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सुख-दुख

दिल्ली-एनसीआर, लखनऊ, बनारस में कोरोना से किस कदर ख़राब हैं हालात, इन पत्रकारों के लिखे से जानिए


गीताश्री-

डरा नहीं रही हूँ. बस बता रही हूँ… डॉक्टर बता रहे कि उनके अस्पताल में बेड ख़ाली नहीं. वे मरीज़ों को बाहर से लौटा रहे हैं. बाहर चीख पुकार मची है. कोरोना का रुप बिगड़ कर निमोनिया तक जा पहुँचा है. यही जानलेवा हो सकता है. घर में खुद से ठीक से कोई केयर नहीं कर पाता. होस्पीटल में बेहतर इलाज संभव है. मगर अब वहाँ भी जगह नहीं मिल रही. जाएँ तो कहाँ जाएँ लोग.

मेरी सोसायटी में हर फ़्लोर पर एक मरीज़. जल्दी ही यहाँ बाहरी आवागमन बंद होगा. फिर से सन्नाटा होगा. केमिस्ट से बात करो तो दवाइयाँ समय पर नहीं भेज रहे. उनके पास डिलीवरी ब्वॉय नहीं. सुबह कहो तो शाम तक दवा आती है. कई दवाइयाँ बाज़ार में नहीं.

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डॉक्टर मित्र बता रहे कि ऑक्सीजन प्लांट भी ऑक्सीजन की सप्लाई नहीं कर पा रहे, वहाँ गाड़ियाँ खड़ी हैं. आज डॉक्टर से बात करके मन दहल गया है.

इधर फल महंगे. कच्चा नारियल कल तक पैंतीस , पचास का मिलता था, आज वह 70 से ऊपर. मनमाना पैसा वसूल. क्योंकि डिमांड ज़्यादा है.

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माहौल में दहशत है. बाहर से रोज़ आने वाली मेड डर रही है … बाहरी दुनिया से उनका संपर्क ज़्यादा है. एक फ्लैट में उसी ने कोरोना दिया. हंगामा मचा है. कुछ लोग लगातार घर में बंद हैं… फिर भी वे संक्रमित हो रहे हैं. बाहरी वस्तुएँ उन तक संक्रमण लेकर आ रही हैं. कब तक बचेंगे? कैसे बचेंगे?

साथियो, अपने को बचाइए, बच्चों और बुजुर्गों को बचाइए.
कुछ भी करिए… दुखदायी खबरों ने चैन छीन लिया है. हालाँकि मैं एक बार जंग जीत चुकी हूँ. मैं अपनी चिंता में क़तई नहीं हूँ. मुझे बस अपनों की चिंता है. उनकी सुरक्षा की कामना में दिन कट रहे हैं. मैं आप सबके लिए दुआ… अपनी दुआ में शामिल करती हूँ. किसी दुश्मन को भी ये बीमारी न हो। बचिए और सबको बचाइए.

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परीक्षित निर्भय-

दिल्ली में फिलहाल इलाज करवाना भूल जाओ। यहां अस्पतालों में बिस्तर नहीं है और सरकारी अस्पतालों के फोन बंद पड़ चुके हैं। प्राइवेट अस्पताल हाउसफुल हैं इसलिए अब उन्हें फोन लेने की चिंता नहीं है।


गोलेश स्वामी-

हे मातारानी कृपा करो। योगी जी आइसोलेशन में हैं। योगी जी के अनेक वरिष्ठ अफसर कोरोना पाजिटिव हैं। नगर विकास मंत्री गोपालजी भी कोरोना पाजिटिव हैं। पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव भी कोरोना पाजिटिव हैं। लखनऊ ने शायद ही यह मंजर पहले देखा हो। अब तो हर खास-ओ-आम खौफ में हैं। न बेड हैं, न इलाज है और न ही वेंटिलेटर। जहां वेंटिलेटर हैं, वहां उन्हें चलाने वाले नहीं। डाक्टर-पत्रकार भी कोरोना का शिकार हो रहे हैं। श्मशान घाट पर लकड़ी नहीं। चिता जलाने के लिए भी 12-14 घंटे की वेटिंग। ऐसे में माता रानी ही कुछ कृपा कर सकती है।

