PTI के 297 मीडियाकर्मियों की नौकरी बचाने वाले कोर्ट आर्डर की कॉपी देखें

उच्च न्यायालय ने पीटीआई में छंटनी के मामले में अपने आदेश में सबसे महत्वपूर्ण बात यह मानी है कि इस मामले में यदि अंतरिम स्थगन आदेश नहीं दिया जाता है तो मैनेजमेंट का तो कोई नुकसान नहीं होगा लेकिन 297 कर्मचारियों का ऐसा नुकसान हो जाएगा जिसकी कभी शायद भरपाई नहीं हो सकेगी. माननीय न्यायालय …

‘पीटीआई का यादव हीरो नहीं, बेइमान है… जिसने भी आलेख लिखा है, वह स्वयं यादव का चेला होगा’

भड़ास में पीटीआई में रिट्रेंचमेंट के बारे में जो खबरन लगी है उसमें अनेक भ्रांतियां और तथ्य परक त्रुटियां हैं। मिसाल के तौर पर रिट्रेंचमेंट की नोटिस दिन में लगभग 11 बजे दिल्ली में लगने के बाद उस पर कार्रवाई के लिए पूरे फेडरेशन, जो सीक्रेट बैलेट से इस वर्ष फरवरी में चुनकर के आया …

पीटीआई में ‘कत्लेआम’ पर कई पत्रकार संगठनों ने प्रबंधन को धिक्कारा

हैदराबाद : पीटीआई में छंटनी की भारतीय पत्रकार संघ ने की कड़ी निंदा। भारतीय पत्रकार संघ (आईजेयू) और श्रमजीवी पत्रकारों के अधिकतर संगठनों ने समाचार एजेंसी प्रेस ट्रस्ट ऑफ इंडिया (पीटीआई) प्रबंधन द्वारा शनिवार को देशभर में की गयी 297 कर्मचारियों की मनमानी और अवैध छंटनी की कड़ी निंदा की है।

पीटीआई से निकाले गए सभी लोगों की लिस्ट देखें

Sanjaya Kumar Singh : पीटीआई ने आईजोल से लेकर त्रिवेन्द्रम तक के अपने केंद्रों में काम करने वाले करीब तीन सौ लोगों को एक झटके में नौकरी से निकाल दिया है और सबकी सूचना वेबसाइट पर डाल दी है। कर्मचारियों को बताया गया है कि उनके पैसे खाते में ट्रांसफर कर दिए गए हैं। निकाले …

पीटीआई से 300 से ज्यादा कर्मियों की छंटनी की खबर किसी अखबार में छपी?

Sanjaya Kumar Singh : यह संयोग ही है कि सारी खबरें एक ही दिन हैं… पीटीआई ने कल अचानक अपने करीब 300 कर्मचारियों को नौकरी से निकल दिया। उनका हिसाब उनके घर भिजवा दिए और पैसे खातों में ट्रांसफर कर दिए। साथ में लिख दिया कि कंपनी की तरफ कुछ बकाया हुआ तो ग्रेच्युटी में …

पीटीआई में कत्लेआम, देशभर से 312 लोग निकाले गए, देखें लिस्ट

पीटीआई में भारी भरकम छंटनी की खबर है। 312 मीडियाकर्मियों की नौकरी गई। इनमें अधिकतर गैर-पत्रकार कर्मी हैं। मीडिया में यह आईबीएन7 और सीएनएन-आईबीएन से भी बड़ा कत्लेआम है। एक झटके में देश की सबसे बड़ी समाचार एजेंसी पीटीआई से 312 लोगों को निकाल बाहर किया गया है। छंटनी का शिकार संपादकीय विभाग से इतर …

स्मृति ईरानी की फटकार के बाद पीटीआई ने गलत फोटो देने वाले फोटोग्राफर को नौकरी से निकाला

