हाल में ही ओयो कांड से चर्चित हुए और लूट की झूठी खबर फैलाने से मकबूल हुए पत्रकार अतुल अग्रवाल ने लखनऊ में पदस्थ एक पुलिस अफसर को सेट कर नोएडा के साइबर क्राइम पुलिस स्टेशन में भड़ास समेत कइयों के खिलाफ मुकदमा दर्ज करवा दिया है.
भारतीय दंड संहिता और सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम की धाराओं 500, 504, 66 में दर्ज एफआईआर में अतुल अग्रवाल ने ओयो प्रवास और फर्जी लूट कांड के संबंध में विस्तार से अपनी बात रखी है. इसे उसका पक्ष भी माना जाना चाहिए क्योंकि उन दिनों अतुल अग्रवाल ने भयानक चुप्पी ओढ़ रखी थी.
लंबी चुप्पी के बाद वह अपनी छीछालेदर कराने हेतु एफआईआर कराकर फिर पूरे मामले को चर्चा के केंद्र में ला दिया है.
साइबर पुलिस द्वारा दर्ज इस एफआईआर में अतुल अग्रवाल नोएडा पुलिस की छानबानी को ही खारिज कर देता है. इससे यूपी पुलिस पर भी सवाल उठता है कि आखिर वह खुद की किरकिरी कराने, खुद का मजाक उड़ाने का काम क्यों कर-करा रही है. क्या साइबर पुलिस और नोएडा पुलिस में तालमेल नहीं है?
अतुल अग्रवाल एफआईआर में कहता है कि नोएडा पुलिस ने लूट कांड की जांच शुरू की जो विवेचनाधीन है. वह कहता है कि नोएडा पुलिस द्वारा कुछ तथ्यों के आधार पर बस अपनी राय प्रकट की गई.
मतलब जांच करने के बाद नोएडा पुलिस प्रेस रिलीज जारी करे, नोएडा पुलिस के अफसर कैमरों के सामने बाइट दे, वह सब बेकार. वह सब खारिज. अतुल अग्रवाल अपनी लूट की थ्योरी पर कायम है, वह सही. नोएडा पुलिस लूट को फर्जी कह रही, अतुल अग्रवाल नोएडा पुलिस की जांच को खारिज कर रहा है.
अपनी ही जांच, अपनी ही प्रेस रिलीज को खारिज करती हुई एफआईआर को लिखने की पुलिस की मजबूरी को समझा जा सकता है. दरअसल योगी राज में नौकरशाहों को फ्री हैंड क्या मिला है, जिसकी जो इच्छा हो रही है, वह कर गुजर रहा है. पुलिस अफसरों की इस निरंकुशता का अंजाम भाजपा के लिए भयानक होगा. जिले जिले में पुलिस अफसर फर्जी एफआईआर लिखकर बेकसूरों को प्रताड़ित करा रहे हैं. इन नौकरशाहों पर किसी का नियंत्रण नहीं है. ये स्वयंभू खुदा हो चुका हैं.
कायदे से तो फर्जी लूट की सूचना देने, लोगों में दहशत फैलाने, पुलिस को गुमराह करने, पुलिस जांच को प्रभावित करने, पुलिस जांच में सहयोग न करने की धाराएं लगाकर इस अतुल अग्रवाल को जेल भेजना चाहिए था. पर इसकी इतनी हिम्मत हो गई है कि वह लखनऊ के एक पुलिस अफसर को सेट कर फर्जी एफआईआर करवा ले जा रहा है और उस एफआईआर के माध्यम से पुलिस की ही जांच को खारिज कर रहा है. साथ ही नोएडा पुलिस को खुली चुनौती दे रहा है कि तुम चाहें जो जांच कर लो, होगा वही जो हम चाहेंगे.
अतुल अग्रवाल द्वारा दर्ज कराया गया यह मुकदमा भड़ास और अन्य के लिए कम कष्टदाई है, ये नोएडा पुलिस की जरूर नाक कटाने वाला है. नोएडा पुलिस आखिर किस मजबूरी में अतुल अग्रवाल को बख्शे हुए है, फर्जी लूट कांड की सूचना फैलाने के मामले में उसे अब तक जेल क्यों नहीं भेजा गया, यह सवाल पूछा जाएगा.
फिलहाल भड़ास ने इस मामले में तय किया है कि जिन जिन लोगों को आरोपी बनाया गया है, सभी को एकजुट कर ताकत के साथ कानूनी और न्यायिक लड़ाई लड़ी जाएगी. लूट की झूठी खबर फैलाने समेत कई अन्य आरोपों में अतुल अग्रवाल के खिलाफ केस दर्ज कराने की पहल की जाएगी. पुलिस केस न दर्ज करेगी तो कोर्ट के माध्यम से ये मुकदमा दर्ज कराया जाएगा.
जो भी लोग अतुल अग्रवाल की फर्जी एफआईआर में आरोपी बनाए गए हैं, वे भड़ास से संपर्क करें, [email protected] पर मेल करके. उन्हें फौरन वाट्सअप पर नए बने ‘ठरकी FIR मोर्चा’ ग्रुप में जोड़ लिया जाएगा. इससे सभी लोग सूचनाओं और रणनीतियों को साझा कर सामूहिक राय बना पाएंगे.
