बालेन्दु गोस्वामी-
अवसाद अथवा डिप्रेशन पर बहुत चर्चा चल रही है. पहली बात तो जानने की यह है कि अवसाद एक बीमारी है, दिमाग में केमिकल लोचा है, जोकि कई बार व्यक्ति के आनुवांशिक जीन्स पर, उसके स्वयं के व्यक्तित्व पर और उसके बैक ग्राउंड तथा आसपास के वातावरण पर निर्भर करता है.
निश्चित रूप से इसे दवाइयों के द्वारा कंट्रोल किया जा सकता है परन्तु इसे समाप्त करने के लिए आपको स्वयं में परिवर्तन लाना पड़ेगा. आपके व्यवहार और सोच को बदलने के लिए ही विभिन्न थेरेपी भी होती हैं.
मैं पिछले 23 साल से यहाँ जर्मनी में सायको थेरेपिस्ट डॉक्टर्स के साथ काम कर रहा हूँ और मेरी बीबी रमोना सायकोसोमेटिक मेडिसिन सेन्टर में सायको थेरेपिस्ट है.
पता नहीं, व्यक्तिगत रूप से डायरेक्ट हम कितने लोगों से सम्पर्क कर पाएंगे परन्तु हमने आपस में बात करके अवसाद से बचने के लिए क्या किया जाए उसकी एक लिस्ट बनाई है.
आपके लिए उसे यहाँ दे रहा हूँ, कृपया पढ़ें और आगे बढ़ाएं तो ये जानकारियाँ उन तक पहुँच सकें जिन्हें इसकी जरुरत है. पोस्ट लम्बी होने के भय से विस्तार में सभी बातों के लॉजिक को नहीं लिखा गया है परन्तु ये सभी बातें लॉजिकल और वैज्ञानिक हैं.
- रोज ऐसी कौन सी पाँच बातें है जिन्होंने आपको मुस्कराने का मौका दिया उन्हें अपनी डायरी में लिखिए. मतलब ये कि अपनी सोच को नकारात्मक नहीं बल्कि सकारात्मक रखिये.
- स्पोर्ट्स करिए.
- सेक्स करिए.
- प्रत्यक्ष अथवा अप्रत्यक्ष रूप से भय निर्मित करने वाली धार्मिकता का त्याग करिए.
- अन्तर्मुखी बनाने वाले अध्यात्मवाद को त्याग कर बहिर्मुख बनाने वाले भौतिकवाद को अपनाइए.
- सामाजिक बनिए, लोगों से सम्पर्क करिए.
- फेसबुक पर खूब बकैती करिए.