अभी अभी सोशल एक्टिविस्ट साथी अजीत साहनी का फ़ोन आया। बता रहे थे कि उनकी एक पोस्ट के लिए पहले प्रशासन के अधिकारी का उनके पास फ़ोन आया और अब रामनगर में उनके इलाक़े के थानेदार ने उन्हें बुलाकर अपने थाने पर बैठा लिया है।
पिछले चार घंटों से बैठाने के बाद भी न तो उनके ख़िलाफ़ कोई काग़ज़ी कार्रवाई हो रही है और न ही उन्हें जाने दिया जा रहा है। यह शुद्ध रूप से प्रशासनिक उत्पीड़न है और किसी की अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का खुला उल्लंघन।
मुख्यधारा का मीडिया निज़ामुद्दीन प्रकरण को लेकर जो नफ़रत और घृणा का सांप्रदायिक माहौल खड़ा कर रहा है उसके ख़िलाफ़ कार्रवाई करने की जगह प्रशासन ऐसे लोगों के ख़िलाफ़ खड़ा हो गया है जो उसका विरोध कर रहे हैं।
यह घटना बताती है कि देश की पूरी प्रशासनिक मशीनरी संघी इशारे पर काम कर रही है। प्रशासन को यह बताना और तय करना होगा कि वह संविधान के तहत काम करता है या फिर नागपुर के इशारे पर?
अजीत साहनी कि रिहाई के लिए सभी साथियों से अपील है कि तत्काल सोशल मीडिया पर अभियान चलाएं और रामनगर प्रशासन के लोकतंत्र और जनविरोधी रवैया का देश के स्तर पर पर्दाफ़ाश करें।
One comment on “नफरत फैलाने वालों के खिलाफ लिखने पर पुलिस ने सोशल एक्टिविस्ट को थाने में बिठाया”
जिसको निज़ामुद्दीन मरकज वाले लोगों से हमदर्दी है उनके इलाज़ की पहले जरूरत है। मक्का मदीना बन्द है लेकिन इनको जमात करने की बहुत जरूरत थी।