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सुख-दुख

कोविड की सेकंड वेव त्रासदी के लिए मोदी जिम्मेदार हैं, वो बतौर पीएम फेल हुए हैं!

कनुप्रिया-

आज से 2 साल पहले एक दोस्त ने मुझे कहा था कि मोदी के आने से पहले हमें इस बात का अहसास तक नही था कि हमे हिन्दू होने पर गर्व होना चाहिए. आज हमें इस बात पर गर्व है कि हम हिन्दू हैं और यह अहसास यह गर्व इस मोदी सरकार की ही देन है, उसकी उपलब्धि है. मैं सकते में उसका मुँह देखती रह गई, मुझे समय पर जवाब नही सूझते.

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आज देश चारों तरफ़ मरघट बना हुआ है, मौत मानो आसमान से बरस रही है, लोग ऐसे मर रहे हैं जैसे इंसान न होकर क्षुद्र जीव जंतु हों, ऑक्सीजन की कमी से साँसे बन्द हो रही है, लोकतांत्रिक संस्थाएँ पहले ही मुर्दा हो चुकी हैं, ऐसे में सुप्रीम कोर्ट तक ने इस ऑक्सीजन की कमी पर सुनवाई के लिये 30 एप्रिल की तारीख़ दी है, वो अगली तारीख भी लगा सकता है, देश लाइन में रहे.

Indian Medical Association के वाइस प्रेजिडेंट डॉक्टर नवजोत दाहिया ने कहा है कि कोविड की सेकंड वेव त्रासदी के लिये मोदी जिम्मेदार हैं, वो बतौर प्रधानमंत्री फ़ेल हुए हैं.

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वहीं गृह मंत्री गदगद हैं कि प्रधानमंत्री जिस PM care fund का पैसा अब तक दबाए रहे, जो जनता का ही दिया हुआ है और इस आपदा ही के लिये दिया हुआ है उसमें से बेहद उदारता स्वरूप कुछ धन ऑक्सीजन प्लांट्स के लिये वो अब allot कर रहे हैं. भक्त जन इस बात पर लहालोट हो रहे हैं, दुबारा ताली थाली बजाने को तैयार हैं.

उस मित्र से मुझे अब ये कहने में कोई संकोच नही कि 2014 से पहले चाहे जो स्थिति रही हो कम से कम मुझे भारतीय होने पर गर्व तो होता था, अब वो गर्व भी नही रहा, वो गर्व भी शर्मिंदगी में बदल गया है.

दुनिया देख रही है कि इस फ़र्ज़ी हिन्दू गर्व के चलते हमने अपने देश का क्या हाल कर दिया है. हमने मूर्खता और कट्टरता की प्रतिस्पर्धा में अपनी सहज बुद्धि तक गंवा दी, वो हमारी कमज़ोरी और मूर्खताओं पर हँस रही है, तरस खा रही है और हम अब भी आँख खोलने को तैयार नहीं.

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आज अख़बार में ख़बर है कि दुनिया के सबसे बड़े धनपति बिजोस और मस्क चाँद पर कब्ज़े की लड़ाई लड़ रहे हैं, धरती इन धनपतियों और इनकी दलाल सरकारों ने रहने लायक छोड़ी नही, पानी के बाद हवा पर क़ब्ज़े की तैयारी है, मगर हमे कुछ नज़र आता नही, हम धार्मिक जातीय गर्व में अँधे हुए पड़े हैं. उन्हें पता है मूर्ख जीने योग्य नही होते, शक्तिशाली को ही जीने का अधिकार होता है, हमने मान लिया है कि हम इसी योग्य हैं इसलिये हम अपने मृत्यु पत्रों पर ख़ुद ही हस्ताक्षर कर रहे हैं.

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