ऑक्सीजन के लिए आपकी सरकार ने क्या किया, कैसे किया?

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सुनील सिंह बघेल-

ऑक्सीजन पर भारी पड़ा कमीशन..? पीएम केयर्स फंड से घोषित 162 ऑक्सीजन प्लांट नहीं लग पाने के पीछे एक बड़ा कारण केंद्र और राज्य के अधिकारियों के बीच आर्थिक हितों का टकराव भी माना जा रहा है। पीएम केयर्स फंड से लगभग प्रथम चरण में 200 करोड रुपए जारी तो हुए लेकिन सीधे राज्यों को नहीं। बल्कि केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के अधीन एक स्वायत्त संस्था सेंट्रल मेडिकल सर्विस सोसायटी(CMSS) को।

इस 200 करोड़ में प्लांट मशीनरी और उसके मेंटेनेंस का खर्च शामिल था। दितीय चरण में 500 से ज्यादा ऐसे और प्लांट लगाए जाने थे। यानी मामला लगभग 1000 करोड रुपए से ज्यादा खरीदी का था।

जाहिर है इतनी बड़ी राशि का नियंत्रण, केंद्र सरकार के अधिकारी अपने हाथ से जाने नहीं देना चाहते थे। संभवतः इसी कारण के चलते टेंडर का जिम्मा राज्यों पर छोड़ने के बजाय केंद्रीय संस्था “सेंट्रल मेडिकल सर्विस सोसायटी” को सौंपा गया।

सरकारी अस्पतालों मेडिकल कॉलेजों को सिर्फ पाइपलाइन और इलेक्ट्रिक, सिविल वर्क का काम सौंपा गया। जोकि औसतन एक से दो करोड़ के प्लांट के आगे बहुत छोटा काम था। जाहिर है राज्य के अधिकारियों के पास एडजस्टमेंट का स्कोप भी लगभग ना के बराबर। नतीजा यह निकला कि राज्य सरकारों ने ज्यादा रुचि ही नहीं ली।

कई ने जगह की कमी बताई तो कई ने समय पर प्लान ही नहीं भेजा। नतीजा यह कि 162 में से अभी तक सिर्फ 33 प्लांट ही लग पाए हैं। उसमें से कितने चालू हुए यह बताने को कोई तैयार नहीं। तो सारी कथा का लब्बो लुआब यह है कि राज्य सरकारों के अस्पतालों ने इसलिए रुचि नहीं ली क्योंकि अस्पतालों के लिए ऑक्सीजन खरीदी और कमीशन बाजी का एक अपना अर्थशास्त्र है। यह प्लांट लग जाने से उस पर सीधी चोट होती । और केंद्र हजारों करोड़ की खरीदी अपने हाथ से कैसे जाने दे??

ऊपरी तौर से आप को इसमें किसी भ्रष्टाचार की बू नजर नहीं आएगी लेकिन “अपराध शास्त्र” के नजरिए से देखेंगे तो साफ समझ में आएगा की अफसरों का तथाकथित आर्थिक हित आम जनता की सांसो पर भारी पड़ गया। केंद्र यह अच्छी तरह जानता है कि उसके पास अपना गोदी मीडिया है, आईटी सेल है.. मूर्ख अंध भक्तों की लंबी चौड़ी फौज है.. उसे यह सिद्ध करने में कतई मुश्किल नहीं होगी कि उसने तो 6 महीने पहले अक्टूबर 2020 ही पीएम केयर्स फंड से करोड़ों रुपए जारी कर दिए थे.. और यह राज्यों की (गोदी मीडिया के हिसाब से राज्य मतलब दिल्ली महाराष्ट्र) नाकामी है कि प्लांट चालू नहीं हो पाए।

यूपी में एक भी नहीं चालू हो पाया, यह किसी मीडिया में नजर नहीं आएगा ..शायद वह भारतीय राज्य नहीं किसी दूसरे ग्रह नक्षत्र में है .. जैसे देश की कमान बड़े “देवदूत” के हाथ में है ठीक उसी तरह यह छोटे “देवदूत” के हाथ में है..

तो जनाब ऑक्सीजन भले ही ना मिले.. आपके अपने पंचतत्व में विलीन होते रहे.. फिर भी सुकून की सांस लीजिए.. पुराने भले ही ना लगे हो 550 प्लांट खरीदी का नया टेंडर जारी हो रहा है.. आपकी सांसो की कीमत पर आपके सांसो के नाम पर..

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