रोडवेज बस के कंडक्टर का हरामीपना… देखें वीडियो

Yashwant Singh :  बीते साल बाइस दिसंबर को आगरा एक कार्यक्रम में शिरकत करने के लिए जा रहा था. नोएडा में सिटी सेंटर मेट्रो स्टेशन के पास स्थित रोडवेस बस अड्डे पर बड़ौत डिपो की एक बस पर बैठ गया. यह बस वाया यमुना एक्सप्रेसवे ले जाने वाली थी. बस चल दी और परी चौक से ठीक पहले खराब भी हो गई.

गंगोत्री और केदारनाथ की यात्रा : एक संस्मरण

रासबिहारी पाण्डेय

बहुत दिनों से उत्तराखंड भ्रमण की इच्छा थी। वैसे तो उत्तराखंड को देवभूमि कहा गया है। यहाँ बहुतेरे तीर्थस्थल और ऐतिहासिक महत्त्व के दर्शनीय स्थल हैं लेकिन उन सबमें यमुनोत्री, गंगोत्री,  केदारनाथ और बदरीनाथ प्रमुख हैं। अक्सर ये यात्राएं लोग समूह में करते हैं, बसों से या छोटी गाड़ियाँ रिजर्व करके। ये बस और छोटी गाड़ियों वाले ड्राइवर यात्रियों को एक निश्चित समय देते हैं जिसके भीतर यात्रियों को लौटकर एक निश्चित स्थान पर आना होता है। मेरे एक मित्र ने बताया कि निश्चित समय होने की वजह से कभी कभी कई लोग बिना दर्शन लाभ लिए बीच रास्ते से ही लौटकर उक्त स्थान पर चले आते हैं ताकि अगली यात्रा के लिए प्रस्थान कर सकें।

Cheating and harassment by travel agent in delhi

Dear Sir,

My name is Charanjeet Singh resident of New Delhi. I had applied for Canada Permanent Residency from Aptech Global Immigration Services Pvt Ltd. In New Delhi on 9th May 2016. Aptech Global Immigration Services Pvt Ltd. Address (408, 4th Floor, Westend Mall, Janakpuri West, New Delhi-110058).

Mr. Aman mobile number: 7503832132
Landline: 011-46254693

नैनीताल बुला रहा आपको, 25 से 31 दिसंबर तक विंटर कार्निवाल में स्वागत है…

नैनीताल : अगर आप मैदानी इलाकों के कोहरे और ठिठुरन भरी ठंड से निजात पाना चाहते हैं तो सरोवर नगरी नैनीताल का रुख कर सकते हैं। अगर आप चाहें नैनीताल में दिसंबर के आखिरी हफ्ते में चुंबन भरी ठंड के बीच गुनगुनी घूप के साथ तमाम सांस्कृतिक, खेलकूद और साहसिक गतिविधियों का भी लुत्फ़ उठा सकते हैं। यहाँ आने वाली 25 से 31 दिसम्बर तक भव्य एवं आकर्षक “नैनीताल विंटर कार्निवाल” का आयोजन होने जा रहा है। नैनीताल विंटर कार्निवाल में सैलानियों की रुचियों के मद्देनजर विभिन्न किस्म के कार्यक्रम निर्धारित किए गए हैं। इसमें सांस्कृतिक कार्यक्रम, नुक्कड़ नाटकों के अलावा माउन्टेन, बाइकिंग, फैन्सी ड्रेस, मैराथन, ट्रैकिंग, ग्राफिक पेटिंग, फोटोग्राफी, फूड फैस्टिबल, थियेटर प्ले, लघु फिल्म, बच्चो की पेंटिंग, फिसिंग, पतंग, बेबी शो, फैन्सी ड्रेस आदि तमाम प्रतियोगिताएं शामिल हैं।

