Mohammad Anas : ओम थानवी जी की मदद की अपील —- दोस्तों, हम सबके बेहद प्रीय जनसत्ता के पूर्व सम्पादक ओम थानवी जी अब नौकरी से रिटायर हो गए हैं. उन्होंने केके बिरला फाउंडेशन द्वारा अपनी किताब के लिए बाबरी विध्वंस के आरोपी कल्याण सिंह के हाथ से एक लाख रुपए का पुरूस्कार लिया है. कल्याण न सिर्फ बाबरी विध्वंस के आरोपी हैं बल्कि उन पर सांप्रदायिक माहौल बिगाड़ने के लिए हेट स्पीच, दंगा भड़काने, घोटाले तक के आरोप लगे हुए हैं. जैसे तालिबान का मुल्ला उमर वैसे ही भाजपा के कल्याण सिंह. फेसबुक पर श्री ओम थानवी जी ने लिखा है कि पुरूस्कार लेने से मेरे दुश्मनों को दिक्कत हो गई है.
सर, हम सब आपके बच्चे हैं, दोस्त हैं, आपकी बातों को खुद में जीने का प्रयास करते हैं. यह जानकार बेहद अफ़सोस हुआ कि आपने एक लाख रुपए के लिए अपनी विचारधारा, अपनी बातों, अपने संघर्षों से किनारा करने में एक मिनट का भी समय नहीं लगाया. उनके समक्ष गिर गए जिनके सामने सीना ताने खड़े होने का एहसास कराते थे. राजभवन में आपने कुछ भी कहा हो लेकिन पुरूस्कार लेने के लिए जब आपने हाथ बढ़ाया था तभी आपने कल्याण सिंह को स्वीकार कर लिया था.
हम नहीं चाहते की आगे आप जैसा कोई संघर्षशील बुजुर्ग अपने सारे किये धरे पर यूं मिट्टी लीप दे इसलिए आपके बैंक अकाउंट में उतना अमाउंट भेज रहे हैं जितना की आपने कल्याण सिंह के हाथों से लिया है. ताकि आपको एहसास हो जाए की कल्याणों और तोगड़ियों से लड़ने वाले लोग भी एक लाख दे सकते हैं. मैं अपने दोस्तों से अपील करूंगा की वे कमेन्ट में उस धनराशी का उल्लेख करें जितना वे ओम थानवी जी को देना चाहते हैं. रुपयों का कलेक्शन होते ही ओम जी को पहुंचा दिया जाएगा. यदि फेसबुक से इतना पैसा नहीं मिल सका तो मैं व्यक्तिगत रूप से इसे जुटाऊंगा. लेकिन उम्मीद है यहाँ से मायूसी नहीं मिलेगी. न्यूनतम -सौ रुपए. अधिकतम- दस हजार रुपए. मैं दस हजार रुपए की पहली मदद करने की घोषणा करता हूँ..
सर हम आपके दुश्मन नहीं हैं,इसलिए पैसा जुटा रहे हैं ताकि एक दंगाई के हाथों से एक लाख रुपए लिए जाने को न्यायोचित ठहराने को आप अपनी गलती माने. हम ऐसी किसी परम्परा के विरोधी हैं. यह वैचारिक अस्मिता की लड़ाई है जिसमें आप मात्र एक व्यक्ति नहीं बल्कि विचार हैं. और हम सब मात्र पैसों के लिए आपका पतन होते नहीं देख सकते/
निवेदनकर्ता-
-ओम थानवी जी के विचारों के लिए उनका सम्मान करने वाले हम सब लोग.
पत्रकार और सोशल एक्टिविस्ट मोहम्मद अनस के फेसबुक वॉल से.
मूल पोस्ट :