हिमांशु कुमार-
एक राष्ट्र का अर्थ है आपके दुःख साझा हों। एक तरफ लोग अस्पताल में बिना बेड और आक्सीजन के मर रहे हैं। दूसरी तरफ भारतीय कम्पनियां क्रिकेट के मैच में पैसा पानी की तरह बहा रही हैं। यह पैसा लोगों की जान बचाने में खर्च होना चाहिए। आस्ट्रेलियन खिलाड़ी एंड्रयू इस क्रूरता का विरोध करते हुए यह खेल छोड़ कर अपने देश लौट गये। लेकिन भारतीय क्रूर लोगों के दिल में अभी भी शर्म नहीं जगी।
विक्रम सिंह चौहान-
ये ऑस्ट्रेलियन क्रिकेटर एंड्रू टॉय है।आईपीएल में राजस्थान रॉयल्स की ओर से खेलते हैं, तेज़ गेंदबाज है।इन्होंने इस बात पर आईपीएल छोड़ दिया है कि भारत में कोरोना से लाखों लोग मर रहे हैं, उन्हें अस्पताल नहीं मिल रहा है फिर बीसीसीआई, कंपनियां, फ्रेंचाइजी और सरकार इतना पैसा खर्च कर आईपीएल कैसे करवा सकती है?
देश के मुर्दो को एक ऑस्ट्रेलियन क्रिकेटर ने जगा दिया। लेकिन सचिन,विराट जैसे कभी जगेंगे इसकी उम्मीद कम ही है।
ये तो इस माहौल में भी जुआ खेलने लोगों को प्रोत्साहित करते हैं। कोरोना से लड़ने इनका एक रुपये का योगदान भी नहीं है।सचिन और विराट को कफ़न का विज्ञापन मिलेगा तो भी खुशी -खुशी कर लेंगे।
शुक्रिया एंड्रू तुमने एक बहस को तो जन्म दे ही दिया है कि जब देश में लाखों लोग बिना मर रहे हैं तो वहाँ एंटरटेनमेंट के नाम पर आईपीएल जैसा भद्दा मजाक क्यों । गोदी मीडिया इस न्यूज़ को मैनेज करने में लगी है कि उनका देश छोड़ने का फैसला इसलिए है कि उनका बाद में ऑस्ट्रेलिया में एंट्री बंद न हो,भारत में बढ़ते कोरोना मामलों को लेकर।
लेकिन एंड्रू पहली वाली बात से इंकार नहीं कर रहे हैं।शोएब अख्तर ने भी कहा है जब भारत जल रहा है तब आईपीएल को क्यों जारी रखे हुए हैं। लेकिन पैसे के भूखे भारतीय क्रिकेटरों को शर्म नहीं है। इनकी रीढ़ की हड्डी ही नहीं होती।एंड्रू और शोएब भारत की आम जनता के लिए फिक्र करने पर तुम्हें सलाम!