Narendra Nath : अहमदाबाद से गुवाहाटी ट्रेन से गया। 70 घंटे से अधिक 3000 किलोमीटर से ज्यादा की यात्रा। 7 राज्य से गुजरते। हर क्लास में बात करते। इसमें कई जगह के लोगों से मुलाकात हुई। इनसे बात करने पर जो कुछ बात सरसरी तौर पर समझ आई, वो ये है-
1- ब्रांड मोदी सेफ है। लोग उनके नाम पर वोट देने को तैयार हैं
2- कुछ शिकायतों के बाद भी लोग उन्हें वोट देने देंगे इनमें सभी ने 2014 में भी इन्हें ही वोट दिया था।
3- लेकिन ऐसे लोग भी नहीं मिले जिन्होंने 2014 में बीजेपी को नहीं दिया था लेकिन इस बार उन्हें देंगे।
4- सरकार से नाराज लोग जो मिले उनमें उत्साह कम हुआ है। शायद वह उत्साह से वोट नहीं देंगे। एब्सेंट भी कर सकते हैं।
5- दिल्ली से दूर लोगों के सामने बहुत अलग तरह की मुद्दे काम कर रहे हैं।
6- मीडिया पर लोग बिल्कुल भरोसा नहीं करते। खेमों में बंटी मीडिया की क्रेडिबिलिटी बहुत ही दयनीय स्थिति हो गयी है।
7- स्लीपर क्लास में मोदी के सपोर्टर अधिक। जनरल में एक खामोशी। ट्रेंड नहीं कह सकते। एसी क्लास में कोई उत्साह नहीं।
8- आर्थिक परेशानी और रोजगार मुखर मुद्दे। लोग बात कर रहे।
9- राहुल अब मजाक के विषय नहीं। कांग्रेस के प्रति बढ़ा रुझान। जो कांग्रेस को वोट नहीं कर रहे,वह भी चाह रहे पार्टी मजबूत हो।
10- पुलवामा मामला चुनावी मुद्दा उतना बड़ा नहीं जितना दिल्ली में दिखता है। वोटिंग पैटर्न पर असर नहीं पड़ेगा।
11- एन्टी मुस्लिम भावना अधिक। लोग इसे जस्टिफाई कर रहे।
12- विपक्ष की क्रेडिबिलिटी मजबूत नहीं। सामान्य फीलिंग कि मोदीजी कम सीटों के साथ सरकार बनाएंगे।
13- कट्टर सरकार सपोर्टर भी मान रहे, गवर्नेस स्तर पर उम्मीद से कम काम हुआ। लेकिन अगले टर्म में बेहतर उम्मीद करते हैं।
14- लोग राजनीति-वोट पर बात करने में हिचक रहे। 2014 में खूब मुखर थे।
15-कुल मिलाकर 2014 सी लहर नहीं है। लेकिन विश्वास टूटा भी नहीं है। कम उत्साह वाला चुनाव है। कोर वोट बीजेपी का सेफ है। स्विंग वोट का दायरा बढ़ सकता है। महसूस किया जा सकता है कि ऐसे माहौल में लोकल फैक्टर चुनाव का एक्स फैक्टर बन सकता है। मोदीजी एडवांटेज से शुरू कर रहे हैं लेकिन..चुनाव लोकल बन गया तो फिर कुछ भी…
टाइम्स ग्रुप में कार्यरत वरिष्ठ पत्रकार नरेंद्र नाथ की एफबी वॉल से.
Chander Shekhar
March 27, 2019 at 2:41 pm
A concise and factual analysis of current election scenario. The same is in entire north, east and western india, but in my openion southern states are thinking in different pattern and they might be decisive in forming new government.