इलाहाबाद : यूपी बार कौंसिल द्वारा गुरुवार को प्रदेश भर के वकीलों से हड़ताल पर रहने का आह्वान का मिलाजुला असर रहा। गुरुवार को वकीलों ने बहिष्कार कर सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल दिया। केंद्र तथा प्रदेश सरकार के खिलाफ इलाहाबाद में वकील की हत्या के विरोध में आज प्रदेश भर में वकीलों की हड़ताल से लोग हलकान देखे गए।
इलाहाबाद वकील हत्याकांड के कारण पश्चिम के लेकर पूर्व के हर जिले में वकीलों में काफी रोष है। गोरखपुर में अधिवक्ताओं के विरोध प्रदर्शन के मदद़ेनजर कलेक्ट्रेट परिसर एवं दीवानी न्यायालय परिसर में सुरक्षा व्यवस्था कडी कर दी गई। संतकबीनगर में अपर जिलाधिकारी एवं प्रशासनिक अधिकारियों की मौजूदगी के बावजूद अधिवक्ताओं ने तहसील परिसर में लगा मुख्यमंत्री की तस्वीर वाला सरकारी बैनर फाड़ दिया। अधिवक्ताओं ने राज्य सरकार को बर्खास्त करने एवं मृत अधिवक्ता के परिवारीजनों को 50 लाख रुपये मुआवजा देने की मांग की।
उधऱ, बार कौंसिल ने आरोपी दरोगा को गिरफ्तार व बर्खास्त करने और मृत वकील के परिजनों को 50 लाख रुपये मुआवजे की मांग भी की है। मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने अधिवक्ता की मृत्यु पर दु:ख जताते हुए इलाहाबाद के डीएम और एसएसपी को दोषियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई के निर्देश दिए हैं। मुख्यमंत्री ने मृत अधिवक्ता के परिजनों को दस लाख रुपये की आर्थिक सहायता देने की घोषणा की है।
उल्लेखनीय है कि बुधवार को इलाहाबाद में कचहरी परिसर में सरकारी काम से आए एक दरोगा की वकीलों से कहासुनी के बाद जमकर बवाल हो गया। न्याय भवन की सीढ़ियों पर वकीलों ने दरोगा की पिटाई कर दी। इस पर दरोगा ने सर्विस रिवॉल्वर से ताबड़तोड़ फायरिंग कर दी, जिससे वकील नबी अहमद की मौत हो गई। भागकर एसएसपी दफ्तर में घुसे दरोगा को पकड़ने के लिए वकीलों ने वहां पथराव कर दिया। उसके बाद पुलिस और वकील आमने-सामने हो गए। गुरिल्ला युद्ध जैसे हालात बने और दोनों पक्षों में जमकर पत्थर व गोलियां चलीं। इसी बीच भीड़ से चली एक गोली सिपाही की गर्दन में जा घुसी जिससे सिपाही घायल हो गया। इसके बाद पुलिस ने लाठीचार्ज करते हुए भीड़ को दौड़ाया। कई वकीलों के सिर फट गए। सड़क पर आधा दर्जन से अधिक वाहन आग के हवाले कर दिए गए।
खबर पाकर हाईकोर्ट के वकीलों ने भी दमकल सहित चार सरकारी वाहन आग के हवाले कर दिए। यूपी बार कौंसिल ने वकील की मौत पर 50 लाख रुपये मुआवजा देने और डीएम व एसएसपी के खिलाफ कार्रवाई की मांग करते हुए गुरुवार को प्रदेशव्यापी हड़ताल का ऐलान किया है। देर रात दिवंगत वकील के पिता की तहरीर पर दरोगा के खिलाफ हत्या का मुकदमा दर्ज किया गया। साथ ही उसे सस्पेंड करके फरार भी घोषित किया गया। घटना को लेकर माहौल तनावपूर्ण है।
बवाल कचहरी के बहुमंजिला न्याय भवन की सीढ़ियों के पास बुधवार को शुरू हुआ। दोपहर सवा एक बजे नारीबारी चौकी इंचार्ज शैलेंद्र सिंह दो सिपाहियों के साथ कचहरी पहुंचे। उनकी न्याय भवन की सीढ़ियों पर वकील नबी अहमद, आरिफ और श्यामधर मिश्र के साथ एक पुराने मामले में फाइनल रिपोर्ट लगाने को लेकर तकरार हुई। उसके बाद कुछ वकीलों ने दरोगा को पकड़कर पीटना शुरू कर दिया। इस पर दरोगा ने अपनी रिवॉल्वर से गोलियां चलानी शुरू कर दी। एक गोली सीधे अधिवक्ता नबी अहमद के सीने में लगी और वह गिरकर तड़पने लगे। गोली की आवाज सुनकर कई और वकील जुट गए। कुछ ने दरोगा को दौड़ाया और कुछ लोग जख्मी वकील को लेकर हॉस्पिटल भागे। अधिवक्ता नबी अहमद ने हॉस्पिटल पहुंचने से पहले ही दम तोड़ दिया। यह खबर लगते ही वकीलों का गुस्सा भड़क गया। उधर, दरोगा भागकर एसएसपी दफ्तर में घुसा तो वकीलों की भीड़ उसके पीछे वहां पहुंच गई और तोड़फोड़ शुरू कर दी। इस बीच जो भी सामने आया उसे पीटा गया।
भीड़ एसएसपी के चैंबर में घुसने लगी तो पुलिस ने लाठी भांजकर खदेड़ दिया। वकीलों ने गेट के बाहर से पथराव शुरू कर दिया। हालात पर काबू पाने के लिए पुलिस ने हवाई फायर किए तो भीड़ से भी फायरिंग शुरू हो गई। इसी दौरान एक गोली मम्फोर्डगंज चौकी के सिपाही अजय नागर के गले में जा लगी और वह गिरकर तड़पने लगा। उसे गंभीर हालत में हॉस्पिटल भेजा गया। इसके बाद डीआईजी, डीएम, एसएसपी समेत आला अफसर सड़क पर उतर आए। कई घंटे बवाल के बाद हालात काबू में आ सके। शव आने पर फिर बढ़ा बवाल: दरोगा की गोली से मारे गए वकील का शव लेकर कुछ वकील एसआरएन से कचहरी की ओर चल दिए। जगराम चौराहे पर पुलिस ने वकीलों को रोककर लाश वापस कराई तो फिर से हंगामा शुरू हो गया। पुलिस ने लाठी चलाई तो कई वकील जख्मी हो गए।