यशवंत-
कई दिन से सोच रहा था कि दिल की बात कह दूँ लेकिन कई मनोगत वजहों से ये काम टलता जा रहा था। फिर लगा कि अब तो लिख ही देना चाहिए। मन की बात कह डालने से समस्याओं के हल होने की शुरुआत हो जाती है। कहने की बजाय लिख कर अपनी बात ज़्यादा अच्छे से समझा पाता हूँ। जीवन भर लिखने का ही काम किया इसलिए ये रास्ता सबसे प्रिय और आसान नज़र आता है।
बात ये है कि मैंने तय कर लिया है कि अब किसी महानगर में नहीं रहना है। अड़तालीस की उमर होने जा रही। ये संन्यास / रिटायरमेंट का समय है मेरे लिए। यह खुद तय कर लिया हूँ। खुद को खुद से जबरन रिटायर कर रहा हूँ। लिखना पढ़ना चलता रहेगा लेकिन नक़ली जीवन नहीं जियूँगा। टंगा हुआ जीवन नहीं मंज़ूर। महानगर में नहीं रहूँगा। ख़ासकर दिल्ली ncr में तो बिलकुल नहीं। शुद्ध हवा पानी हरियाली जहां न हो वहाँ जबरन बने रहने का कोई मतलब नहीं। मिट्टी, खेती, पशुपालन संग बाक़ी जीवन बीतेगा। सो अपने होम टाउन ग़ाज़ीपुर गया और महीने भर भड़ास आश्रम पर डेरा जमाए रहा।
एक बिस्वा में दो कमरों वाला आश्रम बहुत सुकून देता है। गंगा नहाना और बाटी चोखा खीर बनाकर खाना जो सुख देता है वह जीवन के प्रति कृतज्ञता ज्ञापित करने को उकसाता है। लगता है दुनिया का सबसे अमीर और सबसे ख़ुशहाल आदमी मैं हूँ। इसी आश्रम में फ़र्स्ट फ़्लोर पर एक कमरा, वेस्टर्न टायलेट, किचन बनवा रहा हूँ। गेस्ट हाउस टाइप। मित्रों शुभचिंतकों आगंतुकों के लिए एक सिपरेट बंदोबस्त।
दरअसल सीढ़ी बनवाने से शुरू हुआ काम अचानक फ़र्स्ट फ़्लोर पर one रूम सेट बनवाने तक पहुँच गया। चार लाख लग गए। ढाँचा तैयार है। छत की ढलायी बाक़ी है।
लेबर मिस्त्री गेंहू कटाई के लिए पंद्रह दिन के ब्रेक पर गए तो हम भी धन इकट्ठा करने noida आ गए। पर noida में अपनी क़ोई फ़ैक्ट्री तो है नहीं। ले देकर भड़ास है जो पैसे उतने ही देता है कि घर गृहस्थी सर्वर चल जाए।
सो चंदा ही रास्ता है। अगर मदद करने लायक़ हों तो सोचिएगा अन्यथा ये पोस्ट इग्नोर मार दीजिएगा। जब मालवीय जी ठानने के बाद विशाल बीएचयू बना सकते हैं तो मैं भी रोते गाते one रूम का सेटअप बनवा ही लूँगा।
कटोरा लेकर निकला हूँ तो देने वाले हैसियत अनुसार दक्षिणा देने में हिचकेंगे नहीं। एक बड़े मक़सद के लिए मुझे माँगने में जब शर्म नहीं तो देने वाले भी कई ऐसे मिलेंगे जिन्हें दान देने में तनिक संकोच न होगा। प्रकृति की ख़ूबसूरती यही विविधता/डायवर्सिटी है।
आप कुछ करें या ना करें लेकिन कुछ माह बाद इस नवनिर्माण का आनंद लेने ज़रूर आ सकते हैं। रिटायर होने के बाद या पहले भी आ सकते हैं। कुछ दिन असली ज़िंदगी को महसूस करने आ सकते हैं। कुछ दिन की छुट्टी लेकर आ सकते हैं। स्वागत रहेगा। जीवन को आनंद से भरने वाले कुछ पल ज़रूर जी लेंगे, ये वादा है।
भड़ास का दानपात्र ये रहा-
Paytm/GooglePay 9999330099
बैंक अकाउंट- Bhadas4Media
Current A/c No. 31790200000050
Bank of Baroda,
Branch : Vasundhara Enclave
Delhi-96,
RTGS / NEFT / IFSC code : BARB0VASUND
भड़ास आश्रम फ़र्स्ट फ़्लोर निर्माण की चंद तस्वीरें डाल रहा हूँ-
एक video लिंक सात साल पहले भड़ास आश्रम ग्राउंड फ़्लोर बनने का दे रहा हूँ-
भड़ास आश्रम की एक आध्यात्मिक झलक के लिए ये वीडियो देखें- –
- यशवंत (संस्थापक-संपादक, भड़ास4मीडिया)