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अदालत को गुमराह करने पर हिन्दुस्तान बरेली की जमकर फजीहत

उत्तर प्रदेश के बरेली श्रम न्यायालय में शनिवार को उस समय हिन्दुस्तान प्रबंधन को फजीहत झेलनी पड़ी जब मजीठिया वेज बोर्ड के तहत दाखिल राजेश्वर विश्वकर्मा के क्लेम केस की सुनवाई के दौरान सहायक प्रबंधक(एचआर) सत्येंद्र अवस्थी ने इलाहाबाद उच्च न्यायालय में इससे संबंधित केस की सुनवाई होने के कागजात प्रस्तुत किये। उन कागजों को देखते ही श्रम न्यायालय के पीठासीन अधिकारी/न्यायाधीश विनोद कुमार भड़क गए और बोले – हटाइये इसे। सवाल किया कि क्या इस केस को ना सुनने का माननीय उच्च न्यायालय का कोई अंतरिम आर्डर है? इस पर प्रबंधन की ओर से पैरवी कर रहे प्रबंधक(एचआर) सत्येंद्र अवस्थी मुंह लटकाकर खड़े रहे।

अदालत को गुमराह करने पर श्रम न्यायालय के पीठासीन अधिकारी ने नाराजगी जताते हुए पत्रावली पर मौजूद उस आदेश को भी देखा जिसमें माननीय सर्वोच्च न्यायालय ने मजीठिया मामलों का श्रम न्यायालयों में अधिकतम छह माह में निस्तारण करने का आदेश दिया है। इसके अनुसार याची राजेश्वर विश्वकर्मा के केस की श्रम न्यायालय में सुनवाई को चार माह से अधिक का समय बीत चुका है और मात्र दो माह का समय ही निस्तारण के लिए बचा है।

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दस दिन पहले ही शासन से नियुक्त श्रम न्यायालय के पीठासीन अधिकारी रिटायर्ड एचजेएस विनोद कुमार ने माननीय सर्वोच्च न्यायालय के आदेश को गंभीरता से लिया और हिन्दुस्तान बरेली के प्रबंधन को अंतिम अवसर प्रदान करते हुए दस दिन के अंदर अपना पक्ष/साक्ष्य प्रस्तुत करने का आदेश दिया। साथ ही ये भी स्पष्ट किया कि यदि हिन्दुस्तान प्रबंधन ने निर्धारित समयावधि में अपना पक्ष श्रम न्यायालय के समक्ष नहीं रखा तो वाद निर्णीत कर दिया जाएगा। सुनवाई की अगली तिथि 15 मई नियत की गई है।

बता दें कि राजेश्वर विश्वकर्मा का क्लेम केस 17(2) में उपश्रमायुक्त बरेली रोशन लाल ने सुनवाई के बाद श्रम न्यायालय बरेली को संदर्भित कर दिया था। श्रम न्यायालय में हो रही सुनवाई को रोकने के लिए हिन्दुस्तान प्रबन्धन झूठे तथ्यों के साथ माह दिसंबर’17 में इलाहाबाद उच्च न्यायालय पहुंच गया, जहां पहली सुनवाई पर इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने प्रबंधन की स्टे अप्लीकेशन पर कोई विचार न कर प्रतिपक्षियों को उनका पक्ष सुनने के लिए नोटिस जारी का दिए थे, तब से मामला इलाहाबाद उच्च न्यायालय में लंबित है। प्रबंधन येनकेन प्रकारेण श्रम न्यायालय द्वारा की जा रही सुनवाई को रोकने के लिए इलाहाबाद उच्च न्यायालय से स्थगनादेश हासिल करने को जोर लगा रहा है।

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