डॉ. राजाराम त्रिपाठी का नाम देश के प्रगतिशील किसानों की प्रथम श्रेणी में है. उनके बारे में सही परिचय ये है कि यह पढ़ा लिखा किसान इस ग्रह की जैव विविधता सुरक्षित रखने के लिए न सिर्फ सक्रिय है बल्कि एक व्यक्ति कितना कुछ कर सकता है, इस पैमाने पर वे सफल भी हैं. बैंक की स्थायी नौकरी छोड़ कर खेती किसानी के रास्ते देश को गौरव देने वाले राजाराम त्रिपाठी एक कवि भी हैं, साहित्यकार भी हैं, संपादक भी हैं. उनका कई कविता संग्रह छप चुके हैं. वे एक मैग्जीन प्रकाशित करते हैं. वे कई किताबों के लेखक हैं. उनका लिखा कई जगहों पर छपता है. उनके अदभुत काम के कारण उन्हें दर्जनों अंतरराष्ट्रीय और राष्ट्रीय पुरस्कारों से सम्मानित किया गया है. उन्होंने भारत की जैव विविधता और मिट्टी की ताकत को कोई अंतराराष्ट्रीय मंचों पर गर्व के साथ प्रदर्शित किया और पूरे देश को गौरवान्वित किया.
डा. राजाराम त्रिपाठी ने 17 सालों से छत्तीसगढ़ के बस्तर में हर्बल मेडिसन और एरोमैटिक प्लांटस की आर्गेनिक खेती कर रहे हैं और इसके जरिए अपने गांव, जिले, प्रदेश, देश को दुनिया भर में एक नाम पहचान दिया है. आर्गेनिक हर्बल फार्मर और हर्बल वैज्ञानिक राजाराम के प्रयासों से कोडागाँव में बनाए गए उनके चिखलपुटी के हर्बल फार्म को अंतरराष्ट्रीय मापदंडों पर प्रमाणित भारत का प्रथम हर्बल फार्म होने का गौरव प्राप्त हुआ. इस बाबत उन्हें सन् 2000 में प्रमाण पत्र भी मिला.
बस्तर जिले के दरभा विकास खंड के ककनार ग्राम में 12 जनवरी 1962 को पिता श्री जगदीश प्रसाद त्रिपाठी के घर पैदा हुए श्री राजाराम त्रिपाठी बी.एस.सी, एल.एल.बी, एम.ए अर्थशास्त्र, एम.ए हिन्दी, एम.ए. इतिहास की पढ़ाई के बाद पब्लिक सेक्टर बैंक में अफसर बन गए. नया करने की चाहत के कारण उन्होंने बैंक की स्थायी नौकरी और सुरक्षित भविष्य का मोह छोड़ पूरी तरह ऑर्गेनिक मेडिशनल हर्बल फार्मिंग में लग गए. राजाराम ने न केवल ऑर्गेनिक पद्धतियों को अपनाकर औषधीय पौधों की वृहद खेती के क्षेत्र में विशिष्टता हासिल की है वरन इस कार्य के लिए बस्तर और रायपुर जिलों में कृषि भूमि का विस्तार एक हजार से भी ज्यादा एकड़ तक कर दिया है.
जिस दौर में हरित क्रांति वाले इलाकों से बाहर के गिने़ चुने किसान ही अपनी खेती के कामकाज को फैलाने के प्रति सकारात्मक रवैया अपना रहे थे, उस दौर में राजाराम ने अकेले देश ही नहीं बल्कि विदेश तक के बाजारों में भारतीय औषधीय पौधों के प्रचार प्रसार हेतु संभावनाएं तलाशी और इसके जरिए एक ठीकठाक बिजनेस माडल डेवलप किया जिससे इलाके के स्थानीय निवासियों को जबरदस्त फायदा हुआ. राजाराम ट्रेडिशनल हेल्थ प्रैक्टिस (टी.एच.पी.), ट्रेडिशनल हेल्थ थेरेपी (टी.एच.टी), एथनिक मेडिको प्रैक्टिस (ई.एम.पी.), जनजातियों के अपने डॉक्यूमेंटेशन बिसियन हॉर्न मारिया और मुरिया तथा गोंड में सक्रिय रूप से व्यस्त रहे. उन्होंने टिशू कल्चर के जरिये विलुप्त प्राय किस्मों के संरक्षण-संवर्द्धन का काम किया. इसके बारे में रेड डाटा बुक में भी बताया गया है. इन किस्मों में गुग्गुल, कैमिफोरा विघटी, सर्पगंधाए रॉवेलफिया सरपेंटिना, सफेद मुसलीए क्लोरोफाइटम बोरिविलेनम, वाचा, एकोरस कैलामस और अशोका इंडिका शामिल हैं.
