Sheetal P Singh-
केंद्र में प्रचंड बहुमत से दूसरी बार सत्तारूढ़ होकर बीजेपी/संघ परिवार ने बहुत से भ्रम दूर कर दिये। अब यह पारे की तरह साफ़ और स्वयंसिद्ध है कि संघी “हिंदुत्व” नामक मनोरोग के लक्ष्य सिर्फ़ मुसलमानों तक सीमित नहीं हैं । वे सभी क़िस्म के अल्पसंख्यकों के लिये समान रूप से घातक हैं । संघी कारकुन जिस बेशर्मी से आजकल सिक्खों को अपमानित कर रहे हैं वह सिद्ध कर रहा है कि 1984 के नरसंहार में कांग्रेस के कुछ नेता भले ही भावावेश में शामिल हो गए थे पर उस नरसंहार की विचारधारा संघी कारख़ाने में ही पाली पोषी गई थीसिस में मौजूद थी।
अब जब अकाली दल की बीजेपी के लिये राजनैतिक ज़रूरत समाप्त प्राय है और केंचुल बदली जा चुकी है संघ / बीजेपी की सोशल मीडिया फ़ौज पूरी सामर्थ्य से सिक्खों को देश से उसी तरह अलग थलग करने के काम में जुट गई है जैसा वह अनवरत मुसलमानों के मामले में किया करती है । इसके लिये सबसे सीधा आरोप “देशभक्ति” पर संदेह पैदा करके लगाया जाता है । क्यूँकि देश एक लंबे समय तक पाकिस्तान की स्पांसरशिप के ज़रिये पंजाब में आतंकवादी आंदोलन में हुआ रक्तपात झेल चुका है, उनका काम आसान भी है।
मुझे यह दर्ज करते हुए अत्यधिक पीड़ा है कि मैं शहीदेआजम भगत सिंह और अमर बलिदानी ऊधम सिंह की क़ौम के बारे में सोशल मीडिया पर तमाम भद्दी टिप्पणियों को सहने के गुनाह का हिस्सेदार हूँ । जिन्होंने अंडमान निकोबार के कालापानी कहलाने वाली जेलों का वृतांत पढ़ा है या पढ़ने की कूवत है उनकी तो ऐसी हिकमत करने की हिम्मत संभव नहीं पर जिनके विरसे इन्हीं जेलों से माफ़ी माँग कर निकले उनको मैं और किसी रूप में कैसे पा सकता हूँ?
सिक्ख, समाज मैं उनकी ओर से आपसे माफ़ी माँगता हूँ जिन्हें पता ही नहीं कि वे क्या कर गुजरे हैं पर मैं माफ़ी लायक़ हूँ कि नहीं यह आप ही तय करिये।