श्रीलंका से लौटे पत्रकार दयानंद पांडेय का एक अदभुत यात्रा वृत्तांत पढ़िए

दीप्तमान द्वीप में सागर से रोमांस

आज पंद्रह दिन हो गया है श्रीलंका से लौटे हुए लेकिन कोलंबो में सागर की लहरों का सुना हुआ शोर अभी भी मन में शेष है । थमा नहीं है । यह शोर है कि जाता ही नहीं । कान और मन जैसे अभी भी उस शोर में डूबे हुए हैं । उन दूधिया लहरों की उफान भरी उछाल भी लहरों के शोर के साथ आंखों में बसी हुई है । लहरों का चट्टानों से टकराना जैसे मेरे मन से ही टकराना था । दिल से टकराना था । लहरों का यह शोर मेरे मन का ही शोर था । मेरे दिल का शोर था । यह शोर अब संगीत में तब्दील है शायद इसी लिए अभी भी मन में तारी है । स्मृतियों में तैरता हुआ । तो क्या यह वही शोर है , वही दर्प है जो राम को समुद्र पर सेतु बनाने से रोक रहा था ? जिस पर राम  क्रोधित हो गए थे ? तुलसी दास को लिखना पड़ा था :

बिनय न मानत जलधि जड़ गए तीनि दिन बीति।
बोले राम सकोप तब भय बिनु होइ न प्रीति॥

रेल में हवाई यात्रा के सुख बनाम भारतीय रेल

कल 08792 निजामुद्दीन-दुर्ग एसी सुपरफास्ट स्पेशल से वास्ता पड़ा। निजामुद्दीन से चलने का ट्रेन का निश्चित समय सवेरे 830 बजे है सुबह सात बजे नेशनल ट्रेन एनक्वायरी सिस्टम पर चेक किया तो पता चला ट्रेन राइट टाइम जाएगी। यहीं से चलती है इसलिए कोई बड़ी बात नहीं थी। स्टेशन पहुंचा तो बताया गया प्लैटफॉर्म नंबर चार से जाएगी। प्लैटफॉर्म पर पहुंच गया तो घोषणा हुई (संयोग से सुनाई पड़ गया वरना देश भर में कई स्टैशनों के कई प्लैटफॉर्म पर घोषणा सुनाई नहीं पड़ती है और हम कुछ कर नहीं सकते) कि ट्रेन एक घंटे लेट है। परेशान होने के सिवा कुछ कर नहीं सकता था।

दो दिनी अलीगढ़ यात्रा : जिया, मनोज, प्रतीक जैसे दोस्तों से मुलाकात और विनय ओसवाल के घर हर्ष देव जी का साक्षात्कार

पिछले दिनों अलीगढ़ जाना हुआ. वहां के छात्रनेता और पत्रकार ज़ियाउर्रहमान ने अपनी पत्रिका ‘व्यवस्था दर्पण’ के एक साल पूरे होने पर आईटीएम कालेज में मीडिया की दशा दिशा पर एक सेमिनार रखा था. सेमिनार में सैकड़ों इंजीनियरिंग और एमबीए छात्रों समेत शहर के विशिष्ट जन मौजूद थे. आयोजन में शिरकत कर और युवाओं से बातचीत कर समझ में आया कि आज का युवा देश और मीडिया की वर्तमान हालत से खुश नहीं है. हर तरफ जो स्वार्थ और पैसे का खेल चल रहा है, वह सबके लिए दुखदायी है. इससे आम जन की मुश्किलें बढ़ती जा रही हैं. सेमिनार में मैंने खासतौर पर मीडिया में आए भयंकर पतन और न्यू मीडिया के चलते आ रहे सकारात्मक बदलावों पर चर्चा की. बड़े मीडिया घरानों के कारपोरेटीकरण, मीडिया में काले धन, मीडिया में करप्शन जैसे कई मामलों का जिक्र उदाहरण सहित किया. 

पत्रकार बिनोद रिंगानिया की नौ दिनी यूरोप यात्रा : चोर का उदाहरण देने के लिए नीग्रो की तस्वीर लगाई!

