Connect with us

Hi, what are you looking for?

सियासत

क्या यह जश्न उन लोगों की रोजी रोटी छिनने या मौत पर मनाया गया था?

आज हमारा देश कोरोना जैसी महामारी से जूझ रहा है। लगातार हमारे देश में कोरोना के मरीजों की संख्या बढ़ती जा रही है। कोरोना से होने वाली मौत का आंकड़ा भी लगभग 100 के पार पहुंच चुका है। हमारा देश आज एक ऐसी महामारी से जूझ रहा है जिस से निकल पाने के बावजूद भी देश बहुत पीछे चला जाएगा।

भारत में 22 मार्च 2020 को देश के प्रधानमंत्री की अपील पर एक दिन का जनता कर्फ्यू लगाया गया था। उसी दिन कुछ प्रदेशों व जिलों को लॉक डाउन कर दिया गया था। 24 मार्च 2020 को रात्रि आठ बजे देश के प्रधानमंत्री ने राष्ट्र के नाम एक संबोधन दिया और रात्रि 12:00 बजे से अगले 21 दिनों तक यानी 14 अप्रैल 2020 तक संपूर्ण देश को लॉक डाउन कर दिया।

Advertisement. Scroll to continue reading.

इसमें कुछ रोजमर्रा की चीजों को खोला गया। हमारे देश के प्रधानमंत्री ने इकोनॉमी को छोड़कर जनता को चुना क्योंकि अगर जनता ही नहीं रहेगी तो कैसी और किस काम की इकोनॉमी। लॉकडाउन के बाद भी धीरे-धीरे कोरोना के मरीजों की संख्या बढ़ रही है। इसी बीच खबरें आई की दिहाड़ी मजदूरों के आगे रोजी-रोटी का संकट आ गया।

लोग पलायन करने को मजबूर हो गए। लोगों ने 200, 400, 600 व 1000 किलोमीटर तक की पैदल यात्रा की। इसी के बाद शुरू हुआ संप्रदायिकता की भावनाओं को भड़काने का खेल। पहले संप्रदायिकता की भावनाओं को सोशल मीडिया पर ताकत दी गई और उसके बाद तबलीगी जमात से कोरोना मरीजों की बढ़ती संख्या को हमारे देश में संप्रदायिकता कर रंग दे दिया। जो कल तक एक साथ उठते बैठते थे, वह आज दुश्मन नजर आने लगे।

Advertisement. Scroll to continue reading.

इस संप्रदायिकता को रंग देने में कुछ मीडिया हाउसों ने भी अपनी अहम भूमिका निभाई। जनता कर्फ्यू के दिन प्रधानमंत्री मोदी ने कोरोना के इलाज में जुटे कर्म योगियों का अभिवादन करने को कहा, उत्साह बढ़ाने को कहा। थाली ताली घंटी और शंख के माध्यम से देश की जनता ने उन्हें भरपूर समर्थन भी दिया और उत्साहवर्धन भी किया।

इसके बाद पांच अप्रैल को रात नौ बजे नौ मिनट तक घरों की लाइट को बंद कर अपनी बालकनी और छतों में आकर दिये, मोमबत्ती, टॉर्चर और मोबाइल की फ्लैश जलाने की अपील देशवासियों से की गई थी। देशवासियों को कोरोना जैसी महामारी से लड़ने के लिए एकजुटता दिखाने को कहा गया था।

Advertisement. Scroll to continue reading.

लेकिन बेहद अफसोस हमारे देश का कुछ हिस्सा जो इस समय मानसिक रोगी हो चुका है, वह अपना होश खो बैठा और उसने जमकर आतिशबाजी की। ऐसा तो हमारे पीएम ने नहीं कहा था। लेकिन इसमें यह सवाल खड़ा हो रहा है कि आखिर आतिशबाजी कर वो हिस्सा किस बात की खुशी जाहिर करना चाह रहा था। कोरोना वायरस की चपेट में आकर मरने वालों की संख्या 100 के पार पहुंच चुकी है। बहुत लोगों को रोजी रोटी छिन गई है।

वहीं हमारे देश के कुछ बुद्धिजीवी जश्न मनाने में मशगूल थे। गरीब तबके के लिए रोजी-रोटी का संकट खड़ा है। जगह-जगह लोग सेवा कर रहे हैं। क्या यह जश्न उन लोगों की रोजी रोटी या मौत पर मनाया गया था? आज जो लोग सोशल मीडिया पर संप्रदायिकता की भावना को भड़काने का काम कर रहे हैं। वह शायद कल के बारे में नहीं जानते कई विद्वान अर्थशास्त्रियों का मानना है की लॉक डाउन के बाद भारत में बहुत सारे व्यापार खत्म हो जाएंगे।

Advertisement. Scroll to continue reading.

कुछ चीजों को सामान्य होने में बहुत सारा समय लगेगा। आज केवल दुख इस बात का है ज्ञान होने के बावजूद भी लोग अज्ञानी बन गए। लेकिन उन अज्ञानीयो का मकसद सिर्फ एक समुदाय को नीचा दिखाने का था। शायद कुछ लोग इस आर्टिकल को पढ़ने के बाद हमें देशद्रोही साबित करने की कोशिश करेंगे। हम पत्रकार हैं पक्षकार नहीं, सही को सही और गलत को गलत कहना ही हमें सिखाया जाता है। न मैं किसी का विरोधी हूं न मैं किसी का पक्षकार हूं।

लेखक

Advertisement. Scroll to continue reading.

मयंक गुप्ता

‘संपादक’

Advertisement. Scroll to continue reading.

जागेश्वर न्यूज़ व जेटीवी न्यूज़ (हिंदी वीकली न्यूज़ पेपर & न्यूज़ पोर्टल )

बरेली

Advertisement. Scroll to continue reading.

[email protected]

Advertisement. Scroll to continue reading.
Click to comment

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Advertisement

भड़ास को मेल करें : [email protected]

भड़ास के वाट्सअप ग्रुप से जुड़ें- Bhadasi_Group

Advertisement

Latest 100 भड़ास

व्हाट्सअप पर भड़ास चैनल से जुड़ें : Bhadas_Channel

वाट्सअप के भड़ासी ग्रुप के सदस्य बनें- Bhadasi_Group

भड़ास की ताकत बनें, ऐसे करें भला- Donate

Advertisement