देश की सबसे बड़ी न्यूज एजेंसी प्रेस ट्रस्ट आफ इंडिया यानि पीटीआई को अपने एक फोटोग्राफर को नौकरी से निकालना पड़ा. फोटोग्राफर ने चेन्नई की बाढ़ की तस्वीरों को गुजरात का बताकर एजेंसी के हवाल कर दिया और एजेंसी ने इसे रिलीज भी कर दिया. जब इस गलती की तरफ किसी ने सूचना-प्रसारण मंत्री स्मृति ईरानी का ध्यान दिलाया तो उन्होंने पीटीआई वालों से ट्विटर पर ही पूछ लिया कि ये बड़ी गलती क्यों की गई? उन्होंने पूछा कि पीटीआई के लोग चेन्नई के बाढ़ की तस्वीरों कों गुजरात का बताकर क्यों प्रचारित प्रसारित कर रहे हैं? इस पर पीटीआई वालों ने खेद जताते हुए कहा कि संबंधित फोटोग्राफर की सेवाएं समाप्त कर दी गई हैं.

पीटीआई वाले कब जात-पात से उपर उठेंगे?

एक तरफ जहां राष्ट्रपति पद की उम्मीदवार मीरा कुमार रायसीना हिल्स की दौड़ को ‘दलित बनाम दलित’ निरूपित किए जाने से असहमत हैं और ‘जाति को जमीन में गहरे गाड़ देने’ की बात कर रही हैं, वहीं दूसरी तरफ मीडिया अभी भी ‘दलित’ और ‘अल्पसंख्यक’ जैसे जातिसूचक शब्दों के खेल से बाहर नहीं निकल पा रहा है. मीडिया में बैठे तमाम तथाकथित सेकुलर बुद्धिजीवी ऊपरी तौर पर भले ही इनसे हमदर्दी जताते हों, लेकिन इनकी असलियत क्या है, इसका एक और मुजाहिरा हाल ही में आई उन खबरों से हुआ है, जिसमें बताया गया है कि कैसे ‘मीडिया के लोग’ एक दलित होने के नाते रामनाथ कोविंद की बाइट लेने या दिखाने से गुरेज करते थे, जब वे कुछ अरसा पहले भाजपा के राष्ट्रीय प्रवक्ता हुआ करते थे.

PTI में आठ साल पूरे कर चुके प्रियभांशु रंजन बोले- योगी के बाल, गोशाला की गाय, मोदी की नींद जानने के लिए जर्नलिज्म में नहीं आया

Priyabhanshu Ranjan : 8 Years In Journalism. 8 Years With The Press Trust of India. योगी के बाल नहीं बढ़ने की वजह जानने, गोशाला की गायें गिनने या मोदी के सोने के घंटे जानने के लिए जर्नलिज्म में नहीं आया था। पूरी तरह सोच समझकर असल खबरों से जुड़ा काम करने के लिए जर्नलिज्म में आया था। ये काम आज भी कर रहा हूं। शान से कर रहा हूं। शायद इसलिए 8 साल बाद भी PTI में हूं। मीडिया में जब तक रहूंगा, PTI या इसकी तरह ही गंभीर काम में यकीन रखने वाली किसी संस्था में रहूंगा।

पीटीआई यूनियन लीडर एमएस यादव की कारस्तानी : फेडरेशन की एक करोड़ की संपत्ति बेटे को सौंपा!

देश की जानी मानी न्यूज़ एजेंसी प्रेस ट्रस्ट ऑफ़ इंडिया की फेडरेशन ऑफ़ पीटीआई एम्प्लाइज यूनियंस के महासचिव महाबीर सिंह यादव पर कई गंभीर किस्म के आरोप लगे हैं. महाबीर सिंह यादव उर्फ एमएस यादव की मनमानी के कई किस्से सामने आ रहे हैं. लगभग एक करोड़ रूपये से अधिक कीमत की फेडरेशन की प्रॉपर्टी को इन महाशय ने गलत तरीके से अपने बेटे के नाम पर करा दिया. एमएस यादव की हरकतों से पीटीआई इंप्लाइज फेडरेशन का अस्तित्व खतरे में है.