पोट्सडम की धूप में इतिहास की झलक

यूरोपीय शहरों में सैलानी के तौर पर घूमने वाले यूरोपीय या अमरीकी नागरिकों के लिए आकर्षण का केंद्र वहां के दर्शनीय केंद्र होते हैं, जैसे म्यूजियम और पुराने ऐतिहासिक स्थल। लेकिन जहां तक मुझ जैसे भारतीय पर्यटकों का सवाल है तो सच्चाई यह है कि उनके लिए तो वहां की ट्रैफिक व्यवस्था, समाज व्यवस्था, वहां का आम वास्तुशिल्प, वहां का शिष्टाचार, वहां की ट्रेनें और बसें – ये सब अधिक आकर्षण का केंद्र होते हैं। अपनी नौ दिन की यूरोपीय यात्रा के दौरान वहां के तीन देशों के चार शहर मेरे लिए नमूने के तौर पर थे और इन शहरों के माध्यम से मैंने यूरोप का अधिक से अधिक अपने अंदर सोखने की कोशिश की।

गाजीपुर से दिल्ली के लिए नई ट्रेन ‘राजा सुहेल देव राजभर एक्सप्रेस’ 13 अप्रैल से, हफ्ते में तीन दिन चलेगी

गाजीपुर के सांसद और रेल राज्य मंत्री मनोज सिन्हा की पहल पर पूर्वी यूपी के गाजीपुर जिले से दिल्ली के लिए ट्रेन शुरू हो रही है। ट्रेन को मनोज सिन्हा 13 अप्रैल की शाम पांच बजे गाजीपुर सिटी स्टेशन से हरी झंडी दिखाकर रवाना करेंगे। यह ट्रेन सप्ताह में तीन दिन चलेगी। बुधवार-शुक्रवार तथा रविवार की शाम साढ़े पांच बजे गाजीपुर सिटी स्टेशन से खुलेगी और सुबह साढ़े सात बजे दिल्ली के आनंद बिहार स्टेशन पहुंचेगी।

अगर आप दिल्ली में हैं या दिल्ली गए हुए हैं तो हौज खास विलेज में ये मकबरे वाली जगह घूम आइए (देखें वीडियो)

Yashawnt Singh : दिल्ली में हौज खास विलेज नामक जगह है. कभी यह दिल्ली के दूसरे शहर सीरी में हुआ करता था, ऐसा हौज खास जाने पर बाहर लगी पट्टिका को पढ़ने से पता चलता है. आज हौज खास दिल्ली का हिस्सा बन चुका है. यहां लगी पट्टिका पर लिखा है-

पूर्वोत्तर यात्रा-6 : नदी के बीच दुनिया के सबसे बड़े टापू की सैर

वह 28 नवम्बर 2015 की सर्द सुबह थी। सुबह 6 बजे तक एलिफेंट सफारी के लिए काजीरंगा अभ्यारण्य के दूसरे छोर तक पहुचना था। टीम लीडर किरण जी कि हिदायत के मुताबिक सभी पत्रकार साथी सुबह 5.30 बजे तक बस में सवार हो चुके थे। हमें 30 किलोमीटर की दूरी तय कर एलिफेंट सफारी स्टेशन पहुँचना था। तय समय से हम पहुँच गए पर जंगल की सैर कराने वाले हाथी और महावत अभी नहीं पहुचे थे। आधे घंटे के इंतज़ार के बाद दो हाथी सामने से आते हुए दिखाई दिए। बताया गया कि एक बार में 6 से 7 लोग ही एलिफेंट सफारी के लिए जा सकेंगे। इस दिए हमने दो टीम बनाई। हाथी पर सवार हो कर 1 घंटे तक जंगल में घूमने की फ़ीस 800 रूपये प्रति व्यक्ति थी। मुझे लगता है अपने देश में पर्यटको से सुविधाओं के लिए भारी कीमत वसूली जाती है। खैर पहली और शायद आखिरी बार यहाँ तक आये थे लिए जंगल घूमने के लिए हाथी पर सवार हो गए। पहली खेप में मेरा भी नंबर लग गया। मैं सुरेंद्र जी हथियारबंद गार्ड के साथ हाथी पर सवार हो कर जंगल भ्रमण के लिए रवाना हो गए।

