लगता है खुद को देश के कानून और न्याय व्यवस्था से ऊपर समझ रहा है हिंदुस्तान अखबार प्रबंधन। शुक्रवार को एक साथ उत्तर प्रदेश और झारखण्ड से तीन कर्मचारियों को प्रताड़ना भरा लेटर भेज दिए गए। इन कर्मचारियों की गलती सिर्फ इतनी थी की बिड़ला खानदान की नवाबजादी शोभना भरतिया के स्वामित्व वाले हिन्दुस्तान मैनेजमेंट से उन्होंने मजीठिया वेज बोर्ड के अनुसार वेतन और अपना बकाया मांग लिया था।
गोरखपुर के हिंदुस्तान संस्करण में सीनियर कॉपी एडिटर के पोस्ट पर कार्यरत सुरेंद्र बहादुर सिंह और इसी पोस्ट पर कार्यरत आशीष बिंदलकर को कंपनी ने शुक्रवार को ट्रांसफर और टर्मिनेशान की तरफ कदम बढ़ाते हुए एक पत्र भेजा है। इन दोनों साथियों ने 17 (1) के तहत लेबर विभाग में अपने बकाये की रिकवरी के लिए कलेम लगा रखा था। इस पत्र से इन दोनों साथियों को ज़रा भी अचरज नहीं है। आशीष कहते हैं मुझे लेटर अभी नहीं मिला लेकिन कंपनी ने शुक्रवार को मुझे ऑफिस में काम नहीं करने दिया और बताया कि आपको एक पत्र घर पर भेजा गया है। उधर सुरेन्द्र बहादुर सिंह का ट्रांसफर देहरादून कर दिया गया है।
यही नहीं, झारखण्ड में हिन्दुस्तान समाचार पत्र में कार्यरत उमेश कुमार मल्लिक को हिंदुस्तान प्रबंधन के निर्देश पर एचआर डिपार्टमेंट की तरफ से शुक्रवार को एक मेल भेजा गया है। उमेश का अपराध बस ये है कि उन्होंने कानून और न्याय के निर्देश का पालन करते हुए मजीठिया वेज बोर्ड के हिसाब से एरियर व सेलरी देने की मांग अखबार प्रबंधन से कर दी थी। कंपनी टर्मिनेशन के पीछे बहाना खराब परफारमेंस को बना रही है। उमेश दैनिक हिंदुस्तान, रांची के मीडिया मार्केटिंग यानि सेल्स डिपार्टमेंट में कार्यरत हैं।
इन तीनों साथियों के उत्पीड़न से देश भर में हिंदुस्तान में कार्यरत समाचार पत्र कर्मियों में प्रबंधन के खिलाफ जमकर आक्रोश है। सुरेन्द्र बहादुर सिंह ने अपने प्रबंधन और संपादक के खिलाफ ना सिर्फ लोकल पुलिस को बल्कि मानवाधिकार आयोग में भी शिकायत कर रखा है। आप तीनों साथियों से निवेदन है कि आप खुद को अकेले मत समझिये। आपको आपका अधिकार मिलेगा। ये अखबार मालिक सुप्रीम कोर्ट से कतई बड़े नहीं है। आप के साथ आज देश भर के समाचारपत्र कर्मचारी हैं। जल्द ही हिंदुस्तान अखबार की भी चूल हिलेगी।
शशिकान्त सिंह
पत्रकार और आरटीआई एक्टिवेस्ट
मुंबई
9322411335
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