अजित सिंह पहलवान-
दिल्ली में चल रहे किसान आंदोलन के निहितार्थ …….जो दिख रहा है वो तो सिर्फ Tip of the Iceberg है ……. जैसा कि मैं पहले ही दिन से कह रहा हूँ कि इस आंदोलन के handlers तो Canada अमरीका में बैठे अपना एजेंडा चला रहे हैं । तो फिर पंजाब की अमरेंद्र सिंह / Congress सरकार क्या कर रही है , और इस आंदोलन को हवा क्यों दे रही है ??????
दरअसल पंजाब में Political Forces का Realignment हो रहा है । राजनीति के नए समीकरण बन रहे हैं । जैसे भूगर्भ में Tectonic plates shift होती दरकती हैं तो धरती हिलती है , भूकंप आते हैं । उसी तरह पंजाब में भोट बैंक इधर से उधर shift हो रहा है । इस समय पंजाब में 4 प्रमुख दावेदार हैं ।
भाजपा
अकाली
कांग्रेस
आम अमरूत पाल्टी
2017 के चुनाव में आम अमरूत पाल्टी को बाहर बैठे खालिस्तानियों का समर्थन प्राप्त था ।
2012 में कांग्रेस को पंजाब में लगभग 40% भोट मिला था और अकाली भाजपा को लगभग 42%
इसमे अकालियों को लगभग 35% और भाजपा का लगभग 7% भोट था ।
AAP तब परिदृश्य में नही थी ।
2017 में AAP के आ जाने के बाद जब चुनाव हुए तो congress को लगभग 39% भोट और 77 seats मिलीं , 10 साल की Anti Incumbency के कारण NDA ( अकाली भाजपा ) को लगभग 30% भोट और 18 सीट मिली ।
इसमे अकाली दल का लगभग 25% भोट था और भाजपा का 5% ………
AAP को 2017 में लगभग 24%भोट और 20 सीटें मिली थीं ।
कहने का मतलब ये कि पंजाब में congress का लगभग 40% भोट है ।
अकालियों का लगभग 35% और भाजपा का 5 – 7%
ऐसा इसलिए है कि चुनावी गठबंधन के कारण भाजपा सिर्फ 23 Seats पे लड़ती है और अकाली सिर्फ 84 sets पे ।
2022 के चुनाव में अकाली भाजपा अलग लड़ेंगे ।
भाजपा सभी 117 seats पे लड़ेगी ।
- हिन्दू भोट का ध्रुवीकरण भाजपा के पक्ष में हो रहा है
- सिख भोट 3 जगह बंटेगा , अकाली कांग्रेस और AAP में ……..
- आज तक दलित भोट खास कर हिन्दू दलित बाल्मीकि समाज congress का भोटर रहा है ।
- सिख बाल्मीकि समाज का बड़ा हिस्सा कांग्रेस को और लगभग 30% अकालियों को मिलता रहा है ।
- इस बार हिन्दू दलित बाल्मीकि Congress छोड़ भाजपा में आने का माहौल बन रहा है । इसके अलावा हिन्दू भोट जो भाजपा के अकालियों के साथ खड़े होने के कारण मजबूरन congress में चला जाता था वो अब भाजपा में आने का मन बना चुका है ।
- यदि हिन्दू भाजपा के साथ चला गया और सिख 3 जगह बंटे तो भाजपा 30 – 40 seats जीतने की स्थिति में आ जायेगी और उसका भोट share 7%से बढ़ के 25 – 30% तक होने की संभावना है …….
- अगर खालिस्तानियों ने साथ न दिया तो AAP इस बार 24% से घट के 10% के नीचे चली जायेगी और अकाली Congress दोनों 30% के लिए संघर्ष करते दिखेंगे ।
जिस प्रदेश में 3 दल 25 से 30% भोट शेयर के लिए लड़ रहे हों वहां तो लड़ाई दिलचस्प होनी ही है ।
दिल्ली का किसान आंदोलन असल मे 2022 में होने वाले चुनाव में सिख भोट की लड़ाई है …… कौन ज़्यादा ले उड़े ……..