वरिष्ठ पत्रकार विजय जोशी ने पीटीआई के प्रधान संपादक के रूप में कामकाज संभाला

नयी दिल्ली : प्रेस ट्रस्ट आफ इंडिया (पीटीआई) ने वरिष्ठ पत्रकार विजय जोशी को समाचार एजेंसी का प्रधान संपादक नियुक्त किया. इन्हें एशिया और पश्चिम एशिया में पत्रकारिता का तीन दशक से अधिक समय का अनुभव प्राप्त है. 54 वर्षीय जोशी ने एमके राजदान की जगह ली है जो सितंबर में प्रधान संपादक के पद से सेवानिवृत्त हुए थे. जोशी पहले 80 के दशक में पीटीआई में सेवाएं दे चुके हैं और उन्होंने अपने करियर का लंबा अरसा द एसोसिएटिड प्रेस (एपी) में बिताया है जहां वह भारत, सिंगापुर, मिस्र, मलेशिया और थाइलैंड में विभिन्न जिम्मेदारियां संभाल चुके हैं.

51 साल बाद पीटीआई से रिटायर हो जाएंगे एमके राजदान

न्‍यूज एजेंसी पीटीआई के एडिटर-इन-चीफ एमके राजदान की 51 वर्षों की लंबी पारी इस महीने समाप्‍त होने वाली है. श्री राजदान 30 सितंबर को पीटीआई से रिटायर होने जा रहे हैं. वे पिछले 21 सालों से पीटीआई के एडिटर-इन-चीफ के पद पर कार्यरत थे. साथ ही सीईओ की अतिरिक्‍त जिम्‍मेदारी देख रहे थे. नई सरकार …

प्रियंका टिक्कू को गद्दी पर बिठाकर पीटीआई की सत्ता अपने हाथ में रखना चाहते हैं एमके राज़दान!

यशवंतजी
नमस्कार,

आशा करती हूँ आप कुशल होंगे. Bhadas4media पर प्रकाशित PTI की एक स्टोरी पढ़ी. काफी सटीक थी, पर ये पूरी कहानी नहीं है. पूरी कहानी कुछ और है बल्कि यहां ये कहना गलत नहीं होगा कि समझिए एक तरह से PTI की कब्र खोदी जा रही है और उसे सुपुर्दे खाक प्रियंका टिक्कू ही करेंगी. दरअसल प्रियंका टिक्कू पीटीआई के सीईओ और एडिटर इन चीफ एम के राज़दान की बहुत ख़ास हैं और ये कोई गुप्त बात भी नहीं है. राज़दान साहब पीटीआई को अपनी जागीर समझते हैं और जब पीटीआई बोर्ड ने उनको बाहर का रास्ता दिखा दिया तो वे प्रियंका टिक्कू को वहां बिठाना चाहते है. ये बात पीटीआई में सबको पता है पर अपनी नौकरी किसको प्यारी नहीं होती. मैं ये सब आपको इसलिए लिख पा रही हूँ क्योंकि मैं वहां से अब इस्तीफ़ा दे चुकी हूं.

पीटीआई के एडीटर इन चीफ पद के लिए प्रियंका टिक्कू मुख्य दावेदार

समाचार एजेंसी PTI में लंबे अंतराल बाद सत्ता परिवर्तन होने जा रहा है और उसका पहला चरण हो भी चुका है. PTI बोर्ड ने पहले ही हिंदुस्तान टाइम्स के चीफ लर्निंग ऑफिसर रहे वेंकी वेंकटेश को एमके राजदान की जगह नया सीईओ नियुक्त कर दिया है. अब एडीटर इन चीफ की तलाश की जा रही है. गौरतलब है कि एमके राजदान ही अब तक दोनों पद संभाल रहे थे. राजदान ने इन शीर्ष पदों समेत पीटीआई में 50 साल की अपनी लंबी पारी खेली है.

