जब्त संपत्ति छुपाने की चाल, बैंकिंग घोटालों पर पर्दा डालने की साजिश
मोदी सरकार अब ‘नीरव मोदियों’ को बचाने में अपनी ऊर्जा खर्च कर रही है। प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने आरटीआई कानून के तहत नीरव मोदी और मेहुल चोकसी की जांच के दौरान जब्त संपत्ति का खुलासा करने से इंकार कर दिया है, जिसे लेकर सवाल उठ रहे हैं। गौरतलब है कि बैंक घोटाले की जानकारी बाहर नहीं आने देने के लिए यह जानकारी छुपाई जा रही है। इस तरह जब्त संपत्ति की जानकारी छुपाने से न केवल इस बड़ी लूट में शामिल बैंक अधिकारियों की रक्षा होगी, बल्कि नीरव मोदी और मेहुल का भी भरपूर बचाव होगा।
गौरतलब है कि केंद्रीय एजेंसी ने यह भी बताने से इनकार किया कि अरबपति ज्वेलर्स नीरव मोदी को देश में वापस लाए जाने के प्रयास पर कितना पैसा खर्च किया गया है। इससे यह साबित होता है कि जब्त संपत्ति और कार्रवाई को छुपाकर इस बड़े अपराध पर पर्दा डालने की कोशिश की जा रही है। गौरतलब है कि इस तरह कार्रवाई छुपाने से जनता की मेहनत की कमाई के पैसे लेकर भागने वाले नीरव और मेहुल का भी बचाव होगा। करीब दो अरब डॉलर से अधिक के पंजाब नेशनल बैंक घोटाले के सिलसिले में दोनों की संपत्तियां जब्त की गई हैं, लेकिन इसके बारे में जनता को जानकारी नहीं दी जा रही है। इससे पहले ट्विटर पर खुलासा किया गया था कि इस मामले में नीरव मोदी और चोकसी की 7664 करोड़ रुपए की संपत्ति जब्त की गई है।
जनता के मन में पनप रहा संदेह
पंजाब नेशनल बैंक (पीएनबी) के 13,600 करोड़ रुपए के घोटाले के मामले में ईडी ने नीरव मोदी और मेहुल चोकसी के कई ठिकानों पर छापेमारी की है, लेकिन इसकी कोई पुख्ता जानकारी जनता को नहीं है, जिससे जनता के मन में भी संदेह पैदा हो रहा है। गौरतलब है कि आरटीआई कानून की धारा 24 के तहत प्रवर्तन निदेशालय को कथित भ्रष्टाचार के बारे में जानकारी देने से छूट हासिल है, लेकिन नीरव मोदी ने अब तक का सबसे बड़ा घोटाला किया है और जनता के लिए यह जानना जरूरी है कि आखिर कार्रवाई के तहत उसकी कौन सी संपत्तियां जब्त हुर्इं हैं। संपत्ति जब्त करने के बाद आखिर पब्लिक नोटिस दिया ही जाता रहा है, तो फिर सबसे बड़े लुटेरे नीरव मोदी पर हुई संपत्ति जब्त करने की कार्रवाई पर ही पर्दा क्यों डाला जा रहा है?
केंद्र सरकार दबा रही है मामला
बेशुमार संपत्ति घोटाला करने वाले नीरव मोदी कांड को दबाने का प्रयास मोदी सरकार कर रही है, क्योंकि इस खुलासे से घोटालेबाज बैंक अधिकारियों के साथ ही राजनीति से जुड़े कई बड़े चेहरे सामने आ सकते हैं, जिससे भाजपा की छवि को बड़ा धक्का पहुंच सकता है। नीरव मोदी महालूट कांड के बाद पूरे देश में मोदी सरकार की फजीहत हुई थी और विपक्ष ने भी जोरदार हमला बोला था। नीरव मोदी उद्योगपति मुकेश अंबानी के रिश्तेदार हैं और अंबानी नरेंद्र मोदी के करीबी हैं। वहीं दावोस में हुई एक बैठक में नीरव मोदी को नरेंद्र मोदी के साथ देखे जाने पर भी सवाल उठे थे।
…जब कानून बना, तो फिर जनता से क्यों दूरी?
अब नीरव मोदी, मेहुल चोकसी और विजय माल्या जैसे भगोड़े आर्थिक अपराधियों की संपत्ति जब्त करने के लिए नया कानून बन गया है, लेकिन इसके बावजूद ईडी ने जब्त संपित्तयों का ब्योरा देने से इंकार कर दिया है। गौरतलब है कि फ्यूजिटिव इकोनॉमिक आॅफेंडर्स बिल को मंजूरी मिल गई है। इसके तहत 100 करोड़ रुपए से ज्यादा की धोखाधड़ी करने वालों पर यह कानून लागू होगा। पुणे के एक व्यक्ति ने नीरव मोदी और चोकसी को विदेश से भारत लाने के लिए ईडी के अधिकारियों की विदेश यात्रा, वकीलों को भुगतान किए गए परामर्श शुल्क का ब्यौरा मांगा था।
लेखक Unmesh Gujarathi मुंबई में Dabang Dunia अखबार के Resident Editor हैं.