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रीवा एस. सिंह-

चारों ओर लोग मर रहे हैं। मर चुकी सरकारें यह नहीं देख सकतीं। रैलियों में मरघट दिखता है अब। अखिलेश यादव कोविडग्रसित हैं, योगी आदित्यनाथ ने ख़ुद को आइसोलेट किया है, सुप्रीम कोर्ट में एकाएक दर्जनों पॉज़िटिव लोग मिले।

अस्पताल ख़ुद बीमार हैं। ऑक्सिज़न के लिये गाड़ियाँ लगी हुई हैं, आपूर्ति नहीं हो पा रही। श्मशान घाट पर गाड़ियाँ लगी हैं, चिमनियाँ ख़ुद झुलस कर पिघल रही हैं। गुजरात में कोविड से हर घण्टे तीन लोगों की साँसें उखड़ रही हैं। हरिद्वार में वायरस चरणामृत की तरह बँट रहा है। महाराष्ट्र पहले से ही तबाह है। एमपी अजब है, वहाँ विपक्ष के नेता डॉक्टर पर चिल्ला रहे हैं। जनता पत्रकारों से सवाल कर रही है। पत्रकार विपक्ष से सवाल कर रहे हैं। सही सवाल सही जगह पता नहीं कब पहुँचेंगे। पता नहीं कब आयेगा इस देश के पत्रकारों को इतना ग़ुस्सा कि बॉयकॉट कर सकें सभी रैलियाँ व कार्यक्रम। पाकिस्तान हमसे पस्त है न? वहाँ के पत्रकार ऐसा कर चुके, नेताजी के सामने से माइक हटाकर ले गये कि बनते रहो तुम वीआइपी। यहाँ अगर हम सवाल दाग़ भी दें तो जनता पहले कवच बनकर कूद पड़ती है डिफ़ेंड करने, जहाँपनाह को कुछ कहने की दरकार ही नहीं।

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सरकारों के भरोसे न रहें, अपनी सुरक्षा स्वयं करें। सरकारें ख़ुद आपके भरोसे बैठी हैं। आप उनके कार्यक्रमों में कबड्डी खेलते रहें तो कब भूजा बनकर फाँक लिये जाएंगे पता न चलेगा। जनता हैं आप, समझें तो सबसे महत्त्वपूर्ण, न समझें तो सबसे तुच्छ।



दीपक कबीर-

दवायें पहुंचाने का सबसे बड़ा नेटवर्क मेडिकल एन्ड सेल्स रिप्रेजेंटेटिव एसोसिएशन है। कम्पनियों के एम्प्लाई होते हुये भी ये कम्पनियों की लूट के खिलाफ लगातार आवाज़ उठाती रही हैं…यकीनन आपको पता नहीं होगा तो यकीन कैसे करेंगे..

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ऐसा करिये इनके पिछले 25 बरस के आनदोलन ,उनकी मांगें और पोस्टर देख डालिये तब समझ मे आएगा फार्मा कम्पनियों के जाल।

शायद 94 में मैं दो दोस्तों के साथ इनकी आल इंडिया कांफ्रेंस में रवींद्रालय में बतौर वालंटियर शामिल हुआ। बाद में देश के सबसे बड़े “जन स्वास्थ्य अभियान” में जब रहा तो पता चला खुद इनकी यूनियन उसका सबसे प्रमुख हिस्सा है और तब इनके दस्तावेजों से फार्मा कंपनियों की लुटेरी-अमानवीय दुनिया को जाना।

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इनके नेता राहुल मिश्र कहते हैं..

