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सुख-दुख

अगर कोई लड़की पसन्द आती है तो उससे बात करने में डर लगता है!

सत्येंद्र पीएस-

प्यार करता था और लड़की ने शादी से इनकार कर दिया, इसलिए हत्या कर दी। अनदेखी से खफा था इसलिए गोली मार दी। प्यार को कितना छोटा बना दिया गया है! प्यार में कोई किसी की हत्या नहीं करता है भाई साहब। पहली बुनियादी बात तो यह जान लीजिए।

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मैंने कहीं किताब में भी नहीं पढ़ा है कि फलाना ने प्यार में अपने बेटे को दो झापड़ मार दिया। फलाना व्यक्ति अपने बॉस से इतना प्यार करता था कि उसके चैंबर में घुसकर 4 जूते लगा दिए। फलाना व्यक्ति ने प्यार में अपने मित्र को दो घूंसे लगा दिए। विधानसभा में विधायकों ने प्यार मोहब्बत में एक दूसरे को।पहले प्यार मोहब्बत में माइक उखाड़कर मारा और फिर एक दूसरे को पटक पटककर मारने लगे। आपने कभी ऐसा सुना और सोचा हो तो बताएं।

यहां तक कि जब हम लोग टीन एज में थे तो अगर कोई लड़की पसन्द आती थी तो उससे बात करने में डर लगता था कि कुछ प्यार मोहब्बत टाइप कहने पर बुरा न मान जाए। ज्यादातर क्लास के दबंग या कहें कि लफंगे टाइप लड़कों के साथ ही उठना बैठना होता था, उसको जातीय वजह भी मान सकते हैं।

हालत यह थी कि वातावरण में पूरा खौफ रहता था कि यह सब कब किसको मूड आने पर पीट देंगे। उन लड़कों की भी किसी लड़की को कुछ कहने की हिम्मत नहीं होती थी, खासकर अगर उनके मन मे जरा सा भी लड़की के प्रति भावना है। यह जरूर होता था कि अगर कोई दूसरा लड़का उस लड़की के आसपास भटकने की कोशिश करता था तो पिट जाए।

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अभी भी कुछ बदला नहीं है। अगर किसी से प्यार हो तो उसी से सबसे ज्यादा डर लगता है कि कहीं उसे मेरी बात का बुरा न लग जाए। उसे मार देना तो दूर, अपशब्द भी नहीं कहा जाता। और डीप प्यार में सम्बन्ध खराब होने पर प्यार करने वाला व्यक्ति ही डिप्रेशन में जाता है कि कहीं कोई गलती हुई मेरी तरफ से। वह ढूंढता है कि मैंने क्या गलती कर दी।

अगर आप किसी को मारने पर उतारू हैं तो तय है कि पहले भी आपको प्यार नहीं था, कुछ दूसरा ही स्वार्थ था, जिसे लेकर आप चिपके थे और सामने वाले ने आपको पहचान लिया।

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प्यार में रॉड से मारकर हत्या कर दिया, प्यार में गोली मार दी, प्यार में गला दबा दिया, प्यार में तेजाब फेंक दिया। ऐसा होना संभव ही नहीं है। यह सीधे सीधे नफरत और नफरत से जुड़ा हुआ जघन्य अपराध है।

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