मुंबई : तहलका के कवर पेज पर प्रकाशित फोटो में बाला साहब ठाकरे को याकूब मेमन के साथ दिखाने से नाराज शिवाजी पार्क पुलिस स्टेशन में महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (मनसे) ने रिपोर्ट दर्ज लिखा दी है। पत्रिका के अंग्रेजी और हिंदी दोनो संस्करणों में ये फोटो प्रकाशित किए जाने से पार्टी में भारी नाराजगी है।
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‘कलास्रोत’ के दोनो अंक उम्मीद जगाते हैं : पंकज सिंह
लखनऊ में समारोहपूर्वक त्रैमासिक पत्रिका ‘कलास्रोत’ के नवीन अंक का लोकार्पण हुआ। इस मौके पर वरिष्ठ कवि, कला समीक्षक एवं बीबीसी के पूर्व पत्रकार पंकज सिंह ने कहा है कि कलाएं मनुष्य की आत्मा का उन्नयन करती हैं। वे मनुष्य को थोड़ा और बेहतर मनुष्य बनाती हैं।पत्रकार आलोक पराड़कर द्वारा सम्पादित यह पत्रिका कला, संगीत एवं रंगमंच पर आधारित है। इसका प्रकाशन नगर के कलास्रोत कला केन्द्र द्वारा किया जाता है।
‘ओपिनियन पोस्ट’ पाक्षिक पत्रिका से जुड़े मृत्युंजय कुमार
अमर उजाला जम्मू गोरखपुर, मेरठ और हिमाचल के संपादकीय प्रभारी रहे मृत्युंजय कुमार एक नए प्रोजेक्ट से जुड़ गए हैं। मिली जानकारी के अनुसार मृत्युंजय कुमार नई दिल्ली कनाट प्लेस से निकलने जा रही राष्ट्रीय पाक्षिक पत्रिका ओपिनियन पोस्ट का काम बतौर संपादक देखेंगे।
अंधेरे से उजाले की ओर पाक्षिक पत्रिका ‘शुक्लपक्ष’
निशिकांत ठाकुर : ‘शुक्लपक्ष’ पाक्षिक पत्रिका का स्वरूप पूरी तरह से राजनीतिक होगा, लेकिन अन्य विषयों को कतई नजरअंदाज नहीं किया जाएगा। मसलन- खेल, मनोरंजन, यूथ, धर्म-अध्यात्म, साहित्य, ज्योतिष, आधी आबादी, साइंस-टेक्नोलाजी, करियर, विदेश, बालजगत, बिजनेस-कारोबार, क्राइम से जुड़े आलेख पत्रिका में अनिवार्य रूप से समाहित होंगे, ताकि इसे समाज के हर वर्ग के साथ हर आयु-वर्ग एवं हर लिंग की पत्रिका बनाया जा सके। पत्रिका में हम ज्वलंत समस्याओं, यानी घटनाओं को छुएंगे जरूर, लेकिन यह महज रिपोर्ट नहीं होगी, बल्कि वर्तमान के जरिये भविष्य को फोकस करने वाले विश्लेषणात्मक आलेख होंगे, जिनकी पुष्टि तथ्य, आंकड़े, आकलन व संबंधित लोगों से बातचीत करेंगे।
दलित एजेंडाः2050 की बात करें तो आने वाले 35 साल घनघोर असंतोष के – दिलीप मंडल
देश की राजधानी दिल्ली से प्रकाशित मासिक पत्रिका “दलित दस्तक” का चौथा स्थापना दिवस समारोह 14 जून को वैशाली, गाजियाबाद में मनाया गया. कार्यक्रम के मुख्य अतिथि इलाहाबाद हाईकोर्ट के पूर्व न्यायधीश जस्टिस खेमकरण और मुख्य वक्ता इंदिरा गांधी राष्ट्रीय जनजातीय विवि, अमरकंटर, मप्र के कुलपति प्रो. टी.वी कट्टीमनी थे. जबकि विशिष्ट अतिथि बौद्ध चिंतक एवं साहित्यकार आनंद श्रीकृष्णा, प्रखर समाजशास्त्री एवं जेएनयू के प्रो. विवेक कुमार एवं वरिष्ठ पत्रकार दिलीप मंडल थे. कार्यक्रम की अध्यक्षता जे.सी आदर्श ने की.
