#metoo पर निष्पक्ष रिपोर्टिंग करें

#metoo क्यों अच्छा है  हमारे समाज में यौन अभिव्यक्ति या यौन प्रताड़ना जैसे विषय हमेशा से taboo रहे हैं. कुछ व्यभिचारी इसका फायदा उठाते हैं और तमाम तरह से महिलाओं का शोषण करते हैं. यह हमारी सामाजिक आवश्यकता है कि महिलाएं इसके खिलाफ आवाज़ उठायें, ताकि इस तरह की घटनाओं में कमी आये.  यह एक …

रवीश जी, अगर Yashwant Singh से कुछ पर्सनल खुन्नस है तो कम से कम उनके काम की तो तारीफ कर दीजिये!

Divakar Singh : रवीश जी, आपने सही लिखा हमारी मीडिया रीढविहीन है. साथ ही नेता भी चाहते हैं मीडिया उनकी चाटुकारिता करती रहे. आप बधाई के पात्र हैं यह मुद्दे उठाने के लिए. पर क्या बस इतना बोलने से डबल स्टैंडर्ड्स को स्वीकार कर लिया जाए? आप कहते हैं कि ED या CBI की जांच नहीं हुई तो कोई मानहानि नहीं हुई. आप स्वयं जानते होंगे कितनी हलकी बात कह दी है आपने. दूसरा लॉजिक ये कि अमित शाह स्वयं क्यों नहीं आये बोलने. अगर वो आते तो आप कहते वो पिता हैं मुजरिम के, इसलिए उनकी बात का कोई महत्त्व नहीं. तीसरी बात आप इतने उत्तेजित रोबर्ट वाड्रा वगैरह के मामले में नहीं हुए. यहाँ आप तुरंत अत्यधिक सक्रिय हो गए और अतार्किक बातें करने लगे. ठीक है नेता भ्रष्ट होते हैं, मानते हैं, पर कम से कम तार्किक तो रहिये, अगर निष्पक्ष नहीं रह सकते.

मोदी को मैदान में उतार बीजेपी ने जो रामबाण चलाया वह कितना कारगर साबित होगा

पिछले कुछ हफ़्तों में केंद्र सरकार की कई मोर्चों पर किरकिरी हुई है. पहला मामला बीजेपी की आतंरिक कलह से जुड़ा है. सुब्रमण्यम स्वामी ने अरुण जेटली पर अप्रत्यक्ष रूप से हमले किये हैं. रघुराम राजन से लेकर वित्त मंत्रालय से जुड़े अन्य अधिकारियों तक उनके लगातार हमले बीजेपी को परेशान किये हुए हैं. मीडिया में इस मामले को जोरशोर से उछाला गया है. बीजेपी बैकफुट पर है.  दूसरा मामला है भारत की अंतर्राष्ट्रीय नीति से संबंधित. भारत को NSG की सदस्यता की कितनी आवश्यकता थी, थी भी कि नहीं, ये शायद हम अच्छे से नहीं जानते, पर ये अवश्य जानते हैं कि चीन ने हमारा खेल बिगाड़ दिया. यहाँ भी भारत सरकार की किरकिरी हुई. नरेन्द्र मोदी की एग्रेसिव अंतर्राष्ट्रीय छवि को धक्का पहुंचा है.

अरुण धुरी ने मीटिंग बुलाकर कहा- ”यार इस मोदी की कैसे बैंड बजाएं…. कुछ मसाला दो….”

अरुण धुरी जी ‘टीवी टुंडे कबाब’ ग्रुप के सारे एडिटर्स को बुलाकर गहन मंत्रणा कर रहे हैं. देखिए मीटिंग का दृश्य…

पनामा पेपर्स की तरह कहीं आपके कारोबार का भी आनलाइन कच्चा चिट्ठा लीक न हो जाए, जानें सुरक्षा के उपाय

पनामा पेपर्स के लीक को लेकर बवाल मचा हुआ है. छोटे बड़े देशों के वीआईपी लपेटे में आ चुके हैं. दरअसल ये मोजाक फोंसेका कंपनी के कारोबार से जुड़े दस्तावेजों का लीक है. इन दस्तावेजों में कंपनी के पिछले 30+ सालों के कारोबार का कच्चा चिठ्ठा मौजूद है. कंपनी के मैनेजमेंट का कहना है कि उसके डाटा को बाहर के व्यक्तियों द्वारा चुराया गया है. उनका मानना है कि संभवतः किसी ने उनके सर्वर्स पर मौजूद जानकारी को चुराया है. तो हम कह सकते हैं कि ये मामला हैकिंग से जुड़ा हो सकता है. सालों पहले विकीलीक्स में भी कुछ ऐसा ही हुआ था. उन्होंने किस किस देश से कितना डाटा चुराया या प्राप्त किया, ये आज तक पता लगाया जा रहा है.