दीपक पांडेय-
यूं तो अक्सर खबरें आती रहती हैं कि हिन्दू लड़की ने मुस्लिम लड़के से शादी की. खबरें ऐसे भी आती हैं कि मुस्लिम लड़की ने हिन्दू लड़के से शादी की.
सो जबलपुर वाली खबर भी उन्हीं खबरों में से एक थी. एक हेडलाइन भर थी. आई गई पार हो गई होती.
पर यह जो उजमा फातिमा उर्फ अनामिका का मामला है, उसने लड़के से शादी 4 जनबरी 2023 को ही अपनी मर्जी से कर ली थी.
इसके बाद फरवरी बीता, मार्च बीता, अप्रैल बीत गया, मई आई और जून भी आ गया.
लड़की का पिता अभी भी शांत ही था. जैसे नियत मानकर छोड़ दिया हो.
यहां तक भी कोई खबर नहीं थी.
लेकिन फिर जून में 5 महीने बाद अचानक लड़के के पिता अब्दुल अब्बास, जो कि रेलवे में काम करता है, को याद आया कि हां उसके लड़के की शादी हुई है.
फिर उसने रिसेप्शन का कार्ड छपवाया जो 7 जून 2023 को होना था. यहां तक भी ठीक था. कर लेते रिसेप्शन. आपकी खुशी का मामला था.
लेकिन असल मामला यहीं से शुरू हुआ. जिसमे लड़के के घर वालों ने शरारत पूर्ण ढंग से उस लड़की के पिता का नाम छपवाया और सोशल मीडिया पर वायरल करवाया. जिसका अब न तो लड़की से कोई वास्ता रह गया था औऱ न ही उस कार्ड को लेकर उनकी कोई सहमति थी.
केवल और केवल उस लड़की के बाप को चिढ़ाने के लिए यह सब किया गया.
फिर पिता ने भी उस लड़की के पिंडदान का कार्ड छपवाया. जो केवल खुद को दिलासा देने से ज्यादा कुछ नहीं है और न उसका फर्क पड़ने वाला है.
लेकिन यहां फिर से कहूंगा शादी भले रजामंदी से हुई हो, लेकिन इस तरह से ढिंढोरा पीटना ठीक नहीं था. उस घर मे उस लड़की का जिसके लोगों की यह नियत हो, उनकी सोच उस लड़की के प्रति क्या होगी. इसे समझना होगा.
यह मामला वास्तव में विचारणीय है.
Manohar Kumar Singh
June 16, 2023 at 5:50 pm
सभी को आजादी मिले परंतु अनुशासित आजादी हों, ताकि अपने मर्यादाओं को कोई पार ना करें अधिक आजादी से भी कई प्रकार की घटनाएं उत्पन्न होती हैं