पूर्वोत्तर यात्रा-5 : बिहु और झूमर का नशा

आज गुवाहाटी से काजीरंगा नेशनल पार्क के लिए रवाना होना था। सुबह 7 बजे सारे पत्रकार साथी तैयार हो चुके थे। राजभवन से नाश्ता कर प्रस्थान करना था। हम दो दिनों से असम के राजभवन में रुके थे पर अब तक राज्यपाल पद्मनाभन आचार्य जी से हमारी मुलाकात नहीं हो पाई थी। दरअसल आचार्य जी के पास असम के साथ साथ नागालैंड के राज्यपाल का भी प्रभार है। इन दिनों वे नागालैंड की राजधानी कोहिमा स्थित राजभवन में थे। वहाँ उनसे हमारी मुलाकात होने वाली थी। सुबह 7 बजे हम 4 घंटे की यात्रा पर काजीरंगा के लिए रवाना हुए। बस आगे बढ़ी तो समय बिताने के लिए फिर से गीत संगीत की महफ़िल जमी।

पूरे एक साल बिना एक पैसा खर्च किए जिंदगी जीकर देखेगी यह महिला फ्रीलांस जर्नलिस्ट

जर्मनी की ग्रेटा टाउबेर्ट ने कसम खाई है कि वो एक साल बिना पैसा खर्च किए जिंदगी गुजारेंगी. टाउबेर्ट जानना चाहती है कि क्या पैसे के बिना वाकई जिंदगी चल सकती है. वह अपने अनुभव दुनिया से बांटेंगी. जर्मन शहर लाइपजिश में रहने वाली 30 साल की ग्रेटा टाउबेर्ट बढ़ते उपभोक्तावाद से परेशान हैं. इसीलिए उन्होंने तय किया है कि साल भर तक वो खाने पीने के समान, टूथपेस्ट, साबुन, क्रीम, पाउडर और कपड़ों पर एक भी सेंट खर्च नहीं करेंगी.

मस्ती की एक रात इस Osho पंथी संत ने यशवंत को दीक्षित कर नाम दे दिया स्वामी प्रेम संतति!

Yashwant Singh : तंत्र साधना को जानने की इच्छा के तहत काफी समय से बहुत कुछ पढ़, देख, सुन, खोज रहा हूं. इसी दरम्यान चंद रोज पहले लखनऊ में एक ओशो पंथी संन्यासी मिल गए, स्वामी आनंद भारती. उनसे तंत्र को लेकर त्रिपक्षीय वार्ता हुई. एक कोने पर Kumar Sauvir जी थे. दूसरे कोने पर खुद स्वामी आनंद भारती और तीसरे कोने पर मैं, श्रोता व वीडियो रिकार्डर के रूप में. ये 25 मिनट का वीडियो आपको बहुत कुछ बताएगा.

यशवंत यात्रा संस्मरण : एलीफैंटा द्वीप पर बुद्ध को किसने पीटा? देखें वीडियो

Yashwant Singh : एलीफैंटा द्वीप पर जो गुफाएं हैं, उसमें दीवारों पर चारों तरफ बुद्ध की मूर्तियां हैं. किसी में बुद्ध के पैर कटे हैं, किसी में मुंह टूटा है, किसी में हाथ गायब हैं. शांति के प्रतीक बुद्ध के साथ ये हिंसा कब और किसने की होगी. वीडियो बनाते हुए ये सवाल दिल दिमाग में चलता रहा. क्या वाकई हिंसा, डेस्ट्रक्शन ही मुख्य धारा है और शांति करुणा अहिंसा आदि चीजें रिएक्शन में पैदा हुईं, साइड इफेक्ट के चलते उपजी हुई बाते हैं? क्या प्रकृति की मोबोलिटि के लिए वायलेंस अनिवार्य है? शांति और अहिंसा से क्या प्रकृति को खुद के लिए खतरा पैदा होता है? या फिर ऐसा कि प्रकृति हर दौर के अपने नायक चुनती है और जब बुद्ध का दौर खत्म हुआ तो उनसे बड़ा कोई नायक पैदा नहीं हुआ लेकिन नित नए नए आयाम छूती गई? उदास मन और कई प्रश्नो को लेकर लौटा. आप भी देखिए और थोड़ा मुझे समझाइए.

