अंग्रेजी वेबसाइट स्क्रॉल ने हमले में मुसलमानों के शामिल होने की फर्जी ख़बर बनाई!

Mohammad Anas : स्क्रॉल ने की शर्मनाक हरकत। अंग्रेजी वेबसाइट स्क्रॉल ने इस्लामोफोबिक होते हुए बालेंदु स्वामी के नास्तिक मिलन प्रोग्राम पर हुए हमले में मुसलमानों के शामिल होने की फर्जी ख़बर बनाई। कार्यक्रम में शामिल होने आए नास्तिक मित्रों से प्राप्त जानकारी के आधार पर तथा दो प्रमुख एवं प्रतिष्ठित समाचारपत्रों के संवाददाता मित्रों के अनुसार वहां सिर्फ बजरंग दल/ विश्व हिंदू परिषद तथा लोकल हिंदू धार्मिक संत एवं जनता ने विरोध प्रदर्शन तथा मारपीट की।

भाजपाई कब तक मुसलमानों और दलितों के लिए कुत्ता और कुत्ते के बच्चे जैसे शब्दों का इस्तेमाल करते रहेंगे?

(मोहम्मद अनस)

Mohammad Anas : हरियाणा में दो दलित बच्चों को जिंदा जलाए जाने पर रक्षा राज्य मंत्री वीके सिंह ने कहा, ‘कोई कुत्ते को पत्थर मार दे तो सरकार ज़िम्मेदार नहीं होती।’ मंत्री जी कुत्ते के मारने पर किसी ने सरकार को ज़िम्मेदार नहीं ठहराया, हम सब तो इंसानियत की हिफाजत करने में जानबूझ कर पीछे रहने वाली सरकार से सवाल कर रहे हैं कि आखिर कब खत्म होगा हिंसा का सिलसिला। आखिर कब तक मुसलमानों और दलितों के लिए कुत्ता और कुत्ते के बच्चे का शब्द इस्तेमाल करते रहेंगे भाजपाई?

ओम थानवी के लिए एक लाख रुपये चंदा इकट्ठा करने की अपील ताकि वो फिर किसी कल्याण के हाथों एवार्ड न लें

Mohammad Anas : ओम थानवी जी की मदद की अपील —- दोस्तों, हम सबके बेहद प्रीय जनसत्ता के पूर्व सम्पादक ओम थानवी जी अब नौकरी से रिटायर हो गए हैं. उन्होंने केके बिरला फाउंडेशन द्वारा अपनी किताब के लिए बाबरी विध्वंस के आरोपी कल्याण सिंह के हाथ से एक लाख रुपए का पुरूस्कार लिया है. कल्याण न सिर्फ बाबरी विध्वंस के आरोपी हैं बल्कि उन पर सांप्रदायिक माहौल बिगाड़ने के लिए हेट स्पीच, दंगा भड़काने, घोटाले तक के आरोप लगे हुए हैं. जैसे तालिबान का मुल्ला उमर वैसे ही भाजपा के कल्याण सिंह. फेसबुक पर श्री ओम थानवी जी ने लिखा है कि पुरूस्कार लेने से मेरे दुश्मनों को दिक्कत हो गई है.

इंडिया टीवी का खर्चीला प्रोग्राम यानि मीडिया के भ्रष्टाचार पर कोई जुबान क्यों नहीं खोलता?

Mohammad Anas : INDIA TV पर जश्न का माहौल है। मौका है नाटकीय और पहले से तय सवाल जवाब वाले शो ‘आपकी अदालत’ के 21 साल पूरे होने के। हर क्षेत्र के दिग्गज मौजूद हैं। पूरे प्रोग्राम पर अमूमन कितना खर्च हो रहा है, यह मेहमानों की लिस्ट देख कर आप अंदाजा लगा सकते हैं। पैसे की बर्बादी पर क्या कोई चैनल टूटेगा या फिर आज़म की बग्घी और यादव सिंह की चटाई के नीचे छिपे नोट पर ही लोटपोट होना आता है? मीडिया के भ्रष्टाचार पर कोई ज़ुबान क्यों नहीं खोलता।