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मध्य प्रदेश

राज्यपाल इतने बीमार हैं, तो पद क्यों नहीं छोड़ देते ?

भोपाल : पिछले हफ्ते ही बंसल अस्पताल से स्वस्थ होकर राजभवन लौटे राज्यपाल रामनरेश यादव बुधवार को फिर वहीं भर्ती हो गए। समझा जा सकता है कि बेटे के निधन से वे सामान्य और सहज नहीं हो पा रहे हैं। इसके बावजूद मैं इस तथ्य की तह तक जाना चाहूँगा कि जब से सूबे के राज्यपाल बने हैं, उनका अधिकतर समय भोपाल के अस्पतालों में गुजरता है। पहले वे अक्सर नेशनल अस्पताल में भर्ती हो जाते थे क्योंकि तब वहीं सबसे बेहतर अस्पताल माना जाता था। जब से बंसल अस्पताल खुला है राज्यपाल वहीं भर्ती होने लगे हैं। उनके अस्पताल में भर्ती होने कि खबरें अखबारों मे छपती ही हैं, जो बताती हैं की राज्यपाल कोई दस-बारह बार तो अस्पताल मे भर्ती हो ही चुके हैं..! 

<p>भोपाल : पिछले हफ्ते ही बंसल अस्पताल से स्वस्थ होकर राजभवन लौटे राज्यपाल रामनरेश यादव बुधवार को फिर वहीं भर्ती हो गए। समझा जा सकता है कि बेटे के निधन से वे सामान्य और सहज नहीं हो पा रहे हैं। इसके बावजूद मैं इस तथ्य की तह तक जाना चाहूँगा कि जब से सूबे के राज्यपाल बने हैं, उनका अधिकतर समय भोपाल के अस्पतालों में गुजरता है। पहले वे अक्सर नेशनल अस्पताल में भर्ती हो जाते थे क्योंकि तब वहीं सबसे बेहतर अस्पताल माना जाता था। जब से बंसल अस्पताल खुला है राज्यपाल वहीं भर्ती होने लगे हैं। उनके अस्पताल में भर्ती होने कि खबरें अखबारों मे छपती ही हैं, जो बताती हैं की राज्यपाल कोई दस-बारह बार तो अस्पताल मे भर्ती हो ही चुके हैं..! </p>

भोपाल : पिछले हफ्ते ही बंसल अस्पताल से स्वस्थ होकर राजभवन लौटे राज्यपाल रामनरेश यादव बुधवार को फिर वहीं भर्ती हो गए। समझा जा सकता है कि बेटे के निधन से वे सामान्य और सहज नहीं हो पा रहे हैं। इसके बावजूद मैं इस तथ्य की तह तक जाना चाहूँगा कि जब से सूबे के राज्यपाल बने हैं, उनका अधिकतर समय भोपाल के अस्पतालों में गुजरता है। पहले वे अक्सर नेशनल अस्पताल में भर्ती हो जाते थे क्योंकि तब वहीं सबसे बेहतर अस्पताल माना जाता था। जब से बंसल अस्पताल खुला है राज्यपाल वहीं भर्ती होने लगे हैं। उनके अस्पताल में भर्ती होने कि खबरें अखबारों मे छपती ही हैं, जो बताती हैं की राज्यपाल कोई दस-बारह बार तो अस्पताल मे भर्ती हो ही चुके हैं..! 

यदि राज्यपाल सेहतमंद नहीं हैं तो वे पद पर क्यों बने हैं, इस्तीफा देकर लखनऊ क्यों नहीं चले जाते .? बताते चलें कि यूपी के पूर्व मुख्यमंत्री के नाते उन्हें अखिलेश सरकार ने बंगला दे रखा है। वैसे व्यापम घोटाले में  राजभवन की भूमिका लगातार चर्चा में है ही। यूपी से उनके साथ आए ओएसडी धनराज यादव जेल मे हैं । उनके बेटे की अचानक मौत को भी इस घोटाले से जोड़ा जाता है। खुद उन पर भी इस मामले में एफ़आईआर हुई जिससे वे राज्यपाल के नाते मिले विशेषाधिकार की वजह से बच निकले। इसके लिए वे हाइकोर्ट जा पहुंचे, जहां राम जेठमलानी जैसे फाइव स्टार ऍडवोकेट ने उनकी पैरवी की। इतने विवादों और खराब सेहत के बाद भी काँग्रेस द्वारा नियुक्त रामनरेश यादव के पद पर बने रहने को लेकर सत्ता के गलियारों में तरह-तरह के कयास लगाए जा रहे हैं। 

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यहाँ बड़ा सवाल उठता है की वीआईपी लोगों को इलाज के लिए बंसल और नेशनल आदि निजी अस्पतालों का रुख क्यों करना पड़ता है..? जब ये अस्पताल नहीं थे, तब वीवीआईपी लोगों का इलाज हमीदिया अस्पताल में होता था, मंतरी-संतरी भी वहीं भर्ती होते थे। अब तो आलम यह है की सरकारी खजाने से इलाज कराने वाला हर बीमार इन सितारा अस्पतालों में ही भागता है। जो ज्यादा रसूखदार है,वह मुंबई और दिल्ली में भर्ती होता है, कि कौन जेब का पैसा लगना है। हालांकि यहाँ सुपर स्पेशलिटी गैस अस्पताल और एम्स भी हैं जिनकी खस्ता हालत से सब वाकिफ हैं। सीधा मतलब है की सरकारी अस्पतालों को इतना दीन-हीन कर दिया गया है कि वहाँ केवल गरीब ही पहुंचता है। यकीन मानिए, यदि मुख्यमंत्री का कोई बंदा बीमार होता है तो वह भी बंसल और नेशनल का ही रुख करेगा, क्योंकि कौन  अपनी गांठ से पैसा लगना है..!

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