लगता है खुद को देश के कानून और न्याय व्यवस्था से ऊपर समझ रहा है हिंदुस्तान अखबार प्रबंधन। शुक्रवार को एक साथ उत्तर प्रदेश और झारखण्ड से तीन कर्मचारियों को प्रताड़ना भरा लेटर भेज दिए गए। इन कर्मचारियों की गलती सिर्फ इतनी थी की बिड़ला खानदान की नवाबजादी शोभना भरतिया के स्वामित्व वाले हिन्दुस्तान मैनेजमेंट से उन्होंने मजीठिया वेज बोर्ड के अनुसार वेतन और अपना बकाया मांग लिया था।
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कैमरे से सच दिखाने वाले आजाद पत्रकार गौतम पर आज 15 केस हैं…
कैमरे पर सच दिखाने की हिमाकत का नतीजा यह रहा कि कोलकाता पुलिस गौतम कुमार विश्वास को बालों से नोचती हुई घसीट कर ले गई। उन्हें जहां चाहा मारा। लातें, घूसे सब। गौतम कोलकाता के फ्रीलांस पत्रकार हैं, जो पुलिस और प्रशासन की पोल खोलती फिल्में बनाते हैं। जान की परवाह किए बिना भ्रष्ट तंत्र से टकराने वाले गौतम के महीने के आधे से ज्यादा दिन अदालतों में जाते हैं। उनकी कमाई का बड़ा हिस्सा वकीलों को जा रहा है लेकिन फिर भी गौतम इस घुन लगी व्यवस्था के आगे न झुकते हुए बखूबी अपना काम कर रहे हैं।
मेरठ के ‘प्रभात’ अखबार के मीडियाकर्मी सिटी इंचार्ज केपी त्रिपाठी से परेशान
मेरठ के सुभारती समूह द्वारा हिंदी दैनिक अखबार ‘प्रभात’ का प्रकाशन किया जाता है. आरोप है कि अखबार के सिटी इंचार्ज के रवैये से कई पत्रकार अखबार छोड़कर चले गए. इन दिनों छायाकार समीर सिटी इंचार्ज केपी त्रिपाठी के रवैये से सकते में हैं. 31 मार्च को दैनिक प्रभात समाचार पत्र में सुबह के समय सिटी इंचार्ज केपी त्रिपाठी कई पत्रकार एवं छायाकारों के साथ बैठक कर रहे थे. इस बीच छायाकार समीर की कार्यप्रणाली को लेकर सिटी इंचार्ज ने गलत शब्द बोले. सिटी इंचार्ज ने फोटोग्राफर समीर को सभी लोगों के सामने ही बैठक से बाहर निकाल दिया. इससे फोटोग्राफर के सम्मान को काफी ठेस पहुंची.
एक न्यूज चैनल जहां महिला पत्रकारों को प्रमोशन के लिए मालिक के साथ अकेले में ‘गोल्डन काफी’ पीनी पड़ती है!
चौथा स्तंभ आज खुद को अपने बल पर खड़ा रख पाने में नाक़ाम साबित हो रहा है…. आज ये स्तंभ अपना अस्तित्व बचाने के लिए सिसक रहा है… खासकर छोटे न्यूज चैनलों ने जो दलाली, उगाही, धंधे को ही असली पत्रकारिता मानते हैं, गंध मचा रखा है. ये चैनल राजनेताओं का सहारा लेने पर, ख़बरों को ब्रांड घोषित कर उसके जरिये पत्रकारिता की खुले बाज़ार में नीलामी करने को रोजाना का काम मानते हैं… इन चैनलों में हर चीज का दाम तय है… किस खबर को कितना समय देना है… किस अंदाज और किस एंगल से ख़बर उठानी है… सब कुछ तय है… मैंने अपने एक साल के पत्रकारिता के अनुभव में जो देखा, जो सुना और जो सीखा वो किताबी बातों से कही ज्यादा अलग था…. दिक्कत होती थी अंतर आंकने में…. जो पढ़ा वो सही था या जो इन आँखों से देखा वो सही है…
प्रसार भारती के नौकरशाहों ने एससी-एसटी कर्मियों के साथ अन्याय किया, विरोध में कैंडल मार्च और सभा