शीघ्र आ रहा लोकप्रिय हिंदी पत्रिका ‘पहल’ का सेंचुरी अंक
हिंदी जगत की अनिवार्य पत्रिका के रूप में मान्य ‘पहल’ का 100वां अंक शीघ्र ही प्रकाशित होने जा रहा है। जबलपुर जैसे मध्यम शहर से पहल जैसी अंतरराष्ट्रीय पत्रिका का प्रकाशन वर्ष 1973 में शुरू हुआ और इसने विश्व स्तर को प्राप्त किया। ‘पहल’ के जरिए इसके संपादक ज्ञानरंजन ने लगातार जड़ता तोड़ने के काम किया। इसलिए पिछले 42 वर्षों से ‘पहल’ गंभीर लेखन व विचारों से जुड़ी पत्रिकाओं के बीच शीर्ष स्थान पर है और नए संपादकों के लिए मार्गदर्शक की भूमिका भी निभाती जा रही है।
आतंकी संगठन आईएसआईएस की मैगजीन ‘दबिक’ ऑनलाइन बेच रहा ऐमजॉन
विश्व के सबसे खतरनाक आतंकी संगठन आईएसआईएस की मैगजीन ‘दबिक’ यूरोप के कई देशों और अमेरिका में ई-कॉमर्स कंपनी ऐमजॉन की वेबसाइट पर ऑनलाइन बेची जा रही है। यह मैगजीन ब्रिटेन, फ्रांस, स्पेन, जर्मनी और इटली में बेची जा रही है। वेबसाइट पर इस मैगजीन की कीमत 27 पाउंड रखी गई है। पत्रिका के प्रकाशक के तौर पर आईएसआईएस की मीडिया शाखा अल-हयात मीडिया सेंटर का नाम दिया गया है।
इंदौर में ‘हैलो हिंदुस्तान’ का प्रकाशन पिछले तीन माह से बंद
इंदौर : यहां से निकलने वाली हिन्दी समाचार पत्रिका ‘हैलो हिंदुस्तान’ पिछले करीब तीन माह से प्रकाशित नहीं हो पा रही है। इतना ही नहीं इसके कर्ता-धर्ता प्रवीण शर्मा, जो सांध्य दैनिक अखबार भी निकाल रहे थे, कई माह से अपने कर्मचारियों को तनख्वाह तक नहीं बांट पाए हैं। इस बारे में जब कर्मचारी सवाल …
पत्रिकाएं भी नाटकों की तरह रेंत का घरौदाः लखनऊ से शुरू हुई ‘कला स्रोत’
लखनऊ : किसी भी नगर में एेसे अवसर कम ही होते हैं जब विभिन्न कला अभिव्यक्तियों के प्रसिद्ध व्यक्तित्व किसी एक समारोह में शरीक हों। यही कारण था कि लखनऊ से पत्रकार और कला समीक्षक आलोक पराड़कर के सम्पादन में संगीत, रंगमंच और कला पर आधारित त्रैमासिक पत्रिका ‘कला स्रोत’ के लोकार्पण के समारोह में जब कला, संगीत, रंगमंच और साहित्य की प्रतिभाएं एक सभागार में जुटीं तो एक-दूसरे से बातचीत में उन्हें यह कहते भी सुना गया कि आपका नाम और काम तो काफी सुना है लेकिन भेंट आज पहली बार हो रही है। यही कारण भी था कि पूरे समारोह में कलाओं के बीच संवाद और अन्तरसम्बन्ध की चर्चा होती रही और यह शिकायत भी खूब हुई कि कलाकार दूसरी कलाओं में रुचि नहीं लेते।