अंतत: राष्ट्रीय सहारा लखनऊ का संपादक बदल ही दिया गया. कलानिधि मिश्रा को संपादक पद से हटा दिया गया है. इनको हटाने को लेकर कई लोग काफी समय से लगे हुए थे.
मनमोहन को राष्ट्रीय सहारा लखनऊ का नया संपादक बना दिया गया है. कुछ लोगों का कहना है कि ये नियुक्ति समाजवादी पार्टी के इशारे पर हुई है, वहीं कुछ अन्य का कहना है कि प्रबंधन ने टीम को चुस्त दुरुस्त रखने के क्रम में ये रुटीन बदलाव किया है.
ज्ञात हो कि मनमोहन लम्बे समय से सपा बीट का कवरेज करते आ रहे हैं. वे सपा में लोकप्रिय हैं. इसी कारण कुछ लोग कयास लगाए जा रहे हैं कि उनकी नियुक्ति के पीछे सपा के बड़े नेताओं का हाथ है. मनमोहन को नया संपादक बनाए जाने के वाहक राष्ट्रीय सहारा के उच्च प्रबंधन में मजबूत पैठ रखने वाले और कई संपादकों को हटवाने में सफल रहे लखनऊ के यूनिट हेड अजीत बाजपेई बने. श्री बाजपेई पिछले कई महीनों से लखनऊ के स्थानीय संपादक रहे कलानिधि को हटवाने की कसरत में जुटे थे. इसके लिए लखनऊ यूनिट को पहले सभी यूनिटों से अलग कराकर सीधे ‘सहारा श्री” और उनके वरिष्ठतम अधिकारी विजय सिंह डोगरा से जोड़ा गया. हालांकि यह भी हास्यास्पद रहा कि सहारा श्री के अधीन राष्ट्रीय सहारा की केवल लखनऊ यूनिट रखी गयी, जबकि शेष छह यूनिटों का प्रभार मीडिया हेड सुमित राय को बनाये रखा गया. इसी के बाद यूनिट हेड अजीत बाजपेई के प्रस्ताव पर उच्च प्रबंधन ने कलानिधि को हटाकर मनमोहन को संपादक बनवाने का निर्णय लिया. मनमोहन को पदासीन करा दिया गया है.
वैसे लोकसभा चुनाव के पहले सभी बड़े दल अपने मनमाफिक संपादक बनवाना चाहते हैं. लेकिन राष्ट्रीय सहारा लखनऊ में सपा ने तो भाजपा के नाक के नीचे ही अपनी वाली करा ली.