समीरात्मज मिश्रा-
यूपी में शिक्षक कोटे की आठ विधान परिषद सीटों पर पिछले क़रीब चार-पांच दशक से एक ही गुट का दबदबा था. माध्यमिक शिक्षक संघ का शर्मा गुट इस पर हावी रहा है अब तक. शिक्षक संघ में इस गुट की ओर से टिकट मिलने को इसे ‘Blank Cheque’ समझा जाता था यानी जिसे इस गुट की ओर से टिकट मिला, उसका विधायक बनना तय. और यह टिकट तय होता था गुट के नेता ओम प्रकाश शर्मा के यहां से.

बीजेपी की निगाह शिक्षक कोटे के विधायकों पर शिक्षक संघ के इस दबदबे पर पहले से ही लगी थी लेकिन तब उसके पास न तो ताक़त थी और न ही संसाधन. हालांकि इससे पहले वाराणसी क्षेत्र में वह इस दबदबे पर प्रहार कर चुकी थी लेकिन इस बार शिक्षक कोटे की छह सीटों के लिए हुए चुनाव में बीजेपी ने चार सीटों पर कैंडिडेट उतारे और पूरी ताक़त से उतारे. नतीजा सामने है. न सिर्फ़ तीन विधायकों ने दमदार जीत दर्ज की और संघ के दबदबे को लगभग चूर-चूर कर दिया बल्कि खु़द ओम प्रकाश शर्मा भी अपने इस आख़िरी चुनाव (संभवत:) में धराशायी हो गए.
अब विधायकों का यह समूह भी पार्टियों के हाथ में है. बहरहाल, शिक्षकों की नुमाइंदगी में शिक्षकों के संघ का यह दबदबा क्यों टूटा, शिक्षक संघ ने शिक्षकों की बेहतरी के लिए अब तक क्या किया और राजनीतिक हाथों में यह नेतृत्व जाने का क्या मतलब है, इन सब बिंदुओं पर कभी विस्तार से चर्चा होगी.