किसान आंदोलन जितना ज्यादा उग्र होगा , भाजपा को पंजाब में उतना ज़्यादा फायदा होगा ।
किसान आंदोलन वालों ने पहली गलती तो ये की कि अपने बीच खालिस्तानियों को घुसा लिया ।
उनकी Funding स्वीकार की । उनको मोदी तेरी कब्र खुदेगी जैसे नारे लगाने दिए ।
दूसरी गलती ये की कि टुक टुक गैंग , डफली वाले , शाहीन बाग वाली दादी को घुसा लिया ।
उसके बाद तीसरी गलती ये की कि योगराज सिंह जैसे लोगों को घुसने दिया । न सिर्फ घुसने दिया बल्कि उसको बाकायदे मंच दिया ।
फिर जब वो मंच से हिन्दू बहन बेटियों के खिलाफ जहर उगल रहा था तो उसे रोका नही बल्कि तालियां बजाने लगे ।
किसान आंदोलन में ये हिन्दू विरोधी बातें क्यों होने लगीं ।
मोदी की कब्र क्यों खोदी जाने लगी ????
अब किसान आंदोलन ये चौथी गलती करने जा रहा है …… 8 दिसंबर के भारत बंद को ये जो विपक्षी पार्टियों ने समर्थन दिया है …… ये समर्थन इस किसान आंदोलन को पूरी तरह Discredit कर देगा ।
आपने डिस्कवरी चैनल पे वो बूढ़े मरणासन्न शेरों को देखा होगा ……. अपने अंतिम दिनों में वो बेचारे अशक्त हो मरे हुए जानवरों की सूखी हड्डियां चाटने को मजबूर हो जाते हैं । भाजपा / मोदी ने देश मे विपक्ष का वही हाल कर दिया है । एक एक कर सारे किले ढह गये हैं । आज विपक्षी खेमे जो हताशा निराशा है उसे शब्दों में बयाँ नही किया जा सकता । सिर्फ Congress ही नही बल्कि एक एक कर सभी क्षेत्रीय दल भी अपने अस्तित्व की लड़ाई लड़ रहे हैं ।
विपक्ष का मनोबल तोड़ने वाली सबसे बड़ी घटना वो रही जब सपा बसपा मिल के भी 2019 के लोकसभा चुनाव में भाजपा को नही रोक पायीं ।
उसके बाद बिहार विजय जहां NDA ने 15 साल की Anti Incumbency के बावजूद जीत हासिल की ।
Latest घटना है भाग्यनगर के किले में प्रवेश …….. 4 seat से सीधे 48 सीट …… और सिर्फ Seat नही , बल्कि 36% भोट शेयर ……. भाग्य नगर ने विपक्ष को हिला दिया है …… इन्होंने देख समझ लिया है कि भाजपा के विजय रथ को रोकना असंभव है ……. बंगाल के बाद अब तेलंगाना और आंध्र की बारी है ……..
ये किसान आंदोलन इसी हताशा की उपज है ।
विपक्ष अब सड़कों पे अराजकता फैला के मोदी सरकार को अस्थिर करने की कोशिश कर रहा है ।
इसीलिए हम इस किसान आन्दोलन को शाहीन बाग-2 बोलते हैं ।
इस पोस्ट पर उद्यमी गिरधारी लाल गोयल की एक प्रतिक्रिया देखें-
मैं ये मानता हूं कि Ajit Singh पंजाब की जमीन से बखूबी जुड़े हुए हैं , उनको वहां के राजनीतिक हालातों की पूरी जानकारी है। उनकी पोस्ट से तो लगा कि खलिस्तान का हउआ भाजपा द्वारा ही अपने वोटों को 5-7 प्रतिशत से बढ़ा कर 40 प्रतिशत तक ले जाने के लिए खड़ा किया गया है। अब मैं राहत महसूस कर सकता हूँ कि पंजाब को अलगवादियों से कोई खतरा नहीं।