वर्तमान में भारत के 19 राज्यों में एक हजार से ज्यादा एकड़ में फैले 210 से भी अधिक हर्बल फार्मों को राजाराम त्रिपाठी बीज उपलब्ध कराते हैं और उनके सलाहकार भी हैं. इन्फॉरमेशन ट्रेनिंग और कल्टीवेशन, ऑर्गेनिक तरीके से उगाए जाने वाले औषधीय व गंधी पौधों की मार्केटिंग और डिस्ट्रीब्यूशन के एक नेटवर्क को भी चलाते हैं जिसके पूरे देश में 21 हजार से ज्यादा किसान सदस्य हैं. चैम्फ इंडिया और सम्पदा के तहत उन्होंने देश का सबसे समृद्ध हर्बल स्पेशीज गार्डन्स बनाए जहाँ 70 दुर्लभ, विलुप्तप्राय और खतरे से घिरी किस्मों की नियमित रूप से जाँच की जाती है और विशेषज्ञों की देखरेख में उन्हें विकसित किया जाता है। वे हर्बल फार्मिंग और मार्केटिंग के जरिए ग्रामीण युवकों के लिए रोजगार के अवसर पैदा करने हेतु भारतीय औषधीय और गंधी फसलों तथा एथनो मेडिको फॉरेस्ट की स्थापना हेतु ऑर्गेनिक कल्टीवेशन के संवर्द्धन में लगे हुए हैं।
वे हमेशा किसानों की समृद्धि और दुनिया में शांति बनाए रखने की कोशिशों में लगे रहते हैं। इसके लिए वे अधिक मुनाफे वाली वहनीय ऑर्गेनिक खेती हेतु निरंतर सम्पूर्ण समाधान उपलब्ध कराते हैं ताकि इस ग्रह की जैव विविधता सुरक्षित रहे। उन्होंने हर्बल, औषधीय और गंधी पौधों एरोमैटिक प्लांटस को बड़े स्तर पर उगा कर कृषि व्यवसाय में एक नया अध्याय जोड़ा है और साबित कर दिया है कि पैसा पेड़ों पर उग सकता है। एक पूर्व बैंकर, श्री राजाराम त्रिपाठी को अपने प्रयासों में अनोखी सफलता मिली है और भारत के 19 राज्यों में मौजूद 20 हजार से ज्यादा किसान वहनीय ऑर्गेनिक कृषि पद्धतियों को अपनाने के लिए प्रेरित हुए हैं।
उन्होंने अपने कार्यक्षेत्र कोंडागाँव को पूरी दुनिया में मशहूर कर दिया है और जनजातीय परिवारों को ऑर्गेनिक हर्बल फार्मिंग में लगाया है साथ ही वे सशक्त मार्केटिंग रणनीति अपना रहे हैं। इस दिशा में आर्गेनिक हर्बल ग्रुप मां दंतेश्वरी हर्बल प्रोडक्टस लिमिटेड, एमडीएचपी इस दिशा में सराहनीय कार्य कर रहा है। डॉ. त्रिपाठी के एकल प्रयासों से इन फसलों को उगाने वाले लोगों को जड़ी बूटियों और औषधीय पौधों के विशाल बाजार का लाभ उठाने में बड़ी मदद मिली है। श्री राजाराम त्रिपाठी का मिशन कृषि क्षेत्र को एक मुनाफे वाला व्यवसाय बनाना, कृषकों के आर्थिक कल्याण को सुनिश्चित करना ताकि भारत, कृषि उद्योग पर आधारित एक ताकतवर देश बने, क्योंकि उनकी भारतीय एकत्व की दृष्टि यह मानती है कि कृषि और कृषक भारतीय सामाजिक आर्थिक क्षेत्र की रीढ़ की हड्डी हैं। अपने इस लक्ष्य और पूरे देश के हजारों किसानों की शुभेच्छाओं और साख के साथ वे बड़ी उम्मीद से भविष्य की ओर देख रहे हैं। इन सब कामों के साथ राजाराम ने अपनी साहित्यिक रुचि को हमेशा जिंदा रखा और उसको पूरा निखरने दिया. अब तक उनकी कई किताबें, रचनाएं छप चुकी हैं.
भड़ास4मीडिया डा. राजाराम त्रिपाठी को सम्मानित कर इस ग्रह को बचाने के छिटपुट कोशिशों को मजबूती प्रदान करना चाहता है. साथ ही यह बताना चाहता है कि कोई आदमी सिर्फ नौकरी कर के ही अपना बेस्ट नहीं हासिल कर सकता. उसे बड़ा और नया करना है तो रिस्क लेने पड़ेंगे, वो करना पड़ेगा जो दिल कहता है. राजाराम त्रिपाठी ने खेती किसानी के रास्ते सम्मान, पहचान और समृद्धि हासिल कर एक ट्रेंड शुरू किया है जिससे सबमें यह मैसेज जाए कि एक किसान चाह ले तो क्या नहीं कर सकता. खासकर वो किसान जो खूब पढ़ा लिखा हो और बहुमुखी समझ रखता हो. ऐसा क्यों नहीं हो सकता कि हम सब राजाराम की तरह अपने अपने इलाके में जाकर खेती किसानी को नई उंचाई दें, साथ ही इसके जरिए अपने परिवार, गांव, समाज, प्रदेश, देश को नई पहचान दिलाएं. राजाराम त्रिपाठी हम सबके लिए प्रेरणा हैं. उन्हें 11 सितंबर 2016 को दिल्ली के कांस्टीट्यूशन क्लब में भड़ास मीडिया सरोकार एवार्ड से सम्मानित किया जाएगा.
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