त्रयंबकेश्वर मंदिर : 200 रुपये डोनेशन देकर वीआईपी दर्शन करने की बात लिखा देख मन बिदक गया

Yashwant Singh : आजकल नासिक में डेरा है. यहां चाचाजी की ओपन हॉर्ट सर्जरी हुई है. सब कुछ सकुशल रहा. वे अपने सुपुत्र और मेरे छोटे भाई Rudra Singh के यहां रहकर स्वास्थ्य लाभ कर रहे हैं. चाचाजी के कहने पर आज नासिक से कुछ दूर स्थित त्रयंबकेश्वर मंदिर गया, जिसकी हिंदू धर्म में बहुत महिमा है. पर मंदिर के गेट पर 200 रुपये डोनेशन देकर वीआईपी दर्शन करने की बात लिखा देख मन बिदक गया. भीतर नहीं गया. पूछा तो पता चला कि आम जनता लंबी लाइन लगाकर काफी समय गुजारने के बाद दर्शन लाभ पाती है लेकिन जो दो सौ रुपये दे देते हैं उन्हें तुरंत डायरेक्ट दर्शन करा दिया जाता है.

 

मेरठ, मोदी, मनुष्य और मस्ती : कहीं आप रोबो मशीन तो नहीं!

Yashwant Singh :  मेरठ आया हुआ हूं. कल जब बस से उतरा तो पुरानी यादों के सहारे शार्टकट मार दिया. वो मटन कोरमा और काली मिर्च चिकन की खुश्बू को दिलों में उतारते, उस दुकान के सामने खड़े होकर कुछ वक्त उसे निहारते. फिर एक तंग गली में चल पड़ा. रिक्शों, आटो वालों को मना करते हुए कि मुझे पैदल ही जाना है. चलता रहा. कई दिन से दाढ़ी बढ़ी हुई थी. दाएं बाएं देखता रहा और वर्षों पुरानी मेरठ की यादों को ताजा करते हुए पैदल चलता रहा.

पूर्वोत्तर यात्रा-1 : शिलांग में पश्चिम का राजस्थान

शिलांग में राजस्थानी समाज द्वारा 1959 में बनाया गया राजस्थान विश्राम भवन।

जिंदगी यादों का कारवाँ है। हम भी अपने इस यादों के कारवे में आप सब को शामिल करने जा रहे है। देश के पूर्वी हिस्से जिसे नार्थ ईस्ट यानि पूर्वोत्तर के नाम से जानते हैं। भारत का यह इलाका देश के बाकी हिस्से से लगभग कटा हुआ है। हालाँकि हाल के वर्षों में लोगों की दिलचस्पी पूर्वोत्तर में बढ़ी है। काफी दिनों से पूर्वोत्तर यात्रा के बारे में सोच रहा था। इसी साल सितम्बर की एक दोपहर मंत्रालय में खबरों की तलाश के दौरान  एशियन एज के विशेष संवाददाता मेरे मित्र विवेक भावसार ने बताया की हम कुछ पत्रकार मित्र पूर्वोत्तर यात्रा की योजना बना रहे हैं। पूछा क्या आप भी चलना चाहेंगे ? मैं तो पूर्वोत्तर देखने के लिए कब से लालायित था। इस लिए हा कहने में जरा भी देर नहीं की। धीरे धीरे पूर्वोत्तर जाने वाले पत्रकार साथियों की संख्या बढ़ते बढ़ते 18 तक पहुच गई। आख़िरकार पूर्वोत्तर यात्रा की तिथि भी तय हो गई। एयर टिकट सस्ते मिले इस लिए एक माह पहले ही टिकटों की बुकिंग कराई गई।