उत्तर प्रदेश सरकार के कैबिनेट मंत्री आजम खान की एक हरकत के कारण हाईकोर्ट में फिर अखिलेश सरकार की थू-थू हुई. आजम खान के खिलाफ फेसबुक पर टिप्पणी करने के मामले में दलित लेखक कंवर भारती के खिलाफ दर्ज रिपोर्ट को हाईकोर्ट ने राजनीति से प्रेरित करार दिया है. कोर्ट ने राज्य सरकार से कहा है कि क्यों न इस मामले में पीड़ित को असाधारण मुआवजा दिया जाए.
गुरुवार को हाईकोर्ट में जस्टिस अरुण टंडन, जस्टिस विपिन सिन्हा की पीठ ने दलित लेखक कंवल भारती की याचिका पर सुनवाई की. याचिका के जरिए भारती ने अपने खिलाफ दर्ज की गई एफआईआर को चुनौती दी है. भारती को रामपुर की पुलिस ने फेसबुक पर टिप्पणी करने के मामले में गिरफ्तार कर लिया था और उनका कम्प्यूटर सीज किया था.
कंवल भारती के खिलाफ कैबिनेट मंत्री आजम खान के जन सम्पर्क अधिकारी ने यह कहते हुए एफआईआर दर्ज कराई थी कि फेसबुक पर भारती की टिप्पणी से धार्मिक भावनाएं आहत हुई हैं और प्रदेश का साम्प्रदायिक सौहार्द बिगड़ा है. हाईकोर्ट ने प्रदेश के गृह सचिव को इस मामले का परीक्षण कराने का आदेश दिया है. कोर्ट ने कहा है कि क्यों न भारती को पुलिस द्वारा उत्पीड़ित किए जाने पर असाधारण मुआवजा दिया जाए. कोर्ट ने माना है कि एफआईआर राजनीति से प्रेरित है.
ज्ञात हो कि आजम खान अपने तुगलकी फैसलों आदेशों और बयानों के लिए जाने जाते हैं. वे लोकतांत्रिक सिस्टम में तानाशाहीपूर्ण बर्ताव करने के लिए कुख्यात हैं. उनके कोप के कारण ही जाने माने दलित लेखक कंवल भारती को थाना पुलिस का सामना करना पड़ा. आजम खान की हरकत के कारण अब हाईकोर्ट में यूपी सरकार को शर्मनाक स्थिति का सामना करना पड़ रहा है.