अश्विनी कुमार श्रीवास्तव-
अनुपम खेर ने हाल ही में एक ट्वीट किया कि आएगा तो मोदी ही… यूं तो इसमें कुछ आश्चर्य नहीं होना चाहिए क्योंकि खेर जैसे मोदी के अंध समर्थक हमेशा ही यही कहते आए हैं. लेकिन इसकी चर्चा इसलिए हुई क्योंकि यह ट्वीट उस वक्त किया गया, जब कोरोना की महामारी फैलने के बाद देशभर में लोगों के मारे जाने का तांता लगा हुआ है और हर तरफ से जान बचाने की कातर पुकारें सुनाई दे रही हैं.
भारत का मीडिया भले ही इस जनसंहार के लिए मोदी को दोषी न ठहरा रहा हो लेकिन सोशल मीडिया और अंतररष्ट्रीय मीडिया में खुल कर इसके लिए मोदी को ही सबसे बड़ा जिम्मेदार ठहराया जा रहा है.
इन सबके बावजूद मोदी की ही सरकार 2024 में बनने का खेर का आत्मविश्वास कुछ लोगों को हैरान कर रहा है. मसलन, वे बुद्धिजीवी, जिन्हें लगता है कि कोरोना की इस दूसरी लहर में ऑक्सीजन, वेंटिलेटर, हस्पताल के बेड, दवा और एम्बुलेंस मांगने और जान बचाने के लिए त्राहि माम की गुहार लगाते हुए जिस बड़े पैमाने पर लोगों की जान जा रही है, उसके बाद अब मोदी- योगी का सरकार में वापस आना मुमकिन नहीं है.
ऐसी ही गलतफहमी इन लोगों ने पिछले साल कोरोना की पहली लहर में हुए अनियोजित लॉकडाउन व इसके चलते मजदूरों के पलायन, आर्थिक तबाही, व्यापार में नुकसान, नौकरियों के जाने और पलायन के दौरान मजदूरों के मारे जाने के बाद से ही पाली हुई है.
जबकि मोदी के पहले कार्यकाल में नोटबंदी के बाद बरसों तक देश में बड़े पैमाने पर मची आर्थिक तबाही, व्यापार की बरबादी/ नुकसान और नोटबंदी के दौरान देशभर में मची अफरातफरी व तमाम मौतों के बाद भी इन्हें लगता था कि मोदी अब 2019 में नहीं आ सकते.
खेर या मोदी के अन्य समर्थक तब भी इसी आत्मविश्वास से दावा करते थे कि आएगा तो मोदी ही. मोदी 2019 में आए और अब उनके समर्थक 2024 के लिए भी आश्वस्त हैं.
मोदी की बार बार वापसी के पीछे वजह भी बहुत स्पष्ट है.
दरअसल, किसी देश में जब कोई नेता किसी बड़े शत्रु का डर दिखाकर बड़ी तादाद में अपने अंध समर्थक , जिन्हें हम भारत में अंधभक्त कहकर पुकारने लगे हैं, तैयार कर लेता है, तब उसे फिर देश की आर्थिक तबाही या देश में महामारी या अन्य कारणों से हुए जनसंहार तक भी सत्ता से हटा नहीं सकते हैं.
मोदी ने अपने अंध समर्थकों के दिल में मुसलमानों, पाकिस्तान आदि का ऐसा डर बैठा दिया है कि वे भले ही नौकरी और व्यापार गंवा बैठें, भूख या महामारी से हजारों- लाखों लोग मर जाएं या उन्हें बीमारी के इलाज के लिए ऑक्सीजन, अस्पताल, पढ़ाई के लिए स्कूल, पानी, सड़क आदि तक न नसीब हो पाए….मगर उनके लिए मोदी का ही सत्ता में वापस आना जरूरी है… वरना उन्हें मुसलमानों, पाकिस्तान जैसे शत्रुओं से बचाएगा कौन?
उन्हें पक्का यकीन है कि चाहे हिन्दुओं की आधी से ज्यादा आबादी सरकार की अक्षमता और गलत नीतियों के कारण तबाह और बर्बाद हो जाए मगर मुसलमानों, पाकिस्तान आदि से मोदी उन्हें बचाकर देश में अच्छे दिन लाएंगे जरूर…इसलिए वह सारी बर्बादी देखकर / झेलकर और लाशों के ढेर के बीच बैठकर भी बहुत आशान्वित होकर पूरे आत्मविश्वास से कहते हैं- आएगा तो मोदी ही.
दिलचस्प बात यह है कि राष्ट्रवाद और धार्मिक कट्टरता की संघ की जिस विचारधारा के अंध समर्थकों की फौज तैयार करके मोदी सत्ता में बार-बार आ रहे हैं, उसके बहुत से राजनीतिक विचारक हिटलर के बहुत बड़े प्रशंसक व उसकी राजनीतिक शैली के समर्थक रहे हैं.
हिटलर ने अपने देश जर्मनी में प्रथम विश्व युद्ध के बाद से ही लगातार वहां की जनता में राष्ट्रवाद के नाम पर नाजीवाद यानी शुद्ध जर्मन नस्ल की कट्टरता का बीज बोया था. जर्मनी को महान बनाने के लिए उसी शुद्ध जर्मन नस्ल को बचाने का झंडाबरदार बनकर वह उन्हें यहूदियों व वामपंथियों जैसे शत्रुओं का डर दिखा-दिखा कर सत्ता में आया. उसके बरसों बाद सेकंड वर्ल्ड वार में जर्मनी के पूरी तरह से तबाह होने और लाखों- करोड़ों लोगों के मारे जाने के बावजूद हिटलर अपने अंध समर्थकों के कारण अपनी आखिरी सांस तक सत्ता में ही बना रहा.
वैसे भी, इतिहास उठाकर देख लीजिए तो पता चल जाएगा कि जर्मनी हो, भारत हो या दुनिया का कोई ऐसा देश, जहां कभी भी किसी नेता ने इसी तरह काल्पनिक शत्रु खड़े करके वहां की बहुंसखयक जनता को डराने और उसी डर से उसे बचाने के लिए सत्ता हथियाने में यदि कामयाबी हासिल कर ली है तो फिर उस नेता को शायद ही कोई कभी सत्ता से हटा पाया होगा.
जाहिर है, उस नेता के अंध समर्थक उस डर से कभी बाहर आ ही नहीं आ सकते क्योंकि वह तो खुद उसके नेता का पैदा किया हुआ काल्पनिक डर है. जिसे नेता खुद भी अपने जीते जी कभी खत्म नहीं करना चाहेगा….क्योंकि डर की यही खुराक दे- देकर तो उसने दुनिया को डराने वाले अंध समर्थकों की फौज खड़ी की है और सत्ता हथियाई है…