्ट की नोटिस जारी करने का विशेष अधिकार यानी प्रीवीलेज हासिल है, इसलिए कोई आदमी या अधिकारी तो दूर न्यायिक संस्था से परोक्ष या अपरोक्ष रूप से जुड़ा व्यक्ति भी अदालत के फैसले पर टीका-टिप्पणी नहीं कर सकता। इसके बावजूद निचली अदालत से लेकर देश की सबसे बड़ी न्याय पंचायत तक, कई फ़ैसले ऐसे आ जाते हैं, जो आम आदमी को हज़म नहीं होते। वे फ़ैसले आम आदमी को बेचैन करते हैं। मसलन, किसी भ्रष्टाचारी का जोड़-तोड़ करके निर्दोष रिहा हो जाना या किसी ईमानदार का जेल चले जाना या कोई ऐसा फैसला जो अपेक्षित न हो।

भारत के इतने सारे मीडिया हाउसों के मालिक जेल में! पढ़िए पूरी लिस्ट और इनकी पूरी कहानी

आजादी के बाद यह पहला मौका है, जब इतनी बड़ी संख्या में ‘मीडिया’ के मालिक जेल की सलाखों के पीछे पहुंचे हैं। सहारा टीवी समूह के मालिक सुब्रत रॉय सहारा जेल में हैं और जमानत की राशि के इंतजाम में लगे है। लगभग दो साल में वे जमानत की राशि इकट्ठा नहीं कर पाए। दो लाख करोड़ के साम्राज्य का मालिक होने का दंभ भरने वाले सुब्रत रॉय दस हजार करोड़ नहीं जुटा पा रहे हैं। इसी तरह पी-7 चैनल और पर्ल ग्रुप के मालिक निर्मल सिंह भंगू भी जेल में हैं। खबर भारती चैनल के मालिक बघेल सांई प्रसाद समूह के शशांक प्रभाकर, महुआ ग्रुप के हिन्दी, भोजपुरी, बांग्ला भाषाओं के कई चैनलों के मालिक पी.के. तिवारी भी जेल में हैं। इसी तरह शारदा ग्रुप के चैनल-10 के मालिक सुदीप्तो सेन भी जेल में हैं। समृद्ध जीवन परिवार नामक चिटफंड कंपनी के मालिक और लाइव इंडिया नाम के चैनल के मालिक महेश किसन मोतेवार जेल में बंद हैं। इनमें से अधिकांश टीवी चैनलों के मालिक धोखाधड़ी के मामले में गिरफ्तार हैं।

अब सहाराश्री को जेल में चाहिये फाइव स्टार सुविधाएं

सहारा प्रमुख सुब्रत रॉय ने तिहाड़ जेल में पुनः विशेष सुविधाओं की मांग की है जो उन्हें 30 सितंबर तक कोर्ट के आदेश से मिली थी। इसके लिए उनकी ओर से तिहाड़-प्रशासन को पत्र लिखा गया है। हालांकि तिहाड़ प्रशासन ने स्पष्ट कर दिया है कि बिना अदालत के आदेश के उस तरह की सुविधा नहीं दी जा सकतीं। रॉय ने कहा है कि होटल बेचने के लिए खरीदारों से बातचीत उन सुविधाओं के बिना संभव नहीं है। रॉय के अनुसार होटलों की बिक्री के लिए बातचीत लगभग 80 प्रतिशत पूरी हो चुकी है। उक्त सौदों के लिए पहले उन्हें तिहाड़ में एसी कार्यालय, फोन, इंटरनेट और वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग की सुविधाएं दी गईं थी, जो बाद में वापस ले ली गईं।

लौट के सुब्रत जेल को आए

Subrat Roy

तिहाड़ के कांन्फ्रेंस हॉल में बनाए गए अस्थायी जेल-दफ्तर में करीब दो महीने रहने के बाद सुब्रत राय वापस कारागार लौट आए हैं। सुप्रीम कोर्ट ने रॉय को उनकी विदेशी संपत्ति बेचने के लिए तिहाड़ के कॉन्फ्रेंस हॉल के इस्तेमाल की इजाज़त दी थी।