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नहीं पहुंचे प्रमुख अतिथि, ‘जिया इंडिया’ मैग्जीन की लांचिंग फ्लॉप

रोहन जगदाले को अब समझ में आ रहा होगा कि मीडिया का क्षेत्र बाकी धंधों-बिजनेसों से अलग है और जो इसे धूर्तता, चालाकी, कपट, क्रूरता के साथ चलाना चाहता है उसे अंततः निराशा हाथ लगती है और करोड़ों गंवाकर हाथ जलाकर एक न एक दिन इस मीडिया क्षेत्र से बाहर निकलने को मजबूर हो जाना पड़ता है. यकीन न हो तो पर्ल ग्रुप के न्यूज चैनलों और मैग्जीनों का हाल देख लीजिए. पी7न्यूज, बिंदिया, मनी मंत्रा.. सबके सब इतिहास का हिस्सा बन गए. खरबों रुपये गंवाकर इसके मालिक को मीडिया से कुछ नहीं मिला. इसलिए क्योंकि मीडिया हाउस के शीर्ष पदों पर गलत लोगों को बिठाया गया और मीडिया हाउस खोलने का मकसद मूल कंपनी के छल-कपट को छिपाना-दबाना घोषित किया गया.

रोहन जगदाले को अब समझ में आ रहा होगा कि मीडिया का क्षेत्र बाकी धंधों-बिजनेसों से अलग है और जो इसे धूर्तता, चालाकी, कपट, क्रूरता के साथ चलाना चाहता है उसे अंततः निराशा हाथ लगती है और करोड़ों गंवाकर हाथ जलाकर एक न एक दिन इस मीडिया क्षेत्र से बाहर निकलने को मजबूर हो जाना पड़ता है. यकीन न हो तो पर्ल ग्रुप के न्यूज चैनलों और मैग्जीनों का हाल देख लीजिए. पी7न्यूज, बिंदिया, मनी मंत्रा.. सबके सब इतिहास का हिस्सा बन गए. खरबों रुपये गंवाकर इसके मालिक को मीडिया से कुछ नहीं मिला. इसलिए क्योंकि मीडिया हाउस के शीर्ष पदों पर गलत लोगों को बिठाया गया और मीडिया हाउस खोलने का मकसद मूल कंपनी के छल-कपट को छिपाना-दबाना घोषित किया गया.

रोहन जगदाले का जिया ब्रांड भी इसी तरह आजकल मझधार में लटका अटका हुआ है. न्यूज चैनल जिया न्यूज के सैकड़ों कर्मचारियों की सेलरी हड़प कर और अचानक से इन्हें सड़क पर लाकर रोहन जगदाले ने सोचा था कि वह एसएन विनोद के बड़बोलेपन के जरिए न्यूज चैनल की नैया छोड़कर मैग्जीन की डोंगी पकड़ेंगे तो पार लग जाएंगे लेकिन ऐसा हो न सका. मैग्जीन लांचिंग बेहद फ्लाप रही. बुजुर्ग एसएन विनोद ने अपने लंबे करियर और संबंधों की लाख दुहाई दे ली लेकिन लांचिंग समारोह में शिरकत करने कुलदीप नैय्यर, राम बहादुर राय, एनके सिंह, पुण्य प्रसून बाजपेयी आदि नहीं पहुंचे. सिर्फ राहुल देव गए लेकिन उन्होंने मंच से जो कुछ कहा, उसे सुनकर एसएन विनोद को पत्रकारिता और दिल्ली छोड़कर एक बार फिर नागपुर लौट जाना चाहिए. बताया गया कि राहुल देव ने मंच से कहा कि आप लोगों की नीयत साफ नहीं है. न्यूज चैनल चला नहीं पाए. अब मैग्जीन चलाने जा रहे हैं. कुछ ऐसी ही बातें राहुल देव ने कहीं. नितिन गडकरी जैसे विवादित और कार्पोरेट परस्त व्यक्ति के हाथों मैग्जीन की लांचिंग से क्या संदेश गया है, ये सबको पता है. 

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फिलहाल इतना तो कहा जा सकता है कि जिया न्यूज चैनल के मीडियाकर्मियों की एकता की जीत हुई है. इन कर्मियों के अनुरोध पर आधा दर्जन से अधिक वरिष्ठ पत्रकारों ने जिया इंडिया के लांचिंग समारोह का बहिष्कार किया. यह अपने आप में एसएन विनोद के लिए सबक है. वे एक साथ मालिक के करीबी, धंधा फ्रेंडली, सरोकारी, पत्रकारों के करीबी नहीं हो सकते. उन्हें तय करना चाहिए कि उन्हें करना क्या है. सिर्फ लंबी लंबी लगातार छोड़ते रहने से मीडिया की इस छोटी दुनिया में पर्सनालिटी के एक्सपोज होने में वक्त नहीं लगता है.

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0 Comments

  1. purushottam asnora

    December 4, 2014 at 1:37 am

    medoa mai dhandhe k liye aane wale logou ki jagah nhi honi chahiye, durbhagy se media malik aaj bhi akhabar ya chenal ko dhandhe se adhik nhi samajh nhi samajh rahe hain.

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