आज Ashwini Kumar Srivastava जी का बड्डे है. मल्टी टैलेंटेड युवा हैं ये. दिल्ली में बड़े अखबारों में पत्रकार रहे. नौकरी को नमस्ते कर अपने होम टाउन लखनऊ लौटे और रियल स्टेट की दुनिया में कूद पड़े. यहां भी झंडे गाड़े. जब जी होता है गाड़ी उठाते हैं और निकल पड़ते हैं जंगल पहाड़ समंदर को गले लगाने.
अध्यात्म के फील्ड में कई प्रयोग कर चुके हैं. उदात्त चेतना के आदमी हैं. चीजों को समय से पहले महसूस-भांप लेते हैं. लिखने-पढ़ने के बेहद शौकीन. आजकल सुशांत सिंह सुसाइड प्रकरण को निजी स्तर पर इनवेस्टिगेट कर अपने एफबी वॉल को काला कर रहे हैं.
बेइमानी और लीचड़ई इन्हें पसंद नहीं. भ्रष्टाचारी चाहें जितना बड़ा हो, रिश्वत देने के बजाय दो-दो हाथ कर लेने में यकीन रखते हैं.
कभी कभी इनका सभी चीजों से मोहभंग हो जाता है. सोचने लगते हैं, कहीं कुछ नहीं रक्खा है, सब माया है…
बेबाक इतने कि सच को लिख ही डालते हैं, कह ही देते हैं, चाहें किसी को बुरा लगे या भला, चाहें इससे खुद का नुकसान हो या फायदा… यही कारण है कि वह रीयल इस्टेट फील्ड में रहते हुए भी बेबाक लेखन करते रहे और इसका खामियाजा उठाते रहे.
कुछ कुछ मैं भी इन जैसा ही हूं. इसलिए अपनी प्रकृति फितरत के लोग जब मिलते हैं तो अपने-से लगने लगते हैं. अश्विनी जी की जो मित्र मंडली है उसमें Satyendra PS भाई समेत कई लोग हैं. एक दफे ग्रुप फोन काल पर तय हुआ कि जल्दिये सब लोग अपना अपना नगर शहर छोड़कर कहीं जंगल में भाग लेते हैं. पर लगता है भागने का अभी मुहुर्त निकला नहीं सका है.
फिलहाल तो जन्मदिन की ढेरों मुबारकबाद अश्विनी जी. ऐसे ही मौलिक अंदाज में सोचते जीते रहिए, खुद के दिल-दिमाग का वर्जन खुद ही अपग्रेड करते रहिए…
हालांकि आप मदिरा त्याग चुके हैं पर आज शाम आपके बड्डे के मौके पर इधर दिल्ली में बरसेगी शराब और हम लोग चीयर्स कर भीगा जाएगा…
जैजै
यशवंत
भड़ास एडिटर यशवंत सिंह की एफबी वॉल से.
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