यशवंत सिंह-
न्यूज चैनलों की दुनिया का सबसे बड़ा ठरकी, गालीबाज और कुख्यात संपादक अतुल अग्रवाल अकेले ही सारे न्यूज चैनलों के संपादकों के मुंह पर कालिख पोतने के लिए पर्याप्त है. इसका हर महीने कोई न कोई नया कारनामा मार्केट में आ जाता है. कभी फर्जी लूट कांड, कभी ओयो कांड, कभी अश्लील आडियो कांड, कभी गाली कांड.
पिछले दिनों इस शख्स का अपने आफिस की सहकर्मी लड़की के साथ अश्लील बातचीत का एक आडियो वायरल हुआ. इस आडियो को भड़ास ने अतुल अग्रवाल के वाट्सअप पर भेजकर उसका पक्ष जानने की कोशिश की. अतुल अग्रवाल ने फोन कर बताया कि ये उसकी आवाज नहीं है और आजकल ऐसी टेक्नालजी आ गई है कि किसी की भी आवाज का आडियो बनाया जा सकता है. अतुल अग्रवाल ने ये आडियो भड़ास पर अपलोड न करने की अपील की.
उधर, शातिर अतुल अग्रवाल ने दबाव बनाने की रणनीति के तहत पुलिस में एक शिकायत दे दी कि उसका आडियो वायरल किया जा रहा है. उसने ‘फर्जी आडियो वायरल करने वालों पर शिकंजा कसना तय है’ जैसी बात लिखकर सोशल मीडिया पर अपलोड कर दिया. उसके इस शिकायत दर्ज कराते ही पहली खबर भड़ास के लिए तैयार हो गई- ‘आखिर किस आडियो से इतने परेशान हैं अतुल अग्रवाल‘
इस खबर के छपने के बाद अतुल अग्रवाल भड़ास से लगातार संपर्क में रहा और आडियो न अपलोड करने के लिए भांति भांति तरीके से अनुनय विनय करता रहा. इस सब कुछ का स्क्रीनशाट मौजूद है. बीच बीच में अतुल अग्रवाल वाट्सअप कॉल करके भड़ास एडिटर यशवंत को कनवींस करने की कोशिश करता रहा कि उन्हें क्यों आडियो अपलोड नहीं करना चाहिए. वो हर कुछ सहने मानने को तैयार था, बस केवल उसका आडियो अपलोड न किया जाए. उसने हिंदी खबर चैनल पर आकर ओयो कांड समेत सभी आरोपों पर लाइव बातचीत करने का प्रस्ताव दिया.
इसी बातचीत के दौरान एक दफे भड़ास एडिटर यशवंत ने फोन कर अतुल अग्रवाल को कहा कि ओयो कांड की खबर भड़ास पर छपने के बाद तुमने जो फर्जी कंप्लेन साइबर क्राइम थाने नोएडा में कर रखी है, उसे वापस लो, उसके बाद आगे बात होगी.
इस बातचीत के बाद अतुल अग्रवाल के शैतानी दिमाग ने खेल रच डाला. उसने फौरन चैट पर लिखा कि वो पुलिस कमिश्नर साहब से बातचीत करने के लिए तैयार है. बताएं कब और कहां मिलना है.
इसके जवाब में यशवंत ने लिखा कि अरे यार बात कुछ हुई फोन पर, यहां कुछ अलग लिख रहे हो, ये क्या नया ट्विस्ट है, ये क्या नई साजिश है…
पर अतुल अग्रवाल तो खेल कर चुका था. उसने इस बातचीत का स्क्रीनशाट लेकर हिंदी खबर चैनल पर एक लंबी चौड़ी खबर का प्रसारण किया जिसके केंद्र में नोएडा के पुलिस कमिश्नर आलोक सिंह को रखा और आरोप लगाया कि आलोक सिंह उसका फोन टेप करा रहे हैं और यशवंत भड़ासी के माध्यम से दबाव बनवा रहे हैं मीटिंग करने के लिए.
