हे ईश्वर, हमलावर भुप्पी और अनुराग को क्षमा करना, वे नहीं जानते कि वे क्या कर रहे हैं..

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Shrikant Asthana : प्रेस क्लब आफ इंडिया परिसर में यशवंत पर हमला हुए कई दिन बीत चुके हैं। अपराधियों की पहचान भी सबके सामने है। फिर भी न पुलिस कार्रवाई का कुछ पता है, न ही इनके संस्थानों की ओर से। क्या हम बड़ी दुर्घटनाओं पर ही चेतेंगे? कौन लोग इन अपराधियों को बचा रहे हैं? वैसे भी, कथित मेनस्ट्रीम मीडिया के बहुत सारे कर्ता-धर्ता तो चाहते ही हैं कि वे यशवंत की चटनी बना कर चाट जाएं। इस श्रेणी से ऊपर के मित्रों-शुभचिंतकों से जरूर आग्रह किया जा सकता है कि वे उचित कार्रवाई के लिए दबाव बनाएं। अपनी फक्कड़ी में यशवंत किसी को अनावश्यक भाव देता नहीं। लगभग ‘कबीर’ हो जाना उसे यह भी नहीं समझने देता कि यह 15वीं-16वीं शती का भारत नहीं है। First hand account of attack on Yashwant Singh : https://www.youtube.com/watch?v=MgGks6Tv2W4 I’m very thankful to friends who have shown deep concern about the incident and are likely to help create due pressure.

Surendra Grover : पत्रकारों के साथ आये दिन होने वाली #मारपीट और उनकी हत्याओं से कई दिनों से सदमे की स्थिति में हूँ.. पिछले दिनों तो गज़ब हुआ जब पत्रकारिता का लबादा ओढ़े दो लोगों ने छोटे छोटे पत्रकारों की तकलीफ सबके सामने रखने वाले पत्रकार Yashwant Singh पर हमला कर दिया.. यानी कि अब पत्रकारिता लायजनिंग से होते हुए गुण्डागर्दी तक पहुंच गई है.. हे ईश्वर, उन्हें क्षमा करना, वे नहीं जानते कि वे क्या कर रहे हैं…

ये हैं दोनों हमलावर…

Sanjay Yadav : कलम के धनी Yashwant Singh भाई साहब पर हमला हुए कई दिन हो गए. यशवंत भाई को पिछले दो साल से पढ रहा हूँ और देख ऱहा हूँ. उनका संघर्ष अपनी पत्रकार बिरादरी के लिए है. मैं कोई पत्रकार नहीं हूँ. दिल्ली में अकेला रहकर नौकरी करता हूँ और yashwant भाई साहब से कभी मिला नहीं. पर मुझे पता नही क्यों ये लगता है कि कभी जरूरत पड़ी तो ये बंदा आधी रात को भी मेरे साथ खडा होगा. जबसे भाई साहब पर हमला हुआ, मैं बहुत परेशान था. अच्छा लगा कि लोग इनके साथ खडे हैं. पर कुछ लोग लिखते हैं कि yashwant की विचारधारा अलग है. ज़हां तक मैँ यशवंत भाई को समझा हूँ, इनकी एक ही विचारधारा है, और वो है इंसानियत. यशवंत भाई यारों के यार हैं. जब ये किसी के साथ खडे होते हैं तो ना तो उसकी विचारधारा देखते हैं और ना ही उसका कद-पद.

चन्द्रहाश कुमार शर्मा : यशवंत सिंह किसी राजनीतिक पार्टी का चोला पहने होते, तो न आवाज़ बुलंद होती? साथियों, आज मैं बात कर रहा हूं एक ऐसे निडर, निर्भीक व धारदार कलम के धनी उत्तर प्रदेश के गाजीपुर जिले से निकले देश के नामी पत्रकार जो देश के हरएक नागरिक, यहाँ तक की मीडियाकर्मियों पर भी जब-जब जुल्म होते हैं, वह बड़ी प्रमुखता से अपने लोकप्रिय न्यूज़ पोर्टल भड़ास फ़ॉर मीडिया में प्रकाशित करते हैं। हुआ कुछ यूं कि… एक सप्ताह पहले वह प्रेस क्लब ऑफ इंडिया पहुंचे। वहां दो संकीर्ण विचारधारा के पत्रकार भूपेंद्र नारायण सिंह भुप्पी और अनुराग त्रिपाठी उनकी तारीफ में पुल बांधें। जब यशवंत बाहर निकलने लगे, तब उसी भुप्पी और त्रिपाठी ने उन पर हमला बोल दिया। यशवंत सिंह काफी चोटिल हुए। जब सोशल मीडिया पर उन्होंने अपना दर्द बयां किया, तो सभी हिल गए। इस घटना के इतने दिन बीत जाने के बाद भी न सरकार सख्त है, न पत्रकार। यशवंत सर में एक खूबी रही है कि वह किसी राजनीतिक पार्टी को सपोर्ट नहीं करते और न ही उनके एहसान तले दबते हैं। यदि वह ऐसा किये होते तो लगातार टीवी पर खबरें चलती और यह मामला तूल पकड़ लिया होता। (चंद्रहाश कुमार शर्मा, यूपी व बिहार प्रभारी- भोजपुरिया बयार न्यूज़ पोर्टल)

वरिष्ठ पत्रकार श्रीकांत अस्थाना, सुरेंद्र ग्रोवर, संजय यादव और चंद्रहाश कुमार शर्मा की एफबी वॉल से.

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