यशवंत सिंह-
बदनाम नोएडा अथारिटी के लिए सुप्रीम कोर्ट ने कभी कहा था कि इसके आंख, नाक, कान और चेहरे तक से भ्रष्टाचार टपकता है. ये बात सौ नहीं बल्कि एक सौ एक फीसदी सच है. इसी भ्रष्टाचार की बदनाम परंपरा को आगे बढ़ाते हुए नोएडा अथारिटी ने दो सौ करोड़ रुपये का घोटाला कर दिया है. इस बाबत नोएडा के सेक्टर 58 थाने में रिपोर्ट दर्ज है और एक व्यक्ति को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया गया है.
जेल भेजे गए व्यक्ति की तस्वीर और आई कार्ड देखें-
बताया जाता है कि इस घपले के लिए नोएडा अथारिटी के कई बड़े अफसर जिम्मेदार हैं लेकिन खुद की खाल बचाने के लिए एक छोटी मछली का शिकार कर एक्शन की औपचारिकता पूरी कर ली गई है.
अभी इस प्रकरण के बारे में न तो नोएडा अथारिटी का कोई छोटा बड़ा अफसर बोलने को तैयार है और न ही नोएडा पुलिस के लोग. भड़ास ने जब इस बारे में नोएडा अथारिटी के एक बड़े व जिम्मेदार अफसर मनोज सिंह से संपर्क कर उनका पक्ष जानने की कोशिश की तो उन्होंने कोई प्रतिक्रिया नहीं दी. सूत्रों का कहना है कि मनोज सिंह की भूमिका भी इस घपले में कहीं न कहीं दृश्य-अदृश्य रूप में नजर आ रही है क्योंकि उनके आदेश के बिना आर्थिक मामले में पत्ता भी नहीं हिल सकता.
पूरा मामला जो अब तक पता चला है वो यूं है. नोएडा प्राधिकरण ने एक बिड के जरिए बैंकों से कहा कि जो बैंक सबसे ज्यादा ब्याज देगा उसके यहां प्राधिकरण का पैसा एफडी के रूप में जमा किया जाएगा. इस बिड के जरिए दो बैंकों का चयन किया गया. केनरा बैंक और बैंक आफ इंडिया. सबसे पहले तो यही नहीं समझ आ रहा है कि दो बैंक बिड के जरिए कैसे चुने गए. सबसे ज्यादा ब्याज तो कोई एक ही बैंक दे रहा होगा. अगर सबसे ज्यादा एक समान यानि बराबर बराबर ब्याज अगर दो बैंक दे रहे हों तो उनमें से ज्यादा सुरक्षित बैंक का चयन किया जाना चाहिए जिसका पैमाना बैंक साइज और अन्य कार्यों से संबंधित पाजिटिव रेटिंग को बनाया जा सकता था.
खैर, प्राधिकरण ने केनरा बैंक में दो सौ करोड़ रुपये जमा करा दिए. वहां एफडी हो गया. बैंक आफ इंडिया में दो सौ करोड़ रुपये भेज दिए गए लेकिन बैंक ने एफडी नहीं किया पर एफडी होने के कागजात प्राधिकरण को भेज दिए. इसी दौरान नोएडा अथारिटी की तरफ से एक व्यक्ति बैंक को फोन करता है और नोएडा अथारिटी के एक फर्जी एकाउंट में तीन करोड़ नब्बे लाख रुपये ट्रांसफर करने के लिए कहता है. बैंक ये पैसा बताए गए एकाउंट में ट्रांसफर कर देता है. कुछ दिन बात बैंक से नौ करोड़ रुपये ट्रांसफर किए जाने को ये व्यक्ति कहता है. इस बार बैंक को कुछ शक हुआ तो नोएडा अथारिटी के कुछ जिम्मेदार लोगों से संपर्क किया और नोएडा अथारिटी के जिम्मेदार लोगों ने ऐसे किसी ट्रांसफर के अनुरोध से इनकार कर दिया.
इस कहानी से भी कई सवाल खड़े होते हैं. बैंक ने एफडी क्यों नहीं किया और एफडी किए जाने के फर्जी कागज क्यों भेजा. इसके पीछे अथारिटी और बैंक के कौन कौन लोग शामिल हैं. तीन करोड़ अस्सी लाख रुपये जिस एकाउंट में ट्रांसफर करने को एक व्यक्ति ने कहा वो एकाउंट फर्जी है या असली. इसे किसने और कब खुलवाया. तीन करोड़ अस्सी लाख रुपये उस एकाउंट से कहां गए. ऐसे बहुत सारे सवाल हैं जिसकी जांच पुलिस करेगी और कई लोग गिरफ्तार किए जा सकते हैं, बशर्ते अपराधियों को बचाने की कवायद शीर्ष लेवल से न हो.
इस घपले में एक गैंग के आपरेट करने की खबर मिली है जिसे नोएडा अथारिटी के कुछ अफसरों का संरक्षण हासिल है.
नोएडा के सेक्टर 58 थाने में इस संबंध में विभिन्न धाराओं में एफआईआर दर्ज है. कुल दो सौ करोड़ रुपये के गबन का ये मुकदमा है. अभी जो कुछ भी पता चला है, वह आधा अधूरा है. गहराई से छानबीन किए जाने पर असली कहानी सामने आएगी.
इस स्कैंडल के बारे में अगर आपके पास भी कोई जानकारी या कोई दस्तावेज है तो भड़ास के पास [email protected] पर मेल कर पहुंचा सकते हैं. भड़ास को एफआईआर की कॉपी मिलने का इंतजार है. अगर आपके पास एफआईआर की कॉपी हो तो भड़ास तक जरूर पहुंचाएं. ऐसा करके इस घपले घोटाले को दबाने की कोशिशों को नेस्तनाबूत करने में मदद कर सकते हैं.
भड़ास ने एक मेल भेजकर नोएडा अथारिटी के चेयरमैन मनोज कुमार सिंह, सीईओ रितु माहेश्वरी, एसीईओ मानवेंद्र सिंह और सीएफएओ मनोज कुमार सिंह से इस प्रकरण के बारे में अथारिटी का पक्ष जानना चाहा है. इनमें से किसी का रिस्पांस आते ही उसे भड़ास पर प्रकाशित कर दिया जाएगा.
देखें नोए़डा अथारिटी का पक्ष-
घपले पर नोएडा अथॉरिटी का आया बयान, छुपाया ज्यादा, बताया कम!
इस प्रकरण की खबर भारत24 चैनल पर भी प्रसारित हो चुकी है, जिसका कुछ अंश इस ट्विटर लिंक के जरिए देख सुन सकते हैं-
https://twitter.com/Bharat24Liv/status/1676535730104078337?s=20
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