बाकी इस अतुल अग्रवाल की कहानी बहुत लंबी है. इस पर महा उपन्यास लिखा जा सकता है. इसके खिलाफ इसकी पत्नी चित्रा त्रिपाठी ने एफआईआर दर्ज कराया था कि इसने मारपीट कर चित्रा का नाक मुंह फोड़ दिया है. चित्रा त्रिपाठी ने अपनी हत्या के आशंका भी व्यक्त की थी. देखें एफआईआर की कॉपी-
इसकी बाकी कहानियां भी आगे छपती रहेंगी… इसने गड़ा मुर्दा उखाड़ दिया है… अब सड़े मांस की बदबू देर तक और दूर तक फैलेगी…
इस प्रकरण को लेकर भड़ास एडिटर यशवंत ने फेसबुक पर जो कुछ लिखा है, वो इस प्रकार है-
Yashwant Singh-
Noida में भी भड़ास के ख़िलाफ़ मुक़दमा!
पता चला है कि Adg साइबर सेल लखनऊ रामकुमार के निर्देश पर noida police ने भड़ास और अन्य के ख़िलाफ़ मुक़दमा लिखा! Fir में Shyam Meera Singh और Anil Kumar के भी नाम हैं। ट्विटर पर सक्रिय बहुत सारे लोगों को आरोपी बनाया गया है।
सारे आरोपियों से अनुरोध है कि मुझसे इन्बाक्स में सम्पर्क करें ताकि एक whatsapp ग्रुप बना कर सामूहिक रूप से लड़ाई लड़ी जाए।
ठरकी संपादक से त्रस्त नर नारियों से अनुरोध है कि वे भी संपर्क कर इस मौक़े का फ़ायदा उठाएँ। गोपनीयता का पूरा ध्यान रखा जाए।
Noida police से अनुरोध है कि लूट की फ़र्ज़ी कहानी गढ़ विभाग को परेशान करने वाले ठरकी सम्पादक की छुपी / अनकही कहानियाँ बाहर लाने में सहयोग करें।
अब तो खेला होईबो!
फिलहाल तो अपन मुकदमा होने की खुशी में गा रहे हैं, सुनिए आप भी….. नीचे क्लिक करें…
https://www.facebook.com/yashwantbhadas/videos/138320725111308
इस प्रकरण पर आए ढेरों कमेंट्स में से कुछ प्रमुख यूं हैं-
Sarfaraz Nazeer
धारा 500 का मुकदमा है। चालिस पचास साल तो खिची जाएगा इंशा अल्लाह
Shashi Bhushan
अग्रवाल को कितने लुटेरों ने घेरा था… नेशन वान्ट्स टु नो..!
कहा बितवल ना, की रतिया कहा बितवला ना,
कहा बितवल ना, की रतिया कहा बितवला ना !
की मतिया मरलस कवन सवतिया रतिया कहा बितवाला ना..
Oyo रूम्स में..
Avanish Mani Tripathi
नौ सौ चूहे खाकर बिल्ली हज को चली , लेकिन गलत चली। रास्ते मे ही उसके किडनी में हार्टअटैक आने वाला है ।
Adarsh Mishra
वैसे ये oyo वाले अग्रवाल जी है ना… और बहुत बड़े कहानीकार भी अब अपनी कटी नाक ऐसे जोड़ना चाह रहे है क्या…
Umashankar Gupta
पत्रकारिता किस दौर में पहुँच गयी। गांव में औरतें लड़ाई करती हैं तो छिनरी बुजरी करती हैं आपस मे, वही हाल पत्रकारों का है।
Vikram Singh Chauhan
अतुल अग्रवाल ने पब्लिक में पोस्ट किया,लूट की झूठी कहानी रची इस पर कौन सी धाराएं लगती है! इतना पाक साफ था तो घर की बात उन्हें घर में निपटानी थी,पब्लिक से सिम्पथी क्यों लिया.उल्टा फंसेगा ये आदमी.
Pt Rakesh Dwivedi
किसी के चरित्र का सर्टिफिकेट बांटने से बचे। देश मे बहुत से जरूरी मुद्दे हैं। कोई किसी के साथ था तो यह उसका चुनाव। दुनिया को क्या करना ? इसमे स्पाउस को घसीटना तो और उचित नही।
बाकी लूट की घटना पर जांच हो। पर यह इतना बड़ा जनहित का मुद्दा नही की इसको लेकर मीडिया समय बरबाद करे।
Ajay Khosla
अतुल अग्रवाल की उस रात की लूट वाली कहानी में तो खुद यूपी पुलिस ने कितने झोल निकाले हैं!!
Yogesh Insaan
आईटी की धारा 66 तो कब की खत्म कर दी court ने
Saif Ahmed Kazi
धारा 500 आपराधिक मानहानि में मुकदमा कायमी का सीधा अधिकार पुलिस को है ही नहीं
पूरे प्रकरण को समझने के लिए ये भी पढ़ें-
Shobhit mishra
July 25, 2021 at 5:44 pm
चरसी लगता है अतुल, लाइव डिबेट में एक पार्टी का प्रवक्ता बनकर दूसरे प्रवक्ताओं पर जैसे चढ़ने की कोशिश करता है उससे लगता है गांजा पीकर नशे में हो। चारों तरफ फर्जी लूट का रायता फैला कर अपनी फजीहत से तिलमिलाया है