भोपाल। व्यापमं महाघोटाले से जुड़ी दो दर्जन संदिग्ध मौतों की जांच में सीबीआई को ठोस सुराग हाथ नहीं लगा। देशभर में सनसनी फैलाने वाले मौत के मामलों की छानबीन में जुटी सीबीआई को पर्याप्त साक्ष्य नहीं मिल रहे। इसलिए इनमें खात्मा लगाने के संकेत हैं। राज्यपाल रामनरेश यादव के बेटे शैलेष एवं दिल्ली के पत्रकार अक्षय सिंह सहित 24 लोगों की संदिग्ध परिस्थितयों में हुई मौत के मामले में सीबीआई ने 15 पीई (प्रारंभिक जांच) दर्ज की है।
सुप्रीम कोर्ट के निर्देश पर देश की सबसे बड़ी जांच एजेंसी द्वारा छह महीने पहले शुरू की गई छानबीन में ऐसा कुछ सामने नहीं आया जिससे हत्या या आपराधिक साजिश की पुष्टि होती हो। सीबीआई ने मेडिकल छात्रा नम्रता डामोर की मौत को ही हत्या माना है। सुर्खियों में रहे पत्रकार अक्षय सिंह की मौत का कारण ह्रदयाघात बताया जा रहा है। पोस्टमार्टम एवं विसरा जांच रिपोर्ट में भी जहर की पुष्टि नहीं हुई। सीबीआई अपनी अगली स्टेटस रिपोर्ट में कुछ मामले शामिल कर सकती है।
मप्र के राज्यपाल रामनरेश यादव के बेटे शैलेष की मौत का मामला भी इसमें शामिल है। 25 मार्च को लखनऊ निवास पर शैलेष संदिग्ध परिस्थितियों में मृत मिले थे। वनरक्षक भर्ती को लेकर उनका नाम घोटाले में था। परिजनों से हुई पूछताछ के बाद सीबीआई को ऐसा ‘क्लू” नहीं मिला, जिससे मामले में साजिश दिखे। परिजनों ने भी किसी पर संदेह नहीं जताया। सीबीआई ने इस पर राज्यपाल से पूछताछ नहीं की है।
सीबीआई ने जिन मौत के जिन मामलों को संदिग्ध मानकर पीई दर्ज की है उनमें पत्रकार अक्षय सिंह, विजय सिंह पटेल, राहुल सोलंकी, शैलेष यादव, महेन्द्र सिंह सिकरवार, आदित्य चौधरी, विकास सिंह, दीपक जैन, रामेन्द्र सिंह भदौरिया, जितेन्द्र यादव, बृजेश राजपूत, ललित कुमार गुलारिया, प्रमोद शर्मा एवं नरेंद्र राजपूत शामिल हैं। एक प्रकरण में आनंद सिंह यादव, आनंद टैगोर, आशुतोष तिवारी, राजेन्द्र आर्या, ज्ञानसिंह जाटव, प्रेमलता पांडेय, रावेन्द्र प्रकाश सिंह, संजय यादव एवं विकास पांडे सहित 9 लोगों के नाम दर्ज हैं।
नम्रता डामोर के पिता मेहताब सिंह डामोर का कहना है- सीबीआई से बड़ी उम्मीदें थीं लेकिन अब तक निराशा ही हाथ लगी। छह महीने हो गए सीबीआई जांच की जानकारी ही नहीं दी जा रही। हमने 5 लोगों के खिलाफ नामजद रिपोर्ट लिखाई थी लेकिन आरोपियों पर कोई कार्रवाई नहीं की गई।