नई दिल्ली : आकाशवाणी और दूरदर्शन के एसटी-एससी प्रशासनिक कर्मचारी महासंघ ने नियुक्ति, प्रोन्नति, बैकलाग भरने और स्थानांतरण में अन्याय, उत्पीडन और जातिगत भेदभाव के खिलाफ शांतिपूर्ण कैंडल मार्च आयोजित किया। यह मार्च आकाशवाणी भवन से प्रसार भारती, पीटीआई बिल्डिंग तक जुलूस की शक्ल में पहुंचा जहां एक सभा के रूप में तब्दील हो गया। इसमें देश भर में कार्यरत आकाशवाणी एवं दूरदर्शन के अभियांत्रिकी, तकनीकी और प्रोग्राम के प्रशासनिक वर्ग के अधिकारियों ने भाग लिया।
मेरे साथ न्याय नहीं हुआ, बुलाया गया तो मोदी के साथ रहने दिल्ली जाऊंगी : जसोदा बेन
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की पत्नी जसोदाबेन का कहना है कि उनके साथ न्याय नहीं हुआ है और उन्हें वे सुविधाएं नहीं मिली हैं, जो एक पीएम की पत्नी होने के नाते उन्हें मिलनी चाहिए थीं। यदि उन्हें बुलाया जाता है तो वह दिल्ली मोदी के साथ रहने जाएंगी। सोमवार को मेहसाणा में स्कूटर की पिछली सीट पर बैठकर घर लौट रहीं जसोदाबेन से जब एक न्यूज चैनल के पत्रकार ने पूछा कि उन्होंने आरटीआई आवेदन क्यों दिया है, तो उन्होंने कहा कि उन्हें न्याय नहीं मिला है और कोई सुविधा भी नहीं मिल रही है।
सिर्फ 5000 रुपये में काम कर रहे हैं दैनिक जागरण, लखीमपुर के रिपोर्टर
दैनिक जागरण लखीमपुर ब्यूरो आफिस में इन दिनों संवाददाताओं / रिपोर्टरों का जमकर शोषण हो रहा है… बेहद कम पैसे में ये लोग काम करने पर मजबूर हैं.. प्रबंधन की तरफ से वेतनमान बढाने का झांसा काफी समय से दिया जा रहा है… बार वादा हर बार वादा ही साबित हो रहा है… बेरोजगारी के कारण रिपोर्टर चुपचाप मुंह बंद कर काम कर रहे हैं.. कोई आवाज नहीं उठाता क्योंकि इससे उन्हें जो कुछ मिल रहा है, वह भी मिलना बंद हो जाएगा…
लोकमत प्रबंधन की प्रताड़नाओं ने बुझा दिया एक दीपक
: लोकमत समाचार पत्र समूह के अन्याय, अत्याचार और प्रताड़नाओं से हार गए दीपक नोनहारे : नागपुर : लोकमत समाचारपत्र समूह के मगरूर प्रबंधन के अन्याय, अत्याचार और प्रताड़नाओं के आगे ‘लोकमत समाचार’ का एक पत्रकार पराजित हो गया. ‘लोकमत समाचार’ में पिछले 25 सालों से व्यापार-व्यवसाय डेस्क संभाल रहे दीपक नोनहारे ने गुरुवार 6 नवंबर की दोपहर को इंदिरा गांधी मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल (मेयो अस्पताल) नामक सरकारी अस्पताल में दम तोड़ दिया.
जनसंदेश टाइम्स बनारस तालाबंदी की ओर, संपादक आशीष बागची ने डेढ़ दर्जन लोगों को निकाला
खबर है कि जनसंदेश टाइम्स, बनारस अब तालाबंदी के मुहाने पर है। सिर्फ घोषणा ही बाकी है। मालिकों ने हिटलरशाही रवैया अपनाते हुए एक नवंबर को डेढ़ दर्जन से अधिक कर्मचारियों को कार्यालय आने से मना कर दिया। इन कर्मचारियों का कई माह का वेतन भी बकाया है, जिसे मालिकानों ने देना गवारा नहीं समझा। इसके साथ ही अखबार के संस्करण भी सिमटा दिये गये। सिटी और डाक दो ही संस्कदर अब रह गये। पहले सभी जिलों के अलग-अलग संस्करण छपते थे। अब दो ही संस्करण में सभी जिलों को समेट दिया गया है।