पुलिस कमिश्नरी बनने के बाद नोएडा पुलिस के दामन पर अब तक का सबसे बड़ा ‘दाग’…. जवाब कौन देगा?
पैसे वाले और रसूख वाले कुछ भी करा सकते हैं. जी हां, कुछ भी. जिस शख्स के लिए कोर्ट ने गैर जमानती वारंट जारी किया हो और उसे पकड़ कर बिना त्रुटि कोर्ट में पेश करने के लिए निर्देशित किया हो, उसी आदमी को गिरफ्तार करने के बाद, उसका मेडिकल कराने के बाद, कोर्ट में पेश करने और रिमांड पर लेने की सारी कागजी औपचारिकता पूरी करने के बाद नोएडा पुलिस ने अचानक आजाद कर दिया. उसे परसनल बांड पर रिहा कर दिया गया. छोटे लेवल के पुलिसकर्मी भी खुद दंग है कि आखिर गिरफ्तार किए गए इस फ्रॉड आदमी ने ऐसा क्या जादू कर दिया कि बड़े बड़े अफसर अचानक से द्रवित हो गए और रिहा करने के आदेश दे दिए.
भड़ास4मीडिया के पास इस प्रकरण से जुड़े ढेर सारे दस्तावेज हैं. कई कॉल रिकार्डिंग्स हैं. यह प्रकरण भविष्य में नोएडा पुलिस के अफसरों के लिए बड़ा सिरदर्द बनने वाला है. माना जा रहा है कि नोएडा पुलिस के बड़े अफसरों ने या तो कोई बड़ी डील की है या फिर इस मामले में हाई लेवल से दबाव डाला गया है. बावजूद इसके, तथ्य चीख चीख कर कह रहे हैं कि नोएडा पुलिस ने अपनी साख काफी गिरा दी है. वो भी तब जब नोएडा एक रुटीन जिला होने की बजाय पुलिस कमिश्नर प्रणाली के जरिए संचालित हो रहा है.
कहानी कुछ यूं हैं. देवेंद्र बंसल नामक आदमी को पुलिस गिरफ्तार कर ती है. उस पर करोड़ों रुपए गबन करने का आरोप है और इसी संदर्भ में उसे गिरफ्तार किया गया. नोएडा के सूरजपुर पुलिस स्टेशन में बीते बरस देवेंद्र बंसल के खिलाफ मुकदमा लिखा गया था. उस पर आईपीसी की 420, 467, 468 और 471 धाराएं लगाई गईं. ध्यान रहे, इन धाराओं में अपराध साबित हो जाने पर आजीवन कारावस तक की सजा है.
जिस शख्स ने देवेंद्र बंसल के खिलाफ एफआईआर कराई, वह भी काफी पैसे वाला है. उसने पुलिस को एक्टिव मोड में रखने के लिए हर संभव प्रयास किया. ऐसे में नोएडा पुलिस को एक्टिव रहना ही था. पुलिस ने सर्विलांस और कई चीजों के आधार पर आरोपी देवेंद्र बंसल की लोकेशन ट्रेस कर उसे अरेस्ट कर लिया.
इससे पहले इसी मामले में कोर्ट ने देवेंद्र बंसल को अरेस्ट कर बिना त्रुटि कोर्ट में पेश करने संबंधी एनबीडब्ल्यू जारी किया था. देवेंद्र बंसल को अरेस्ट कर पुलिस ने दोहरा काम कर दिया. अपनी सक्रियता साबित की और कोर्ट के आदेश को पूरा करने की दिशा में कदम उठा दिया. देवेंद्र बंसल को अरेस्ट किया गया तो उसके पास से खुद के तीन तीन आधार कार्ड मिले. यह एक गंभीर मामला था. कई अन्य आपत्तिजनक और गड़बड़-घोटाले से जुड़े कागजात मिले. पुलिस ने सबको सील कर दिया.
इस मामले के आईओ यानि जांच अधिकारी लोकेश शर्मा हैं. उन्होंने आरोपी को मजिस्ट्रेट के सामने पेश करने व रिमांड पर लेने के लिए कागजात तैयार कराए. जब्त की गई चीजों को कोर्ट में पेश करने के लिए उसे सील कराया. आरोपी देवेंद्र को कोर्ट में पेश करने से ठीक पहले उसका मेडिकल कराया गया.
पर न जाने उपर से क्या आदेश आया कि आरोपी देवेंद्र बंसल को पुलिस ने रिहा कर दिया. आरोप है कि उससे बरामद आपत्तिजनक चीजों और अन्य प्रमाणों को नष्ट करने की कोशिश भी पुलिस ने की. देवेंद्र को दुबारा मेडिकल के लिए भेजा गया और सीने में दर्द की बात कहकर उसे भर्ती कराए जाने संबंधी एक लिखित दस्तावेज बना लिया गया. इसके बाद उसे छोड़ दिया गया.
नोएडा पुलिस के एक बड़े अधिकारी का इस बाबत कहना है कि ये मामला घरेलू विवाद का था. एक डीसीपी से इस मामले की जांच कराई जा रही है.
पर बड़ा सवाल तो ये है कि जिस शख्स को कोर्ट में पेश करना था, जिसको रिमांड पर लेने की तैयारी कर ली गयी थी, जिसके पास से तीन तीन आधार कार्ड बरामद हुए और यह बात जीडी में दर्ज है, जिसके खिलाफ कोर्ट ने एनबीडब्ल्यू जारी कर रखा है, उसे अचानक क्यों छोड़ दिया गया?
सूत्रों का कहना है कि देवेंद्र बंसल पर तीन से पांच करोड़ तक के गबन का आरोप है. उसने जेल जाने और फिर सारे केस खुलने व नए मामले दर्ज होने से बचने के लिए एक बड़ा गेम खेला. इस गेम में नोएडा पुलिस इनवाल्व हो गई और अचानक ही जो आदमी जेल जा रहा था, उसे आजाद पंछी हो जाने दिया गया.
देखें इस केस के कुछ डाक्यूमेंट्स-
अगर इस प्रकरण पर नोएडा पुलिस की तरफ से कोई अधिकृत बयान जारी किया जाता है तो उसे ससम्मान प्रकाशित किया जाएगा.
भड़ास के एडिटर यशवंत सिंह की रिपोर्ट. संपर्क- [email protected]