Connect with us

Hi, what are you looking for?

सुख-दुख

नौजवान मरीज़ के लिए बुजुर्ग मरीज़ ने अस्पताल का बिस्तर ख़ाली कर दिया

आदित्य द्विवेदी-

“मैं 85 वर्ष का हो चुका हूँ, जीवन देख लिया है, लेकिन अगर उस स्त्री का पति मर गया तो बच्चे अनाथ हो जायेंगे, इसलिए मेरा कर्तव्य है कि मैं उस व्यक्ति के प्राण बचाऊं।”

Advertisement. Scroll to continue reading.

ऐसा कह कर कोरोना पपीड़ित श्री नारायण जी ने अपना बेड उस मरीज़ को दे दिया। दूसरे व्यक्ति की प्राण रक्षा करते हुए श्री नारायण जी तीन दिनों में इस संसार से विदा हो गये।

दया शंकर शुक्ल सागर-

कोरोना की दूसरी लहर में देश के तमाम शहरों में ऑक्सीजन से लेकर बेड तक की किल्लत देखने को मिल रही है। इस बीच नागपुर में एक बुजुर्ग की ओर से मिसाल पेश की गई है। 85 साल के बुजुर्ग नारायण भाऊराव दाभाडकर ने यह कहते हुए एक युवक के लिए अपना बेड खाली कर दिया कि मैंने अपनी पूरी जिंदगी जी ली है, लेकिन उस व्यक्ति के पीछे पूरा परिवार है।

Advertisement. Scroll to continue reading.

अस्तपाल का बेड छोड़ने के बाद नारायण राव घर चले गए और तीन दिन में ही दुनिया को अलविदा कह दिया। अब हर कोई इस वाकये को जानने के बाद नारायण राव की तारीफ कर रहा है। आरएसएस के स्वयंसेवक नारायण राव दाभाडकर की इस मानवीयता के बारे में मध्य प्रदेश के सीएम शिवराज सिंह चौहान ने भी ट्विटर पर लिखा है।

उनके अलावा भी हजारों लोगों ने ट्विटर पर दाभाडकर को श्रद्धांजलि दी है। दरअसल नारायण राव दाभाडकर कुछ दिन पहले ही कोरोना संक्रमित हुए थे। उनका ऑक्सीजन लेवल घटकर 60 तक पहुंच गया था। इसके देखते हुए उनके दामाद और बेटी ने उन्हें इंदिरा गांधी शासकीय अस्पताल में एडमिट कराया गया था। लंबी जद्दोजहद के बाद नारायण राव को बेड भी मिल गया था। इस बीच एक महिला रोती हुई आई, जो अपने 40 वर्षीय पति को लेकर अस्पताल लाई थी। महिला की बेड के लिए करुण पुकार सुनकर नारायण राव का मन द्रवित हो उठा और उन्होंने अपना ही बेड देने की पेशकश कर दी।

नारायण राव दाभाडकर के आग्रह पर अस्पताल प्रशासन ने उनसे कागज पर लिखवाया कि वह दूसरे मरीज के लिए स्वेच्छा से अपना बेड खाली कर रहे हैं। दाभाडकर ने यह स्वीकृति पत्र भरा और घर लौट आए। इसके तीन दिन बाद ही उन्होंने संसार को अलविदा कह दिया। मानवता के लिए जीवन समर्पित करने वाले नारायण राव की तारीफ करते हुए शिवराज सिंह चौहान ने लिखा, ‘दूसरे व्यक्ति की प्राण रक्षा करते हुए श्री नारायण जी तीन दिनों में इस संसार से विदा हो गये। समाज और राष्ट्र के सच्चे सेवक ही ऐसा त्याग कर सकते हैं, आपके पवित्र सेवा भाव को प्रणाम!’

Advertisement. Scroll to continue reading.

साभार हिंदुस्तान

Viplove Gupte-

Advertisement. Scroll to continue reading.

भाऊराव दाभाडकर की तारीफ़ हो रही है। लोगों का हृदय, बिना टोंटी के नल की तरह बह उठा है। भूरि भूरि और जाने किस किस रंग की प्रशंसा हो रही है। इंसानियत पर 600 पन्ने की थीसस लिखी जा रही है।

मूर्खता ही है हमारी।

Advertisement. Scroll to continue reading.

इस बुजुर्ग सज्जन को ये कदम इसलिए उठाना पड़ा कि अस्पताल में सुविधा नहीं थी। एक और मरीज़ को भर्ती के सकें और उसे बेड दे सकें इतनी ताक़त नहीं थी। किसी और को ज़िंदा रखने के लिए एक शख़्स को अपनी ज़िंदगी देनी पड़ी।

और एक हम हैं जो सवाल करने की जगह, तालियाँ पीट रहे हैं। क़सीदे काढ़ रहे हैं। हमें तो व्यवस्था का मर्सिया पढ़ना चाहिए और खुद की शर्म पर फ़ातिहा।

Advertisement. Scroll to continue reading.
Click to comment

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Advertisement

भड़ास को मेल करें : [email protected]

भड़ास के वाट्सअप ग्रुप से जुड़ें- Bhadasi_Group

Advertisement

Latest 100 भड़ास

व्हाट्सअप पर भड़ास चैनल से जुड़ें : Bhadas_Channel

वाट्सअप के भड़ासी ग्रुप के सदस्य बनें- Bhadasi_Group

भड़ास की ताकत बनें, ऐसे करें भला- Donate

Advertisement