हम भारत के लोग बचपन से ही नौकरी करने के लिए ट्रेंड किए जाते हैं. कभी यह नहीं पढ़ाया सिखाया जाता है कि आप खुद कैसे एक सफल उद्यमी बनकर दूसरों को रोजगार दे सकते हैं. खासकर मीडिया की बात करें तो यहां मीडियाकर्मी नौकरी पाने, नौकरी बचाए रखने और नौकरी चले जाने पर नौकरी खोजने में अपना जीवन गुजार देता है. वह अपनी आत्मा, अपने सम्मान, अपने आत्मविश्वास, अपनी ईमानदारी सबसे समझौता करता चला जाता है एक अदद नौकरी के लिए. लेकिन मीडिया के कुछ साथी हमारे आपके बीच में ऐसे भी हैं जिन्होंने करियर की शुरुआत तो मीडिया में नौकरी करने से की लेकिन जल्द ही उन्होंने समझ लिया कि उनका रास्ता ये नहीं है. इन साथियों ने अपने अपने प्रयासों, संघर्षों और प्रयोगों से नया रचा और बड़ा मुकाम हासिल करने की ओर अग्रसर हैं. ऐसे ही तीन साथियों को भड़ास4मीडिया ने इस बार उद्यमिता के लिए सम्मानित करने का फैसला लिया है. इनके नाम हैं- संजय शर्मा, अशोक दास और विवेक सत्य मित्रम्.
‘नया लक्ष्य’ नामक प्रतियोगी परीक्षा मैग्जीन का लोकार्पण यूपी के सीएम अखिलेश यादव ने अपने आवास पर किया. सबसे बाएं संपादक संजय शर्मा.
लखनऊ के वरिष्ठ पत्रकार संजय शर्मा यूपी में बदायूं के रहने वाले हैं. सहारा मीडिया से करियर की शुरुआत करने के बाद उन्होंने एक वीकएंड टाइम्स नाम से वीकली हिंदी दैनिक की शुरुआत लखनऊ से की. इन दिनों वह चर्चित सांध्य अखबार 4पीएम और एक प्रतियोगी परीक्षा मैग्जीन नया लक्ष्य का भी प्रकाशन संपादन करते हैं. खुद की प्रिंटिंग मशीन लगाकर और मार्केट से जॉब वर्क जुटाकर उद्यमिता के दम पर पैसे जोड़ने वाले संजय ने अपनी इच्छाशक्ति और समझ के बल पर खुद को भीड़ से अलग साबित किया. उनके नए नवेले मीडिया संस्थान में दर्जनों मीडिया कर्मी काम करते हैं. संजय वीकएंड टाइम्स हिंदी वीकली का विस्तार उत्तराखंड से करने जा रहे हैं और 3 सितंबर को देहरादून में उनके अखबार का लोकार्पण उत्तराखंड के मुख्यमंत्री हरीश रावत करेंगे. लखनऊ प्रेस क्लब और मान्यता प्राप्त संवाददाता समिति के पदाधिकारी संजय शर्मा ने कई बार अपने अखबारों में ऐसी बड़ी खबरें ब्रेक की जिससे शासन सत्ता हिल गया. हाल फिलहाल उन्होंने पंचायती राज विभाग के एक बड़े घोटाले का पर्दाफाश किया जिसका संज्ञान लेकर शासन ने इस घोटाले को प्रश्रय देने वाले शासनादेश को रद्द कर दिया.
(हिंदुस्तान टाइम्स अखबार में पत्रकार अशोक दास और उनकी मैग्जीन दलित दस्तक के बारे में रिपोर्ट.)