पीटीआई के नए संपादक के लिए जेटली की सिफारिश डस्टबिन में गई

Sanjaya Kumar Singh : कई बार विस्तार प्राप्त कर चुके समाचार एजेंसी पीटीआई के संपादक आखिरकार रिटायर हो रहे हैं और पीटीआई बोर्ड, इस एजेंसी चलाने के लिए प्रशासक नहीं, संपादक तलाश रहा है। इस खबर को पढ़िए आप समझ जाएंगे कि देश की सबसे बड़ी समाचार एजेंसी कितनी गंभीरता से चल रही है। इसकी हिन्दी सेवा ‘भाषा’ के संपादक कुमार आनंद हुआ करते थे और उनके इस्तीफा देने के बाद से भाषा के संपादक का भी पद वर्षों से खाली पड़ा है।

एएनआई का एकाधिकार खत्म करने को पीटीआई तैयार, ब्राडकास्ट वर्जन लाने की घोषणा

अब तक एएनआई का ब्राडकास्ट न्यूज एजेंसी के क्षेत्र में एकाधिकार है. पर प्रिंट मीडिया को न्यूज फीड देने वाली लीडिंग न्यूज एजेंसी प्रेस ट्रस्ट आफ इंडिया ने अब इसे टक्कर देने की घोषणा कर दी है. पीटीआई ने ब्राडकास्ट वर्जन लांच करने की घोषणा की है. इस चर्चित न्यूज एजेंसी ने अगले आठ से दस हफ्तों के भीतर ब्राडकास्ट वर्जन के लिहाज से कामधाम शुरू कर देने की तैयारी की है. आंतरिक तैयारियां और कामकाज तेजी से चल रहा है.

पीटीआई यूनियन और प्रबंधन की साठगांठ!

: कानाफूसी : पीटीआई के साथियों को यह खबर जानकर नए साल पर हैरानी हो सकती है लेकिन खबर सत्‍य है। पीटीआई यूनियन और मजीठिया वेज बोर्ड के कथित हीरो ने सन 2002 में प्रबंधन के साथ एक समझौता किया था। इसके अनुसार यूनियन ने प्रबंधन को तीन साल तक कॉन्‍ट्रैक्‍ट पर कर्मचारियों को रखने की अनुमति दी थी। अब यही यूनियन के सर्वेसर्वा कह रहे हैं कि कॉन्‍ट्रैक्‍ट वाले साथियों का वेतन 35 हजार से ऊपर नहीं होना चाहिए। इन नेताओं से पूछना चाहिए कि प्रबंधन के साथ किन हालातों में यह समझौता किया गया और अगर तीन साल तक ही समझौता था तो फिर इतने साल तक कॉन्‍ट्रैक्‍ट पर लोगों को कैसे रखा जा रहा है। वैसे सभी साथियों को मुबारक कि यूनियन कॉन्‍ट्रैक्‍ट के साथियों के लिए सुप्रीम कोर्ट जाने की तैयारी करने वाली है।

PTI को ढेर सारे पत्रकारों की जरूरत, अप्लाई करने के लिए आज आखिरी दिन

न्यूज एजेंसी पीटीआई को दिल्ली और मुंबई में ढेर सारे पत्रकारों की जरूरत है. पीटीई को प्रिंसिपल कॉरेसपोंडेंट, प्रिंसिपल कॉपी एडिटर, सीनियर कॉपी एडिटर, प्रोबैशनरी जर्नलिस्ट आओर ट्रेनी जर्नलिस्ट की नियुक्ति करनी है. पीटीआई की वेबसाइट से फार्म डाउनलोड करके आज 30 दिसंबर तक hrm@pti.in पर भेजा जा सकता है.