1- रेमडीसीवीर इंजेक्शन की सारी आपूर्ति अकेले IDPL या अन्य सरकारी उपक्रम आसानी से कर सकते हैं मगर सरकार उन्हें इसकी अनुमति और लाइसेंस नही देगी जिससे फायदा निजी कंपनियों को ही पहुंचे।

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(ठीक उसी तर्ज पर जैसे बरसों हो गए,5g का ज़माना आ गया मगर सरकार ने सरकारी BSNL को 4g तक का लाइसेंस नही दिया था कि वो प्राइवेट के कॉम्पटीशन में न आ जाय)

2- और राजनीति के हिसाब से ये जानिए कि “कम्युनिस्ट पार्टियों के दबाव में ही UPA सरकार में ये पॉइंट जुड़वाया गया था कि महामारी यानी पैंडेमिक के दौरान कोई पेटेंट लागू नही होगा

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अगर आप इंजेक्शन ,अस्पताल,रिपोर्ट और टैबलेट के लिये आज चीख रहे हैं तो दुआ है कि जल्द ही आपका मरीज़ स्वस्थ हो जाय..

मगर बाद में ये जनता से जुड़े मुद्दे और इन पर हुई राजनीति को भूल मत जायेगा..

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धर्मेंद्र सिंह-

कई चीजें साथ साथ चल रही है। नवरात्रि। पूजा पाठ। बाबा साहब की जन्म जयंती। और। गॉवों में लोकतंत्र का मेला। फिर । सब पर भारी कोरोना का कहर। ऐसी ऐसी अनहोनी की खबर । कि। जीवन में कल्पना भी नहीं। स्तबधकारी सूचनाओं से कलेजा कॉप जा रहा है। रात । देर रात तक किसी न किसी की घंटी घनघना रही होती है। आक्सीजन लेवल घट रहा है। बेड की किसी तरह व्यवस्था हो जीए। जॉच करानी है। रिपोर्ट नही आयी। एम्बुलेंस अभी पहुंची नहीं। ऐसी आपदा। ऐसा क्रंदन। ऐसी छटपटाहट। पहली बार सामना हो रहा है। बस। लगता है। ईश्वर ही सहारा है। जैसे अपने वश में कुछ रहा नहीं। इसी बीच। तमाम परिचित परिवारों। खास कर महिला वर्ग की चुनाव ड्यूटी। उनकी अलग पीडा। हे प्रभु। किसी तरह । यह विकट स्थिति संभल सके।स्वास्थ्य सेवाओं को लेकर। वर्षों से एक फोन पर रिस्पांश देने वाले तमाम डॉक्टर, फोन या तो उठा नहीं रहे या अनसुना कर दे रहे हैं। लगता है। इज्जत देते वे डॉक्टर भी अंदर अंदर झल्ला रहे हैं। एक नेक दिल इंसान। डॉ एमजी राय जी की कितनी सराहना करें। सैकडों लोगों को ह्वाट्सप पर ही परामर्श के लिए सहज उपलब्ध हैं। हेरिटेज में अजय राय को दुआंए दे रहे हैं कि जान की बाजी लगाकर लोगों की सेवा में तल्लीन हैं। सीएमओ डॉ वीबी सिंह जी संभवत: स्वयं बीमार हो गए हैं। पिछली बार कोरोना संकट में उन्होंने जिस तरह से स्थिति संभाली, इस वक्त उनकी अनुपस्थिति बहुत अखर रही है।

वाराणसी जिले में आगमन हेतु जिला प्रशासन की एडवाइजरी

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देश विदेश से वाराणसी आने का कार्यक्रम बनाने वाले सभी व्यक्तियों और यात्रियों से अपील है कि वाराणसी में अभूतपूर्व कोविड संक्रमण फैल जाने की वजह से अप्रैल के पूरे महीने में वाराणसी ना आये।

यहां आने वाले श्रद्धालुओं को भी सूचित किया जाता है कि श्री काशी विश्वनाथ मंदिर में भी दिनांक 14 अप्रैल से प्रवेश के लिए कोविड नेगेटिव टेस्ट रिपोर्ट आवश्यक कर दी गई है, इसके बिना प्रवेश नहीं दिया जाएगा। बाहरी प्रदेशों से आने वाले यात्रियों को शहर में ठहरने के लिए भी शीघ्र कोविड नेगेटिव रिपोर्ट की व्यवस्था लागू की जाएगी।

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-जिलाधिकारी वाराणसी

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