अतुल अग्रवाल पिछले काफी वक्त से नोएडा के पुलिस कमिश्नर के खिलाफ अंधाधुंध अभियान चलाए है. पूर्वाग्रह से ग्रस्त होकर किसी एक व्यक्ति को टारगेट करके उसके खिलाफ खबरों का लगातार प्रसारण करने से भले ही तात्कालिक कोई लाभ (अपने किसी लखनवी आका को खुश करने के एवज में कोई कीमत) मिल जाए, लेकिन लांग टर्म में ऐसी हरकत का परिणाम बुरा होता है. निजी रंजिश रखने और उसे प्रोफेशनल तौर तरीकों से बढ़ावा देने के कारण बहुत सारे लोगों को अतीत में भुगतना पड़ा है. ये तो नोएडा पुलिस कमिश्नर आलोक सिंह का बड़प्पन है कि लाख उकसाने के बावजूद वो अपना धैर्य बनाए हुए हैं और एक पागल-से शख्स को आंय बांय सांय बकने के लिए खुला छोड़ रखा है.
अब आते हैं ठरकी संपादक अतुल अग्रवाल के अश्लील आडियो पर. अतुल अग्रवाल अपने कांडों के खुलासे पर भड़ास से खुन्नस रखता है और यही कारण है कि फर्जी लूट व ओयो कांड की खबरें भड़ास पर आने के बाद उसने अपना चेहरा बचाने के लिए भड़ास पर मुकदमा करा दिया. अश्लील आडियो भड़ास के हाथ लगने के बाद जब उसे अतुल अग्रवाल को भेजा गया, उनका पक्ष जानने के लिए तो वो शख्स चार पांच दिन बुरी तरह परेशान रहा और भड़ास को कनवींस करने की कोशिश करता रहा कि इसे नहीं पब्लिश करना चाहिए.
भड़ास ने उसे लिखित रूप से बता दिया कि इस आडियो को अपलोड नहीं किया जाएगा क्योंकि ये दो लोगों की निजी बातचीत है और इस बातचीत के कंटेंट को लेकर दोनों पक्षों में से किसी ने, खासकर संबंधित लड़की ने कोई विरोध पब्लिक डोमेन में नहीं दर्ज कराया है, इसलिए निजी बातचीत को अपलोड करना येलो जर्नलिज्म की कैटगरी में आएगा, इसलिए इसे अपलोड नहीं किया जा रहा है.
ये तसल्ली / आश्वासन मिलने के बाद अतुल अग्रवाल ने जैसे राहत की सांस ही नहीं ली, भरपूर उत्साह में उसने भड़ास, संपादक यशवंत सिंह, पुलिस कमिश्नर आलोक सिंह के खिलाफ एक जोरदार शो तैयार कर दिया…
इस अनप्रडिक्टबल शख्स को जो लोग नजदीक से जानते हैं उन्हें पता है कि ये कब क्या कर देगा, कुछ तय नहीं. पैरों पर गिर जाएगा, गाली दे देगा, माफी मांग लेगा, गिड़गिड़ाने लगेगा, गुर्राने लगेगा. जिस तरीके से इसका स्वार्थ हल होता है, वो तरीका ये तत्काल आजमा लेता है. एमबीए धारी बनिया ने पत्रकारिता में यूं ही नहीं एक चैनल खोल लिया है. दूसरे चैनलों में इसे नौकरियां मिलतीं और खुद की करतूतों के कारण चली जातीं. आखिर में जब उसे नौकरी मिलनी बंद हो गई तो उसे लगा कि अब खुद का चैनल खोल लेना चाहिए. सो, इसने साम दाम दंड भेद सारे औजार का इस्तेमाल कर और बहुत सारे लोगों को झाम झुमक्का देकर चैनल खोल लिया. अपनी इस छोटी दुकान का वह स्वयंभू संपादक है… चाहे जिसे रखे, जिसे निकाले, चाहे जिसे गरियाये, चाहे जिसे कार में बिठाकर घुमाए, चाहे जिसे फोन कर जो भी बतियाए, कोई भी रोकने टोकने वाला नहीं है. सत्ता शासन के चुनिंदा शीर्ष लोगों के पैर पकड़ कर यह मान बैठा है कि इसका कोई बाल बांका नहीं कर सकता क्योंकि उसके पास खुद का एक चैनल है, सत्ता शीर्ष के आकाओं का संरक्षण है, इसलिए डर किसका. चाहे जो करो, जो बोलो, जो लिखो, जो बको.
