सौमित्र रॉय-
मनोज राजपूत भी चला गया। मनोज से मेरी पहली मुलाकात दमोह की एक मीडिया विजिट के दौरान करीब 9 साल पहले हुई थी। हम बुंदेलखंड में सूखे और पलायन की विभीषिका का जायज़ा लेने गए थे।
तेज़-तर्रार मनोज को भी मेरी ही तरह सिस्टम से हमेशा शिकायत रही। हम दोनों में एक बात और समान थी- नाइंसाफ़ी को बर्दाश्त न करना।
मेरी तरह मनोज ने भी कई नौकरियां कीं और छोड़ीं, समझौता कभी नहीं किया।
बीते दिनों दमोह के चुनाव कवरेज के बीच मनोज ने फोन कर कुछ मदद मांगी। मैंने एक नंबर दिया और हम काफी देर तक पुराने दिनों की याद ताज़ा करते रहे।
बीते साल कोविड की पहली लहर के दौरान ठग रामदेव के ड्रग ट्रायल का खुलासा मनोज ने ही किया था। नतीजतन शिवराज सरकार घुटने पर आ गई थी।
अपनी न्यूज़ वेबसाइट ख़बरजाल की ई-कॉपी वह लगातार भेजता था। साथ में सिस्टम से समझौता कर रहे साथियों की खबर भी देता।
मनोज लड़ने-जूझने वाला इंसान था। वह कोविड से यूं हार जाएगा, यकीन नहीं होता। लेकिन, मौत अंतिम सच है। मनोज का जाना भीतर से तोड़ने वाला है।
हम लॉकडाउन खत्म होने के बाद मिलने वाले थे, अब नहीं मिल पाएंगे। कभी भी।
कोविड ने देश में 100 से ज़्यादा पत्रकारों को छीना है। आधे तो इसी अप्रैल में चले गए।
तुम हमेशा याद आओगे मनोज। विनम्र श्रद्धांजलि।
One comment on “मध्य प्रदेश के पत्रकार मनोज राजपूत का कोरोना से निधन”
कितनों की जिंदगी बर्बाद की है इस khaubaj मनोज ने ये पहलू तो देखा ही नही होगा