खुला पत्र प्रधानमंत्री के नाम
सत्य पारीक (वरिष्ठ पत्रकार, जयपुर)
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी, आप खेती की भूमि को अपनी विरासत समझ कर कानून के जरिये उद्योगपतियों को सौंपने की जो योजना बनाई है, आपको जानना चाहिए कि उस भूमि का मालिकाना हक लेने के लिये किसानों ने कितना खून पसीना बहाया है. इसका इतिहास आप और आपकी पार्टी सात जन्म में भी जान नहीं सकती है. किसान अपनी जान दे देगा लेकिन अपनी भूमि नहीं देगा. मोदी जी, आपने अपने राजनीतिक जीवन को किसानों से सीधी टक्कर लेकर अपना सियासी करियर दांव पर लगा दिया है। जिस खेती भूमि को कानून की आड़ में उद्योगपतियों को पार्टी फंड के लिये गिफ्ट करना चाहते हो उसे गुजरात का गोधराकांड का हिदू-मुस्लिम दंगा समझने की भूल मत करो। किसानों से टक्कर लेना साम्प्रदायिकता की आग से हाथ सेकना नहीं बल्कि हाथ पर जलते अंगारे रखना होगा।
ये मत भूलो मोदीजी कि ये वही किसान हैं जिन्होंने पूर्व प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री के आह्वान पर देश को अन्न उत्पादन में आत्मनिर्भर बना कर देशवासियों को आस्ट्रेलिया का लाल गेहूं खाने से पीछा छुड़ाया था। देश को अनाज में आत्मनिर्भर बनाने में जिस तरह से खेती की उपज बढ़ाई थी, उन राज्यों में संयुक्त पंजाब के किसानों का प्रमुख योगदान था। केवल आनाज में ही आत्मनिर्भर बनाने में पंजाब का योगदान नहीं रहा। साथ ही दूसरा सबसे बड़ा योगदान शास्त्रीजी के कहने से संयुक्त पंजाब के प्रति परिवार ने अपना एक बेटा सेना में भेज कर पाक से देश की सीमा सुरक्षित करने का महत्वपूर्ण योगदान दिया था।
शास्त्रीजी ने पंजाब के वीरों की सालों से चली आ रही मांग पर पंजाब से हरियाणा को अलग कर अलग राज्य बनाया था। ठीक वैसे ही जैसा श्रीमती इंदिरा गांधी की सिफारिश से पंडित जवाहरलाल नेहरु ने महाराष्ट्र से अलग कर गुजरात बनाया था। नरेन्द्रबाबू ये मत भूलो कि पंजाब को खालिस्तान बनने से रोकने के लिए श्रीमति इंदिरा गांधी ने अपने प्राण न्योछावर कर दिये थे। उनके प्रधानमंत्री पुत्र राजीव गांधी को लिट्टे उग्रवादियों से लड़ने की एवज में अपने प्राण गवाने पड़े थे।
एक आप और आपकी पार्टी है जो देश प्रेमी बनने के लिए केवल सम्प्रदायकता फैला रहे हो। हिंदुत्ववादी बनकर राममंदिर निर्माण से लेकर खरीद-फ़रोख्त के जरिये राज्य सरकारें गिराने व अपनी पार्टी की सरकार बनाने का काम कर रहे हो। इसके अलावा अपने फाइनेंसरों को देश की परिसम्पत्तिया बेचकर उसे ही विकास समझ रहे हो। ये दरअसल देश का विनाश है मोदीजी। आपके आह्वान पर आपके भगत गण ताली थाली रोशनी कर कोरोना जैसी महामारी को भगाने का ढोंग रच सकतें हैं लेकिन उसी तर्ज पर किसान आपके काले कानूनों का स्वीकार नहीं कर लेंगे। ऐसा आपका संशय मोदीजी जल्दी ही दूर हो जाएगा।
आप कालिदास की तरह उन्हें ही समाप्त करना चाहते हैं जिनके मतों पर आपकी सरकार टिकी है। ये मत भूलो कि ये किसान हैं। न तो कश्मीरी हैं और न ही मुस्लिम हैं जो चुपचाप आपकी सरकार के निर्णय स्वीकार कर लेंगे। इस आंदोलन से पहले भी किसानों ने दिल्ली के वोट क्लब पर आकर अपने मवेशियों सहित धरना दिया था। आपको शायद याद नहीं होगा क्योंकि आप पता नहीं उस समय कहां थे। उस समय की कांग्रेस सरकार ने किसानों को आपकी सरकार की तरह बार्डर पर रोका नहीं था। मोदी जी आपने जीवन में ये तो ज्ञान प्राप्त कर लिया होगा कि व्यक्ति के साथ कुछ नहीं जाता।
आप नेहरू इंदिरा की बुराई बहुत करतें हैं लेकिन उन्हें अच्छे कार्यों के लिए आज भी याद किया जाता है। क्या आपने जुमलेबाजी के अलावा कोई ठोस ऐसा कार्य किया है जो याद किया जाए। जो गोदी मीडिया आपने पाल रखा है उसकी एक एक बात आमजन समझने लगा है। आपको याद दिलाने के लिए लिख रहा हूँ कि सरदार वल्लभ भाई पटेल ने कहा था- भूमि उसी की जो उसे जोते। इसी आधार पर कांग्रेस ने कानून के जरिये राजा महाराजाओ व जागीरदारों से लेकर भूमि का मालिकाना अधिकार किसान को दिया था। किसानों ने सदियों तक बेगार की थी, खून बहाए, तब जाकर उन्हें जमीन का मालिकाना हक मिला।
Satya Pareek
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