अतुल अग्रवाल जैसे संपादकों का होना जरूरी है ताकि मीडिया का असली चेहरा सबको पता चल सके. ये भी मालूम हो सके कि कैसे एक दुष्चरित्र व्यक्ति संपादक के खोल में खुद को समाज, नैतिकता, कानून सबसे बचा लेता है और सवाल उठाने वालों को धमकाता, मुकदमा लिखाता, गरियाता चलता रहता है. इसकी निजी जिंदगी इसकी हरकतों के कारण चौराहे पर है. फिर भी ये आदमी सुधरने का नाम नहीं ले रहा है. बदनाम होंगे तो क्या नाम न होगा… जिसका ये जीवन मंत्र हो, उसके लिए गलत क्या और सही क्या.. बस ‘काम’ होते रहना चाहिए, ‘माल’ आते रहना चाहिए…
आखिर में, फिर से ये स्पष्ट किया जाता है कि ठरकी संपादक अतुल अग्रवाल का अपने आफिस की महिला सहकर्मी के साथ अश्लील बातचीत का आडियो भड़ास पर इसलिए नहीं अपलोड किया गया क्योंकि ये दो लोगों के बीच की बेहद निजी बातचीत है और सहमति से हुई निजी बातचीत को किसी को भी सार्वजनिक करने का हक नहीं. ये नैतिक रूप से गलत है. दुर्भाग्य ये है कि नैतिकता का पैमाना उस महान अनैतिक शख्स के लिए भी भड़ास लागू कर रहा है जो अपने नस नस में पग पग में पोर पोर में स्वार्थ, अनैतिकता, वासना, माया, काम, लोभ, शोषण, उत्पीड़न, दुष्प्रचार, झूठ आदि से भरा हुआ है. पर वो कहानी है न, बिच्छू का काम है काटना. वो अगर पानी में गिरा है और डूब रहा है तो जो उसे बचाएगा, उसे ही बिच्छू डंक मार देगा. पर संत का काम है अपने कर्तव्य का निर्वहन करना. उसे पता है कि बिच्छू को पानी से निकाल कर बचाने की कोशिश करेगा तो उसे डंक पड़ेगा, फिर भी वह पानी में से बिच्छू को निकालता है और उसका डंक झेलता है. जीवन में ऐसी भी स्थितियां आती हैं.
बस इंतजार करिए, ठरकी संपादक अतुल अग्रवाल जल्द ही फिर कोई खेल / कांड करेगा और बड़ी खबर बनेगा. उसका दुश्मन कोई दूसरा नहीं, बल्कि वो खुद है. बस इंतजार करिए.
-यशवंत, एडिटर, भड़ास4मीडिया
संपर्क- [email protected]
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Anurag
September 20, 2022 at 7:19 pm
यशवंत भाई, एक सवाल है मन मे। इस आर्टिकल में खुद ही कहा गया है कि संबंधित ऑडियो इसलिए अपलोड नही किया जा रहा क्योंकि यह दो लोगों के बीच की निजी बातचीत है तो फिर इस ऑडियो से संबंधित में अतुल अग्रवाल का पक्ष जानने की जरूरत ही क्या थी?
क्योंकि दो लोगों के आपसी सहमति की निजी बातों से किसी का भी कोई भी ताल्लुक नही होना चाहिए?