अमित शाह की संपत्ति और मीडिया का भय

Ravish Kumar : भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह की संपत्ति में तीन सौ फ़ीसदी की वृद्धि की ख़बर छपी। ऐसी ख़बरें रूटीन के तौर पर लगभग हर उम्मीदवार की छपती हैं जैसे आपराधिक और पारिवारिक पृष्ठभूमि की ख़बरें छपती हैं। कुछ मीडिया ने अमित शाह की ख़बर नहीं छापकर और कुछ ने छापने के बाद ख़बर हटा कर अच्छा किया। डर है तो डर का भी स्वागत किया जाना चाहिए। इससे समर्थकों को भी राहत पहुँचती है वरना प्रेस की आज़ादी और निर्भीकता का लोड उठाना पड़ता। जो लोग चुप हैं उनका भी स्वागत किया जाना चाहिए। बेकार जोखिम उठाने से कोई लाभ नहीं।

मीडिया हाउसों ने अमित शाह की 300 गुना संपत्ति बढ़ने वाली खबर डिलीट कर दी! (देखें मेल)

Sheetal P Singh : मीडिया दंडवत नहीं बल्कि “डागी” में बदल गया है. जी न्यूज़ चलाने वाले मैनेजमेंट को बाकायदा निर्देश मिले, जिसका उन्होंने बाकायदा पालन किया. बाद में सारे मीडिया ने किया.  निर्देश था कि काली दाढ़ी उर्फ़ अमित शाह की ३०० गुना संपत्ति वृद्धि की खबर तत्काल हर जगह (पोर्टल / टीवी आदि ) से हटा ली जाय.

खुद अपनी तारीफ लिख और इसे विज्ञापन के रूप में छपवा कर मुकेश सिंह नामक शख्स साहित्यकार बन गया!

लोग जाने कौन कौन सा रोग पाल लेते हैं. खासकर वे लोग जो पैसा तो कमा लिए हैं, पर उनके दिल की कामना पूरी नहीं हुई. किसी की इच्छा साहित्यकार बनने की होती है तो किसी की सेलिब्रिटी. ऐसे में ये लोग अपनी आरजू के लिए भरपूर पैसा बहाकर खुद से ही खुद को साहित्यकार / सेलिब्रिटी घोषित कर लेते हैं.

क्या एएनआई वाले खबर के नाम पर पैसा लेते हैं?

ANI न्यूज़ एजेंसी खबरें बनाने के लिए भी पैसा लेती है… इसका खुलासा कल सहारनपुर में उनके एक रिपोर्टर ने कर दिया.. दरअसल ANI ने सहारनपुर में अभी अमित विश्वकर्मा नाम के एक रिपोर्टर को नियुक्त किया है.. कल कुछ व्यपारियों ने अपनी समस्या बताते हुए उससे खबर बनाने की प्रार्थना की…

सारे न्यूज़ चैनल भाजपा के जरखरीद गुलाम बन गए हैं!

Dayanand Pandey : कि पेड न्यूज़ भी शरमा जाए…. आज का दिन न्यूज़ चैनलों के लिए जैसे काला दिन है, कलंक का दिन है। होली के बहाने जिस तरह हर चैनल पर मनोज तिवारी और रवि किशन की गायकी और अभिनय के बहाने मोदियाना माहौल बना रखा है, वह बहुत ही शर्मनाक है। राजू श्रीवास्तव, सुनील पाल आदि की घटिया कामेडी, कुमार विश्वास की स्तरहीन कविताओं के मार्फ़त जिस तरह कांग्रेस आदि पार्टियों पर तंज इतना घटिया रहा कि अब क्या कहें।

TOI का पेड न्यूज : इससे ज्यादा बिकी हुई राजनीतिक खबर आज तक नहीं पढी

Chandan Srivastava : कुछ पैसे लेकर The Times of India ने आज एक पेड न्यूज अयोध्या विधानसभा से बसपा प्रत्याशी के समर्थन में छापी है। इस पेड न्यूज में मतदाताओं के बयान कुछ इस प्रकार छपे हैं-

मीडिया में एकाधिकार और मीडिया हाउसों का कारपोरेट घरानों द्वारा अधिग्रहण भी पेड न्यूज की कैटगरी में शामिल

पेड न्यूज अर्थात प्रायोजित समाचार। इस गम्भीर मसले पर अंकुश लगाने के लिए  सर्वोच्च न्यायालय के हस्तक्षेप पर भारत निर्वाचन आयोग द्वारा देश में राजनैतिक दलों या व्यक्तिगत रूप से चुनाव लड़ने वाले अभ्यर्थियों द्वारा सभी विज्ञापनों के मीडिया के जाने के पहले पूर्व दर्शन, संवीक्षण तथा सत्यापन के लिए एक समिति का गठन किया गया है जिसका नाम है ‘‘मीडिया प्रमाणन और अनुवीक्षण समिति’’ जिसे संक्षेप में एम0सी0एम0सी0 के नाम से कहा जा सकता है। पेड न्यूज पर नियंत्रण के लिए इस समिति के गठन के निर्णय का स्वागत किया जाना चाहिए। 

अखिलेश यादव संग साइकिल चलाते राहुल कंवल का चमचई भरा इंटरव्यू पेड न्यूज़ ही तो है!

अखिलेश यादव के साथ साईकिल चलाते हुए ‘आज तक’ के राहुल कंवल का आधा घंटे का चमचई भरा इंटरव्यू करना क्या पेड न्यूज़ में नहीं आता? साईकिल पर ही बैठे हुए डिंपल यादव का इंटरव्यू करना भी। गोमती रिवर फ्रंट का भी प्रचार। [वैसे गोमती रिवर फ्रंट बहुत सुंदर बना दिख रहा है।]