अशोक दास बिहार के रहने वाले हैं और इंडियन इंस्टीट्यूट आफ मास कम्यनिकेशन दिल्ली से पत्रकारिता की पढ़ाई करने के बाद अमर उजाला अलीगढ़ के हिस्से बने. कई सामाजिक राजनीतिक मु्ददों से प्रभावित होकर उन्होंने नौकरी से इस्तीफा देने के बाद लंबी पदयात्रा की. बाद में दिल्ली आकर कुछ दिन तक भड़ास4मीडिया के साथ काम किया. बाद में ‘दलित दस्तक’ नाम से खुद की मैग्जीन शुरू की. आज यह मैग्जीन पूरे देश में दलित विमर्श का केंद्र है और इसकी हजारों प्रतियां प्रसारित होती है. मीडिया में दलितों-वंचितों की आवाज न के बराबर होने के कारण अशोक दास ने अपने जीवन का उद्देश्य बाबा साहब भीमराव अंबेडकर के नक्शेकदम पर चलते हुए उत्पीड़ितों को जागरूक करना बनाया है और इसके लिए ‘दलित दस्तक’ मैग्जीन और वेबसाइट से लगातार अग्रसर है. इन्होंने कई चुनौतियों और मुश्किलों को झेलते हुए दलित दस्तक को न सिर्फ खड़ा किया बल्कि एक पब्लिशिंग हाउस की भी स्थापना की जिसके जरिए कई तरह की जनसरोकार वाली किताबों का प्रकाशन करते हैं. आज ये दर्जनों साथियों को रोजगार देने के साथ साथ मीडिया में पूरे देश के वंचितों की आवाज बन गए हैं. अशोक को कम समय में शानदार काम के लिए कई एवार्ड मिल चुके हैं और कई नेशनल अखबारों ने उनके बारे में विस्तार से आलेखों का प्रकाशन किया है. अशोक दास के जीवन के सफर के बारे में ज्यादा जानकारी इस लिंक पर क्लिक कर पा सकते हैं: https://www.youtube.com/watch?v=otj5wBDs3cs
(एडवाइस अड्डा डाट काम के संस्थापक विवेक सत्य मित्रम्)
विवेक सत्य मित्रम् का जन्म उत्तर प्रदेश के गाज़ीपुर जिले की जमानियां तहसील में आने वाले किशुनीपुर गांव में एक मध्यम वर्गीय परिवार में हुआ. उनके पिता कुमार शैलेन्द्र हिंदी के जाने-माने कवि और साहित्यकार और बिहार के एक डिग्री कॉलेज में अंग्रेजी साहित्य के विभागाध्यक्ष हैं. विवेक ने 2002 में जाने-माने जनसंचार संस्थान आईआईएमसी में दाखिला ले लिया. 2003 में जनसत्ता में इंटर्नशिप करने के बाद सहारा समय चैनल में बतौर ट्रेनी करियर शुरू किया. बाद में पीटीआई का हिस्सा बने. वहां से स्टार न्यूज़ चले गए. 2008 में इंडिया न्यूज़ की स्पेशल टीम का हिस्सा बने जहां स्पेशल प्रोग्रामिंग हेड से लेकर स्क्रिप्ट इंचार्ज, एग्जीक्यूटिव प्रोड्यूसर और आउटपुट एडिटर की भूमिका तक निभाई. रीजनल चैनल इंडिया न्यूज़ हरियाणा की लांचिंग में अहम योगदान दिया. साल 2011 में महज़ 27 साल की उम्र में बतौर मैनेजिंग एडिटर और चैनल हेड एक नए लांच हो रहे चैनल जनता टीवी की कमान थामी. साल 2012 में फिर विवेक ने इंडिया न्यूज़ ग्रुप में वापसी की। उन्हें ग्रुप की न्यूज़ एजेंसी न्यूज़ वायर सर्विस यानि एनडब्ल्यूएस के हिंदी विंग का एडिटर बनाया गया. इसके बाद नेशनल न्यूज़ चैनल जिया न्यूज़ में बतौर एसाइनमेंट एडिटर पारी शुरू की. 30 दिसंबर 2013 को अपना वेंचर शुरू करने के लिए उन्होंने चैनल को अलविदा कह दिया.
साल 2014 की शुरूआत के साथ ही विवेक ने 30 साल की उम्र में अपने जीवन की पारी एक आंत्रप्रेन्योर के तौर पर शुरू की और एक अपना ऑनलाइन वेंचर ‘एडवाइस अड्डा डॉट कॉम’ लांच किया जो देश में अपनी तरह का पहला ऐसा वेंचर है जहां जिंदगी के हर मसले पर सलाह लेने के लिए 50 से ज्यादा वर्गों में तकरीबन 500 से ज्यादा विशेषज्ञ मौजूद हैं जिनमें डॉक्टर, लॉयर, साइकोलॉजिस्ट, करियर एडवाइज़र, लाइफ़ कोच, डाइटिशियन शामिल हैं. एडवाइस अड्डा अपनी तरह का पहला और इकलौता ऑनलाइन वेंचर है जहां कोई भी व्यक्ति अपने जीवन की उलझनों और समस्याओं को सुलझाने के लिए अपनी पहचान ज़ाहिर किए बगैर एक्सपर्ट एडवाइस ले सकता है. इसके लिए पैसे खर्च करने की भी ज़रूरत नहीं है. पिछले दो सालों में एडवाइस अड्डा ने 18 लाख से ज्यादा लोगों की मदद की है और आज की तारीख में हर महीने इस प्लेटफार्म पर एक लाख से ज्यादा लोग अपनी परेशानियां सुलझाने के लिए एक्सपर्ट्स एडवाइस ले रहे हैं. विवेक सत्य मित्रम् को उनके अनोखे वेंचर के लिए ना केवल संयुक्त राष्ट्र संघ की ओर से सम्मानित किया गया बल्कि देश-दुनिया की 70 से अधिक जानी-मानी पत्र पत्रिकाओं ने उनके बारे में लिखा जिनमें बीबीसी वर्ल्ड सर्विस से लेकर इंडिया टुडे, तहलका, बिजनेस स्टैंडर्ड, हिंदुस्तान टाइम्स, एशियन एज, डेक्कन हेराल्ड, बिग एफएम, आजतक, ज़ी न्यूज़ जैसे मीडिया हाउस शामिल हैं. विवेक आजकल एडवाइस अड्डा के विस्तार में लगे हुए हैं.
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